सजदे में झुकते सिर
सजदे में झुकते सिर एजाज अहमद का यह लेख अमर उजाला में 27 मई 2010 के अंक में छपा है बिजनौर जनपद की नजीबाबाद तहसील से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर जोगीरम्पुरी उर्फ अहमदपुर सादात मुसलिम शिया समाज की अकीदत की वह पाकीजा जगह है, जहां के लिए यकीन किया जाता है कि हजरत अली घुड़सवारी दस्ते के साथ यहां पहुंचे थे। जोगीरम्पुरी अकीदत की स्थली कैसे बनी, इसके बारे में अनुयायियों का यकीन है कि मुगल बादशाह शाहजहां के दरबार में अलाउद्दीन बुखारी वफादार दीवान थे। उनके इंतकाल के बाद उनके साहबजादे सय्यद राजू को दीवान मुकर्रर किया गया। सय्यद राजू जोगीरम्पुरी पहुंचे। उन्हें आलमगीर से खतरा था। वह या अली अदरिकनी वजीफा करते और मौला अली से अपनी हिफाजत के लिए रात-दिन दुआएं मांगते। एक दिन देर से आंख खुलने पर सय्यद राजू को घर की मचान में ही छिपने को मजबूर होना पड़। संयोग से उसी दिन एक घुड़सवारी दस्ता जंगल में आ पहुंचा। दस्ते का नेतृत्व कर रहे नौजवान के चेहरे पर तेज व हाथ में अलम था। बाकी घुड़सवार नकाबपोश थे। जंगल से घास लेकर लौट रहे एक नाबीना ब्राह्मण से नौजवान ने सय्यद राजू की बाबत जानकारी ली। नौजवान ने कहा कि सय