अनदेखी से लोग आहत


आधी टूटी है स्मारक पर शहीद परवीन की प्रतिमा
अवकाश भी नहीं किया
बिजनौर। आजादी के बाद से यहां हर साल 16 अगस्त को शहीद मेला लगता है और परिषदीय विद्यालयों में अवकाश रहता है। इस बार इस मेले का बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी भुला बैठे और उन्होंने इस अवसर पर अवकाश करना गंवारा नहीं किया।
शहीदों की दुर्गति-एक : खस्ताहाल में है नूरपुर का शहीद स्मारक
स्मारक स्थल पर चरती हैं बकरियां, हर तरफ गंदगी
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अशोक मधुप
नूरपुर। 16 अगस्त 1942 को नूरपुर थाने पर तिरंगा झंडा फहराते हुए ब्रिटिश पुलिस की गोली से शहीद हुए गांव गुनियाखेड़ी निवासी परवीन सिंह की याद में नूरपुर थाने के सामने बना शहीद स्थल प्रशासनिक उपेक्षा के चलते बदहाल हो चुका है। आलम यह है कि शहीद स्तंभ के ऊपर लगी शहीद परवीन सिंह की प्रतिमा का एक हिस्सा टूट चुका है। शहीद स्थल प्रांगण में उगी लंबी घास और इसके चारों ओर लगे गंदगी के ढेर शहीद स्थल की बदहाली की कहानी बयां कर रहे हैं।
आजादी के आंदोलन में नूरपुर क्षेत्र के लोगों का भी योगदान रहा है। 16 अगस्त सन 1942 में नूरपुर थाने पर भीड़ द्वारा तिरंगा झंडा फहराने के प्रयास पर ब्रिटिश पुलिस द्वारा गोली चलाए जाने गुनियाखेड़ी निवासी परवीन सिंह शहीद हो गए थे। गांव अस्करीपुर निवासी रिक्खी सिंह और मुंशी राम घायल हुए। बाद में रिक्खी सिंह की जेल में मृत्यु हो गई। शहीदों की याद में आजादी की स्वर्ण जयंती पर जिला स्वतंत्रता संग्राम कमेटी के निर्देशन में 16 अगस्त 1997 को तत्कालीन डीएम मामराज सिंह और सीओ कमल सक्सेना ने शहीद स्थल प्रांगण का उद्घाटन किया था। वर्ष 2005 में नगरपालिका द्वारा शहीद स्थल का सौंदर्यीकरण कराया गया था। तब से लेकर आज तक किसी ने शहीद स्थल की सुध नहीं ली है। जिसके चलते शहीद स्थल पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। एसडीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा एक वर्ष पूर्व शहीद स्थल प्रांगण में एक बरामदे का निर्माण कराया गया है।
मगर शहीद स्तंभ और शिला पट जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं। इसके ऊपर लगी शहीद परवीन सिंह की प्रतिमा के बायीं ओर का हिस्सा पूरी तरह से टूट चुका है। प्रांगण में उगी घास में बकरियां चरती रहती हैं और इसके चारों ओर गंदगी के ढेरों से बदबू उठ रही है। लोगों का कहना है कि 16 अगस्त को लगने वाले शहीद मेले पर जरूर शहीद स्थल की साफ सफाई कराई जाती है। उसके बाद पूरे वर्ष कोई देखने नही आता। आजादी के नायकों की की इतनी उपेक्षा निंदनीय है।
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नूरपुर। शहीद स्थल की अनदेखी से नगर वासी आहत हैं। शिक्षाविद् सत्यवीर गुप्ता का कहना है कि अपनी जान देकर भारत को आजादी दिलाने वालों का सम्मान होना चाहिए। 33 सालों तक शहीद विद्या केंद्र के प्रधानाध्यापक रहे चौधरी भगवंत सिंह का कहना है कि शहीदों के नाम पर स्थापित विद्या केंद्र को आज तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। रालोद नेता अजयवीर चौधरी का कहना है कि सरकार द्वारा स्मारक तथा मूर्तियों पर तो बेतहाशा पैसा खर्च किया जा रहा है पर शहीदों की याद में बने स्मारकों के जीर्णोद्धार के लिए कोई बजट नहीं है। यदि प्रशासन ने इसमें सुधार नहीं किया तो पार्टी पुरजोर विरोध करेगी। भाजपा नेता अशोक चौधरी का कहना है कि केवल 16 अगस्त को ही प्रशासन को शहीद स्थल की याद आती है। उसके बाद कोई मुड़कर नही देखता वह पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर स्थल की ओर प्रशासन का ध्यान दिलाने का प्रयास करेंगे।
मेरा यह लेख अमर उजाला में 10 अगस्त 2010 में प्रकाशित हुआ

Comments

Anonymous said…
is lekh k liye badhaai ...

Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....

A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...

Banned Area News : Tamil Nadu News
Unknown said…
शहीद परवीन सिंह का गांव गुनियाखेड़ी आजादी के 62 साल बाद भी विकास की दौड़ में काफी पीछे है। परिणामस्वरूप गांव में पक्की सड़क नहीं बनी है, आज भी ग्रामीण कच्ची सड़क पर चलने को मजबूर है। टूटी नालियों से गंदा पानी बाहर निकलकर गांव के रास्तों पर कीचड़ कर देता है। इसी कारण गांव की दलित बस्ती का तो बुरा हाल है। चार सरकारी हैंडपम्प पिछले दो-तीन साल से खराब पडे़ हैं। गांव का लिंक मार्ग भी कच्चा होने के कारण ग्रामीणों को बरसात में आवागमन में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीणों को अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मुहैय्या नहीं हो पा रही हैं। ग्रामीणों में इस बात का मलाल है कि शहीद का गांव होने के बाद भी गांव को सरकारी योजनाओं को लाभ नहीं मिल रहा है।
Unknown said…
शहीद परवीन सिंह का गांव गुनियाखेड़ी आजादी के 62 साल बाद भी विकास की दौड़ में काफी पीछे है। परिणामस्वरूप गांव में पक्की सड़क नहीं बनी है, आज भी ग्रामीण कच्ची सड़क पर चलने को मजबूर है। टूटी नालियों से गंदा पानी बाहर निकलकर गांव के रास्तों पर कीचड़ कर देता है। इसी कारण गांव की दलित बस्ती का तो बुरा हाल है। चार सरकारी हैंडपम्प पिछले दो-तीन साल से खराब पडे़ हैं। गांव का लिंक मार्ग भी कच्चा होने के कारण ग्रामीणों को बरसात में आवागमन में भारी परेशानी उठानी पड़ती है। ग्रामीणों को अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मुहैय्या नहीं हो पा रही हैं। ग्रामीणों में इस बात का मलाल है कि शहीद का गांव होने के बाद भी गांव को सरकारी योजनाओं को लाभ नहीं मिल रहा है। By Vipin kumar

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