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उर्दू अदब के बेताज बादशाह

किरतपुर में जन्मे थे इजहर असर अदब की दुनिया के प्रख्यात नाम इजहर असर का बिजनौर जनपद के किरतपुर में 15 जून 1927 में जन्म हुआ था। इजहर असर का 15 अपै्रल को दिल्ली में निधन हो गया। इनका बचपन का नाम मुहम्मद इजहारूल हसन और इनके पिता का नाम मुख्तार अहमद था। दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के प्रवक्ता खालिद अलवी का कहना है कि हिंदी साहित्य में जो स्थान गुलशनंदा को प्राप्त है, वही स्थान उर्दू अदब में इजहर असर को है। किरतपुर से वह लाहौर चले गए और लंबे समय तक वहीं रहे। वे बंटवारे के समय दिल्ली आकर बस गए। उन्होंने असर किरतपुरी के नाम से भी लिखा। प्रोफेसर खालिद अलवी के अनुसार बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि वे एक बड़े शायर भी थे। प्रसिद्ध शायर ताजवर नजीबाबादी के शिष्य थे। ताजवर नजीबाबादी अपने समय के सबसे बड़े विद्वान थे और लाहौर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। प्रोफेसर अलवी बताते हैं कि असर ने उनसे बताया था कि रात को ताजवर की महफिल में बुखारी भाई(आजादी से पूर्व आल इंडिया रेडियो के डाइरेक्टर) फैज और सूफी तबस्सुम भी शरीक होते थे। उनमें मैं इजहर असर उम्र में सबसे छोटे थे। महफिल खत्म होने पर ता