सावन की कांवड और बिजनौर
सावन की शिवरात्रि से पूर्व कांवडियों का भारी रेला रास्तों पर होता है।गंगा की दूसरी साइड मुजफ्फरनगर ,मेरठ ,दिल्ली व हरियाणा राज्य के लाखों श्रद्धालु कांवड़ लेकर हरिद्वार से निकलतें हैं। इनका रास्ता मुजफरनगर मेरठ होकर होता है।हालाकि व्यवस्था के लिए ये सब कुछ साल से कांवड लेने बिजनौर होकर हरिद्वार जातें हैं। सावन में ही मुरादाबाद, बुलंदशहर के भारी तादाद में कांवडिए बिजनौर से होकर वापस अपने घर जातें हैं। आश्चर्य की बात ये है कि बिजनौर जनपद में सावन में कावंड लाने का प्रचलन नहीं है।यहां फरवरी में पड़ने वाली शिवरात्रि पर कांवड लाने का प्रचलन है। कुछ समय से अब कांवड आने लगी। वरन इस शिवरात्रि पर बिजनौर जनपद में भगवान शिव का पूजन भी बहुत ही कम होता था। हालाकि बिजनौर जनपद में भगवान राम और कृष्ण के प्राचीन मंदिर नही हैं। जो मंदिर हैं वे ज्यादा पुराने नहीं। पुराने मंदिर भगवान शिव के ही हैं। जिला गजेटियर कहता है कि बिजनौर भार शिवों का क्षेत्र रहा हैं। यहां के शिव उपासक कंधे पर शिव लिंग लेकर चलते थे। जनपद में पुराने शिवालय गंज में निगमागम विद्यालय में