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फ‌‌िक्र ब‌िजनौरी

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पब्ल‌‌िक इमोशन में 26 जुलाई के अंक में   फ‌‌िक्र ब‌िजनौरी पर एक लेख प्रका‌श‌ित हुआ।लेख उपयोगी है  और नीचे द‌िया  जा रहा है।

पारसनाथ का किला

निम्न लेख मेने अमर उजाला   के लिए १९८५ के  आसपास लिखा था । लेख के प्रकाशन के बाद जैन समाज सक्रिय हुआ । आज यहाँ भव्य मंदिर है   बिजनौर जनपद के बढ़ापुर क्षेत्र में स्थित पारसनाथ के नाम से विख्यात किले के अवशेष लंबे समय पुरात्ववेत्ताओं को लंबे समय से खोज के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। किंतु सदियों पुराने इस किले की प्राचीनता का पता लगाने में एवं किले तथा आसपास के क्षेत्रों में बिखरी पड़ी पुरात्व के महत्व को वस्तुओं को संजोकर रखने में किसी ने रूचि नहीं दिखाई है। बढ़ापुर से लगभग चार किलोमीटर पूर्व में ग्राम कांसीवाली में पारसनाथ के किले के नाम से विख्यात स्थान है। २०-२५ एकड़ में बने इस किले के अब तो खंडहर ही रह गए हैं। जगह-जगह टीले दिखाई देते हैं। इन टीलों पर उगे वृक्ष एवं झाड़ एवं झनकाड़ के बीच पुरानी ईंट तथा खूबसूरत नक्काशीदार शिलाएं बिखरी पड़ी हैं। किले को देखने से ऐसा लगता है कि कि इसके चार द्वार रहे होंगे। उत्तर की ओर किले क्षेत्र में प्रवेश का रास्ता इसका प्रमुख द्वार होगा। किले के चारों ओर की बाउंड्री वॉल ढह गई है किंतु टीलों को देखने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे काफी ऊंची रही होगी एवं