Posts

फरजाना आलम

  फरजाना आलम  जिन्हें फरजाना नेसरा खातून नाम से भाी जाना जाता है  पंजाब राज्य से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।  वह 2012 में शिरोमणि अकाली दल (SAD) की उम्मीदवार के रूप में मलेरकोटला विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई थीं  ।  फरजाना आलम ने 2012 में मलेरकोटला से SAD की टिकट पर चुनाव जीतकर पंजाब विधानसभा में प्रवेश किया।  हालांकि, 2017 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस की उम्मीदवार रजिया सुल्ताना से हार का सामना करना पड़ा  । विधायक रहते हुए, फरजाना आलम को पंजाब वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।  उनके पति, मोहम्मद इजहार आलम, जो पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी थे, को भी इसी अवधि में वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था  ।  2021 में, फरजाना आलम ने शिरोमणि अकाली दल छोड़कर पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गईं, जो कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा स्थापित की गई थी  । फरजाना आलम के पति, मोहम्मद इजहार आलम, पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी थे और उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।  उनका निधन 2021 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ  । फ...

पाकिस्तान में जाकर भारत के लिए जासूसी करने वाले मनोज रंजन दीक्षित

 पाकिस्तान में जाकर भारत के लिए जासूसी करने वाले और पकड़े जाने पर वहां की जेल में 23 साल यातना झेलने वाले  मनोज रंजन दीक्षित आजकल आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। नजीबाबाद के रहने वाले मनोज रंजन दीक्षित ने रॉ के लिए जासूसी करने के आरोप में पाकिस्तान में 23 साल  यातनाएं झेली। पूरी जवानी पाकिस्तान की जेल में निकाल दी।  डेढ़ दशक पहले स्वदेश लौटे मनोज रंजन के पास आज रहने को मकान तक मयस्सर नहीं ।लॉकडाउन ने नौकरी भी ले ली। अब मनोज रंजन दीक्षित खाने-पीने को भी मोहताज है। नजीबाबाद निवासी 56 वर्षीय मनोज रंजन दीक्षित बतौर रॉ का एजेंट बनकर बॉर्डर पार कर वर्ष 1985 में पाकिस्तान पहुंचे। पाकिस्तान में हैदराबाद के सिंध प्रांत में रहकर जल्द ही वहां के लोगों से घुल मिल गया। इमरान नाम से पाकिस्तान में रहकर उसने देश के लिए जासूसी की कमान संभाली। आजीविका के लिए ट्यूशन को जरिया बनाया। 23 जनवरी 1992 को मनोज रंजन उर्फ इमरान को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में डालकर तरह-तरह की यातनाएं दीं लेकिन देश के साथ न तो मनोज ने गद्दारी की और न ही कोई राज खोले। आखिरकार! जासूसी ...

कला प्रतिभाओं को निखारने मं लगे हैं वाई के सिंहा

Image
 

पूर्व केबिनेट मंत्री चंद्रावती

Image
 

बिजनौर के सात आश्चर्य में एक है एजाज अली हाँल

Image
बिजनौर  के सात आश्चर्य में एक है एजाज अली हाँल अशोक मधुप  बिजनौर के पुराने निवासी बिजनौर शहर के सात आश्चर्य  बताते रहे हैं। बिजनौर नगर पालिका जिस एजाज अली हाल को गिराकर  व्यवसायिक काम्पलैक्स बनाना चाहती है। यह एजाज अली हाल भी उन सात आश्चर्य में से एक है। 1−बिजनौर के सात आश्चर्य हैं बिना स्टेट का राजा( राजा  ज्वाला प्रसाद)ये देश के पहले अभियंता हुए। ब्रिटिश सरकार ने इन्हें राजा  का खिताब दिया।  खिताब तो मिल गया किंतु इनकी कोई  स्टेट नही थी। इसीलिए ये बिना स्टेट के राजा कहलाए। बिजनौरवासी इन्हें बिना स्टेट का राजा कहते थे। बिना स्टेट का राजा होने के कारण  ये बिजनौर के सात आश्चर्य  में पहले नंबर के आश्चर्य में आते थे। 2−खोखरा पांउड या खोखरा तालाब−  आज के प्रदर्शनी मैदान से इंदिरा पांर्क तक का भाग खोखरा तालाब या   खोखरा पाउंड( बिना  पानी का तालाब कहा जाता  है)।  इस स्थान की विशेषता ये है कि इसमें कितना भी पानी भरे दो, कुछ ही घंटो में जमीन में चला जाता है।पानी के जमीन में चले जाने के कारण ये खोखरा तालाब नाम से प्र...

डॉ। सुधांशु कुमार जैन

  डॉ। सुधांशु कुमार जैन की जीवनी डॉ। सुधांशु कुमार जैन का जन्म 30 जून, 1926 को भारत के उत्तर प्रदेश में आम और गन्ना उत्पादकों के स्थान अमरोहा में हुआ था। आज के विपरीत, भारत छोटे शहरों और गांवों में अच्छी स्कूली शिक्षा से रहित था। एक कृषक के इस बेटे की प्रारंभिक शिक्षा घर पर पूर्णकालिक ट्यूटर्स को सौंपी गई थी। उनकी पहली औपचारिक शिक्षा 1933 में उनके गृहनगर, सेहारा में कक्षा 5 थी। राजनीतिक उथल-पुथल और स्वतंत्रता आंदोलनों की समवर्ती लहरों के बावजूद, उन्होंने 1941 में बड़ौत, मेरठ से हाई स्कूल पास किया और फिर 1943 में स्नातक और एम.एससी। 1946 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डिग्री। 1947 में, जिस वर्ष भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, उन्होंने मेरठ कॉलेज में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में स्नातक और मास्टर छात्रों को वनस्पति कक्षाएं पढ़ाने के लिए अपना करियर शुरू किया। 5 मई, 1948 को उन्होंने सत्या से शादी की। श्रीमती सत्य जैन, एमए, साहित्यरत्न एक हिंदी विद्वान, लेखक और अनुवादक हैं। वह पंजाब में वकीलों और न्यायाधीशों के परिवार से है। श्रीमती सत्या जैन डॉ। जैन की दो हिंदी पुस्तकों के सह-लेखक और साथ ...

एजाज अली हाल

Image
 ब्रिटिश भवन निर्माण कला का अद्भुत नमूना #एजाज_अली_हाॅल_बिजनौर #बिजनौर की ऐतिहासिक इमारत एजाज अली हाॅल ब्रिटिश भवन निर्माण और वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है इसकी वास्तुशैली भारतीय एवं ब्रिटिश वास्तुकला के घटकों का अनोखा संगम है  एजाज अली हाॅल का निर्माण सन 1934 मे तत्कालीन कलेक्टर सैय्यद एजाज अली ने बिजनौर शहर के धन्ना सेठो से धन इकट्ठा कर निर्माण कराया था जिस पैसे से एजाज अली हाॅल का निर्माण हुआ था वह धन बिजनौर दारानगर गँज रोड निर्माण के लिए इकठ्ठा क्या गया था एजाज अली हाॅल के अन्दर आवाज न गूँजे इस लिए मिट्टी के घडे लगाए गये हैं एजाज अली हाल मे जिन ईंटो से निर्माण हुआ था उन पर IAH अंकित हैं कारीगरों की हस्तकला की खूबसूरती को देखकर एक बारगी तो इस जमाने के भवन निर्माण कला के माहिर भी दाद देते हैं आलोकिक सुंदरता से भरपूर एजाज अली हाॅल की शोभा एक अचंभा है कुछ किदवतिया तो यह भी है पुराने जमाने के लोग एजाज अली हाॅल को बिन मजार के मकबरा भी कहते थे  जाने माने इतिहासकार श्री अशोक मधुप बताते हैं कि एजाज अली हाल के द्वार के ऊपर निर्माण सन 1934 अंकित हैं दर्जनो दरवाजे छत पर गुम्बद ज...