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स्वतंत्रा आंदोलन में नगीना के सपूत को लगी थी फांसी

डा० शेख़ नगीनवी           भारत की आज़ादी की लड़ाई में हर वर्ग के लोग शामिल थे। ब्रिटिश विभाजनकारी नीति के बावजूद समाज के सभी वर्गों के लोगों ने इसमें योगदान दिया। केवल अपनाए गए साधनों में अंतर हो सकता है। धर्म, जाति, पंथ, रंग की बाधाएं स्वतंत्रता के आंदोलन में लोगों की भागीदारी में बाधा नहीं बनीं।बड़ी संख्या में मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अपना खून दिया। यहां तक ​​के विद्वानों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उनमें  से एक प्रमुख नाम जिला बिजनौर के क़स्बा नगीना के सपूत मौलाना  सैयद किफायतुल्लाह “काफ़ी” शहीद का है। “काफ़ी” का जन्म नगीना  (यूपी) क़स्बा के सादात घराने में हुआ था और वह विद्वान , चिकित्सक ,सूफी और एक महान कवि थे। लेकिन उन्होंने सुख-सुविधाएं त्याग दीं और जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए निकल पड़े। ऐसा प्रतीत होता है कि “काफ़ी” की बहादुरी ने इक़बाल को इस हद तक प्रभावित किया कि उन्होंने उनके विचारों को बढ़ावा देने का प्रयास किया और कहा: निकल कर खानकाहों से अदा कर  रस्म-ए-शब्बीरी, के फकर-ए-खानकाही है फकत  अंदोह-ओ-दिलगीरी  ('मठ से

टेबिल टेनिस में पहचान खो रहा बिजनौर

टेबिल टेनिस में पहचान खो रहा बिजनौर संवाद न्यूज एजेंसी 80-90 के दशक में जनपद में आयोजित हुए कई बड़े टूर्नामेंट बिजनौर। 80 से 90 के दशक में बिजनौर में टेबिल-टेनिस काफी लोकप्रिय खेल रहा है। इस दौर में जनपद में टेबिल-टेनिस के कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित किए गए। लेकिन जिला टेबिल टेनिस एसोसिएशन बंद होने से यह खेल जिले में अपनी पहचान खोता नजर आ रहा है। बिजनौर ने मोहम्मद असलम, विजय अग्रवाल, देवेंद्र पहलवान, अनिल कुमार त्यागी जैसे कई टेबिल टेनिस खिलाड़ी दिए हैं। पूर्व टेबिल टेनिस खिलाड़ी और जिला टेबिल टेनिस के सदस्य रहे डॉ. अनिल कुमार त्यागी ने बताया कि 80-90 के दशक में बिजनौर में टेबिल टेनिस की एक अलग पहचान थी। उस दौर में बिजनौर में टेबिल टेनिस के अनेकों नेशनल व इंटरनेशनल टूर्नामेंट आयोजित किए जाते रहे। 1984 में भारत, मलयेशिया और इंडोनेशिया के बीच त्रिपक्षीय मुकाबला खेला गया था। उसी समय बिजनौर के आरजेपी इंटर कॉलेज में भारत-पाकिस्तान पांचवां टेस्ट खेला गया था, जिसमें भारत ने जीत हासिल की थी। भारत-पाकिस्तान महिला चैंपियनशिप में भी भारत ने पाकिस्तान को हराया था। जिला टेबिल टेनिस

अंग्रेज अधिकारी ने आबाद की थी धामपुर की बड़ी मण्डी

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 (सांध्य दैनिक) बिजनौर, 6 अगस्त 2022 अंग्रेज अधिकारी ने आबाद की थी धामपुर की बड़ी मण्डी धूल फांक रहा अशोक स्तंभ धामपुर (चिंगारी)। आज देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस मौके पर सरकार और सामाजिक शैक्षिक व अन्य संस्थाओं द्वारा अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद लगभग 135 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल में स्थापित की गई धामपुर नगर की बड़ी मंडी और वहां पर स्थापित राष्ट्रीय स्मारक अशोक स्तंभ अपने सौंदर्यकरण और रखरखाव को लेकर स्थानीय व्यापारियों और पालिका प्रशासन की उपेक्षा का शिकार होकर रह गया है। जानकारी के अनुसार आंग्रेजी शासन काल में धामपुर में मारकमगंज नामक अंग्रेज अधिकारी तैनात थे। उस समय बड़ी मंडी में आबादी नहीं थी। यह जंगल का क्षेत्र माना जाता था। इसी के पास एक नाला बहता था जिसका अशोक स्तंभ के पास पड़ी गंदगी। पानी जैतरा रेलवे फाटक को होता हुआ जंगल में पहुंच जाता था। अंग्रेज अधिकारी मारकमगंज ने उस समय की रियासतों के जमीदारों से बात करके धामपुर की बड़ी मंडी के क्षेत्र को आबाद करने का प्रस्ताव रखा। बताया जाता है कि वर्ष 1885 में कुछ

कोरोना काल में बिजनौर की अदबी सामाजिक क्षति चिगारी 12 जून 2021

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40 गोरो को दी थी मौत

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  हिंदुसतान हिंदी दैनिक 1 सर सैयद अपनी पुसतक में ऐसा कुछ नही कहते 

गंगा ग्लास वर्कस बालावाली

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नगीना के शिकारी पृयारे मियां

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चिंगारी 23 जुलाई 2022