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Showing posts from October, 2015

प्रदर्शनी में एक साल आए थे हवाई जहाज

यादें प्रदर्शनी प्रदर्शनी में एक साल   आए थे हवाई जहाज अशोक मधुप जिला कृषि और औद्योगिक प्रदर्शनी आज भले ही ज्यादा भीड   न जुटा पा रही हो। एक जमाना था कि पूरे   जनपद से दर्शक इसे देखने के लिए आते थे। बिजनौर के आसपास के दर्शक   बैलगाड़ी   आदि से प्रदर्शनी में   आते थे। ये प्राय : पूरी रात रूकते और सवेरे   वापस लौटते। नजीबाबाद और चांदपुर   साइड से शाम को ट्रेन आती थीं। नजीबाबाद और चांदपुर साइड के यात्री इन्हीं ट्रेन से आते। हालत यह होती थी कि प्रदर्शनी के दौरान इस ट्रेन में जगह नहीं मिलती थी। यात्री छतों और डिब्बों के जोड़ तक पर बैठकर आते थे।   कई    बार तो ट्रेन के इंजिन के आगे भी यात्री बैठे और खड़े होते थे। पहले प्रदर्शनी मई - जून में लगती थी। प्राय : मई में परीक्षा होने के बाद छात्र खाली हो जाते थे। उनका काम   खेलना कूदना और नाना - नानी के घर जाकर उछलकूद करना होता था।   ये समय मनोरंजन के लिए बहुत ही उपयुक्त होता। प्रदर्शनी में खूब

हरिपाल त्यागी;कला की नशीली महक

हरिपाल त्यागी;कला की नशीली महक हरिपाल त्यागी जी का जन्म, 20 अप्रैल सन् 1934 ई0 को जनपद बिजनौर के ग्राम महुवा में हुआ।आपके पिता का नाम श्री शेर सिंह त्यागी तथा माता का नाम श्रीमती दयावती देवी था। महुवा गाँव के नाम में एक नशीली महक है।ऐसी ही महक गाँव के लोगों की जिन्दगी में भी है। छोटा किसान परिवार, घर में गरीबी तो थी ही उससे भी कहीं ज्यादा कंजूसी थी। इस तरसाव ने हरिपाल के मन में चीजों के प्रति,  गहरी ललक पैदा कर दी। उन्हें सहज ढंग से पाने में जो रस है, उससे कहीं ज्यादा रस घोल दिया। हरिपाल जी के ,ताऊ जी के बेटे रविंद्रनाथ त्यागी पढ़ाई में कुछ साल आगे थे ,कमरे में तीन तस्वीरें-स्वामी दयानन्द, गा्रमोफोन और ताला। उन्हें देख, हरिपाल त्यागी जी को ललक उठी, कहीं से रंग मिल जाये तो वह भी अपनी तस्वीरोें में रंग भर सके। हरिपाल, परिवार में इकलौता बेटा। पिता की उससे बेहद प्यार। लेकिन प्यार प्रकट करने का अपना अंदाज। पढ़ाई में हरिपाल की बहुत कम दिलचस्पी थी। समय मिलतेे ही तस्वीरें और माटी की मूंरतें बनाते । बचपन में मुशीराम की नौटंकी पार्टी गाँव में आयी। नौटंकी की कमलाबाई ने हरिपाल के बालमन को आन्दोल