तीन जिलों के उम्मीदवारों की तकदीर भी लिखता था बिजनौर


Mon, 24 Mar 2014 11:16 PM (IST jagran ki story

प्रवीण वशिष्ठ, बिजनौर।
लोकतन्त्र के महापर्व में आहुति देने जा रहे इस दौर के अधिकांश लोग इस तथ्य से अनजान हैं कि 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनावों में बिजनौर जिले के मतदाताओं का एक हिस्सा वर्तमान उत्तराखंड राज्य और सहारनपुर जिले से जुड़कर वहां की दो सीटों के उम्मीदवारों की तकदीर भी लिखता था। इनमें से एक सीट पर जनपद निवासी स्वतन्त्रता सेनानी महावीर त्यागी चुने गए थे।
वर्ष 2009 में नए परिसीमन के बाद बिजनौर लोकसभा क्षेत्र बिजनौर के साथ-साथ मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों तक फैल गया है। इतने अधिक क्षेत्र में फैले लोकसभा क्षेत्र में पहुंचना सांसद के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है, लेकिन पहले लोकसभा चुनाव में स्थिति और भी अधिक परेशानी भरी थी। बिजनौर जिले का अधिकांश हिस्सा बिजनौर (दक्षिण) नाम की सीट में शामिल था और इस सीट से नेमीशरण जैन ने गोविंद सहाय को हराकर विजय प्राप्त की थी। इसके अलावा जिला दो दूरस्थ सीटों में भी बंटा था। देहरादून-बिजनौर (उत्तर-पश्चिम)
-सहारनपुर (पश्चिम)सीट में नजीबाबाद और गढ़वाल (पश्चिम)-टिहरी गढ़वाल-बिजनौर (उत्तर) सीट में जिले का अफजलगढ़ क्षेत्र आता था। देहरादून-बिजनौर (उत्तर-पश्चिम)-सहारनपुर (पश्चिम)सीट से कांग्रेस ने स्वतन्त्रता सेनानी महावीर त्यागी को मैदान में उतारा था। वह जिले की चांदपुर तहसील के गांव रतनगढ़ निवासी थे। उन्होंने 122141 मत प्राप्त कर भारतीय जनसंघ के जेआर गोयल 26472 को हराया था। निर्दलीय आरडी बनर्जी तीसरे और सोशलिस्ट पार्टी के रामकिशन वर्मा चौथे स्थान पर रहे थे।
गढ़वाल (पश्चिम)-टिहरी गढ़वाल-बिजनौर (उत्तर) सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी टिहरी की महारानी कमलेंदुमति शाह ने 68811 मत पाकर कांग्रेस की कृष्णा सिंह 54829 को हरा था। किसान मजदूर प्रजा पक्ष के श्याम चंद नेगी तीसरे स्थान पर रहे थे। वर्ष 1957 में हुए चुनाव से बिजनौर जिले के नजीबाबाद और अफजलगढ़ क्षेत्र का पहाड़ की दोनों सीटों से संबंध खत्म हो गया। यहां की मुख्य सीट का नाम भी बिजनौर (दक्षिण) से बदलकर बिजनौर हो गया।

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