हास्य व्यंग के इंटरनेशनल शायर हिलाल स्योहारवी


जिनकी आज पंचवीं पुण्य तिथि है

हास्य व्यंग के इंटरनेशनल शायर हिलाल स्योहारवी

अपनी शायरी से कहकहे लगवाते हुए नेताओं और व्यवस्था पर चोट करने वाले हिलाल स्योहारवी की आज पुण्यतिथि है। उनहोंने हिंदुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी शायरी की छाप छोड़ी।

न तुम संभले तो फिर नया तूफान आयेगा। मदद को राम आएंगे न फिर रहमान आएगा। जैसे शेर ने माध्यम से समाज को आगाह करने वाले अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर हिलाल स्योहारवी का वास्तविक नाम हबीबुर्रहमान था। शायरी में आने के बाद उन्होंने अपना उपनाम हिलाल जिसका अर्थ होता है चांद रख लिया। १५ नवंबर २०१२ को उनकी मृत्यु हुई थी। अपनी धमाकेदार नज्मों और कतात के लिए लोग उन्हें आज भी उन्हें याद करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौत पर इनके इस कता ने बहुत ख्याति पाई -

बजा कहा जो शहीदाने वतन कहा तुझको,

ये हैसीयत तुझे दुनिया में नाम करके मिली।

अब इससे बढ़के तेरा एहतराम क्या होगा,

मिली जो मौत भी तुझको सलाम करके मिली।

हिलाल स्योहरवी को गालिब इंस्टीट्यूट नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति डा. शंकरदयाल शर्मा द्वारा उर्दू अदब की सेवा के लिए वर्ष १९८७-८८ का तंजोमिजहा एवार्ड देकर सम्मानित किया गया। हिलाल ने अपनी शायरी से जहां महफिलों में कहकहे लगवाये वहीं नेताओं, व्यवस्था, राजनीति, सांप्रदायिकता, पूंजीवाद पर चोट करने से कभी नहीं चूके।

उनका कता यह कता ऐ बानगी है

- गरीबी को मिटा देने की बातें सिर्फ बातें हैं,

जो खुद दौलत के भूखें हो गरीबी क्या मिटाएंगे,

गरीबों का लहू तो आपकी कारों का डीजल है

गरीबी मिट गई तो आप क्या रिक्क्षा चलाऐंगे।

उनकी शायरी की बात ही कुछ ऐसी थी कि चीन से जंग के समय खून की मांग हो या संसद में जूते चलने की घटना, प्रधानमंत्री राजीव गांधी का २१वीं सदी में जाने का सपना हो या बेनजीर भुट्टो का पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का अवसर, राजीव गांधी की मौत हो राकेश शर्मा का अंतरिक्ष में जाना हर घटना पर मीडिया की सुर्खी हिलाल स्योहरवी की शायरी में से ही आती रही हैै।

राजीव गांधी के प्रधान मंत्री बनने पर उन्होंने यह कता पढ़ा-

रक्स होता है तेरी किस्मत पर,

क्या तेरे हाथ को लकीर मिली।

और तो सब नियामतें मिली थी तुझे

अब पड़ौसन भी बेनजीर मिली।

राकेश शर्मा के चांद पर जाने के बाद उन्होंने कहा-

फिर कोई समझा ही नहीं इस खूबसूरत तंज को,

मुझको तो राकेश शर्मा का बयां अच्छा लगा।

उन से जब पूछा गया कैसा लगा हिंदोस्तां,

हंस के बोले दूर से हिंदोस्तां अच्छा लगा।

एक मजदूर के रूप में अपना जीवन शुरू करने वाले हिलाल स्योहरवी ने मजदूरों के दुख दर्द और तकलीफों को बड़े नजदीक से देखा। फिर उसे शायरी का रूप देकर तंजोमिजहा की चाशनी में डुबो कर दुनिया के सामने इस ढ़ंग से प्रस्तुत किया कि कड़वी बातें भी मिठास के साथ दिल की गहराईयों में उतर जाऐं। उन्होंने कहा कि सभी कहते हैं पूंजीपति हैं मगरूर, काम आते हैं एलेक्षन में यही लोग हजूर। दोस्ती आज के जरदार से रखनी है जरूर, अब रहे वो जो हैं भारत में परेशां मजदूर। चाहते उनका भला हम भी नहीं तुम भी नहीं, आओ मिल जाऐं खफा हम भी नहीं तुम भी नहीं। हिलाल स्योहारवी शायर तो थे ही वे एक विचारक और एक दार्शनिक भी थे। उन्होने अपनी शायरी से सोई हुई व्यवस्था को झकझोरा, उसकी खामियों को उजागर किया। उन्होने कहा कि तुम अपनी गरीबी को मिटाते नहीं खुद ही, क्या -क्या न मिला तुम को सहारा नहीं समझे। हर शहर में मुद्दत से है रातों को अंधेरा, तुम लोग सियासत का इशारा नहीं समझे।

हिलाल स्योहारवी की एक नजम

मेरा हिंदोस्तां

यहां मौसम सलौने और सुहाने,

हिमालय बर्फ की चादर है ताने,

नदी नाले सुनाते हैं तराने,

जमां अपनी उगलती है खजाने,

इसी धरती पे जन्नत का गुमां है।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।

पदक सोने का कोई मुल्क पाले,

कोई फुटबॉल कितना ही उछाले,

कोई तैराक सौ तमगे लगाले,

यहां के खेल भी सबसे निराले,

एलेक्षन में जो जीते पहलवां है।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।

यहां नाचो विदेशी साजिशों पर,

कहीं दो जाके धरना दफ्तरों पर,

करो पथराव सरकारी बसों पर,

सफर करो ट्रेनों की छतों पर,

हिफाजत के लिए अल्लाहमियां है।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।

यहां फरसूदा रस्मों को हवा दो,

चिता की गोद में अबला बिठा दो,

कहीं आईन सड़कों पर जला दो,

किसी नेता पे कुछ तौहमत लगा दो,

कलम अपना है अपनी जुबां हैं।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।

कोई जाकर कहीं फितना जगा दे,

मुहब्बत के जो रिश्तें हैं मिटा दे,

कोई इतिहास के पन्ने उड़ा दे,

कोई मंदिर को मस्जिद से लड़ा दे,

सियासत में मजहब दरमियां है।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।

डोनेशन हो तो बच्चों को पढ़ा लो,

जो रिश्वत हो फांसी से छुड़ा लो,

जो पैसे हों तो परमीट घर मंगालो,

मिले दौलत वतन को बेच डालो,

मगर छोड़ो ये लम्बी दास्तां है।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।

न इसको देख पायी कम निगाही,

उजालों के जो पीछे है सियाही,

यहां एक जुर्म भी है बेगुनाही,

मिसेज गांधी के खूं से लो गवाही,

वो ही कातिल है वो ही पासबां है।

ये भारत है मेरा हिंदोस्तां है।।डा. वीरेंद्र

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