आज चौधरी चरण सिंह का जन्म दिन है। इस मौके पर प्रस्तुत है बिजनौर की भूमि से उठे एक तूफान की कहानी जिसने चौधरी चरण सिंह को मुख्य मंत्री पद से त्याग पत्र देने को मजबूर कर दिया लाइसेंस नहीं बनाने पर गिरा दी थी चौधरी चरण सिंह की सरकार अशोक मधुप बिजनौर। स्योहारा सीट से तीन बार विधायक रहे शौनाथ सिंह ने चौधरी चरण सिंह की सरकार महज इसलिए गिरा दी थी, क्योंकि उस समय के जिलाधिकारी ने उनके कहने से एक शस्त्र लाइसेंस नहीं बनाया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह ने उनके कहने के बावजूद डीएम का तबादला नहीं किया था। शौनाथ सिंह मूलत: स्योहारा क्षेत्र के गांव बुढ़ानपुर (सलेमपुर) के रहने वाले थे। वे अंगूठा टेक थे। बाद में हस्ताक्षर करना जरूर सीख गए थे। अपनी बात मनवाने के लिए अफसरों से भिड़ जाते थे। यही उनकी जीत का कारण भी बनता था। बात तब की है, जब चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर भारतीय क्र ांति दल (बीकेडी) बनाई। शौनाथ सिंह नूरपुर (बाद में स्योहारा सीट बनी) से पहली बार 1967 में बीकेडी के टिकट पर विधायक बने। बीकेडी को 98 सीट मिली थीं। सूबे में बीकेडी के समर्थन से कांग्रेस की सरकार बनी और कांग्रेस के चंद्रभानु गुप्ता मुख्यमंत्री बने। फिर कांग्रेस का ही एक गुट विधायक लेकर अलग हो गया। इस दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान चौधरी चरण सिंह ने भी कांग्रेस के नए गुट के साथ कांग्रेस के खिलाफ वोटिंग की। सरकार अल्पमत में आ गई। हालात ऐसे बने कि कांग्रेस को चौधरी चरण सिंह को मुख्यमंत्री और बीकेडी के साथ सरकार बनानी पड़ी। इसी दौरान शौनाथ सिंह ने बिजनौर के तत्कालीन डीएम से एक व्यक्ति के लिए बंदूक का लाइसेंस बनवाने की सिफारिश की थी। सिफारिश नहीं मानी गई। शौनाथ सिंह ने चौधरी साहब से डीएम को हटाने के लिए कहा, चौधरी साहब ने उनकी बात को नजर आंदाज करतें हुए कह दिया कि कहीं इतनी बात पर डीएम का तबादला होता है। यह बात चौधरी श्योनाथ सिह को घर कर गई। उधर, कांग्रेस के विरोध के कारण इंदिरा गांधी चौधरी चरण सिंह से नाराज चल रही थीं। आवास विकास कालोनी में रहने वाले स्व. शौनाथ सिंह के पुत्र बिजेंद्र सिंह के अनुसार इंदिरा गांधी लखनऊ आईं और उनके पिता से गेस्ट हाउस में बातचीत की। कांग्रेस को बहुमत की सरकार बनाने के लिए 25 विधायकों की जरूरत थी। शौनाथ सिंह कुछ ही दिन बाद बीकेडी के 40 विधायक लेकर दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने चौधरी चरण सिंह के सामने इस्तीफा देने या फिर बहुमत सिद्ध करने का प्रस्ताव रखा। चौधरी साहब ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस की सरकार में शौनाथ सिंह गन्ना विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। वह 1980 और 1985 में भी कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। अशोक मधुप

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