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तीन सगे भाइयों के नाम पर तीन शहर आबाद हुए

n, 06 Jan 2013 02:27 AM (ISTPublish Date:Su)
अफजलगढ़ (बिजनौर)। शासकों के नाम पर आबाद हुए शहरों की सूची यूं तो काफी लंबी है। लेकिन बिजनौर जनपद ने इस दिशा में जो इतिहास रचा है, वह शायद कम ही होगा। यहां पर तीन सगे भाइयों के नाम पर तीन शहर आबाद हुए हैं। यह तीनों ही नवाब थे, रियासतों पर कब्जा करने के बाद राज करने की नौबत आई तो तीनों ने अपने ही नाम पर शहर बसा डाले। यह तीनों कस्बे धामपुर तहसील के अंतर्गत शेरकोट, अफजलगढ़ तथा कालागढ़ नाम से आज भी आबाद हैं।
सत्रहवीं शताब्दी के अंत तथा अठारहवीं शताब्दी की शुरूआत का दौर था। उसी दौर में अफगान शासकों ने बिजनौर जिले की कई रियासतों पर कब्जा करने के लिए आक्रमण किए। उसी समय अफगान शासक तथा चार सगे भाइयों अफजल खां, शेर खां, निजाम खां तथा काले खां ने धामपुर तहसील के आसपास की छोटी रियासतों को कब्जाने के लिए हमले किए। इन्हीं आक्रमणों के बाद अफगानिस्तान के रूह स्थान से जनपद में आए चार सगे भाइयों अफजल खां, शेर खां, निजाम खां तथा काले खां ने अफजलगढ़ के आसपास का इलाका कब्जा लिया।
अफजल खां ने अपने नाम पर अफजलगढ़, काले खां ने कालागढ़ तथा शेर खां ने शेरकोट को बसाकर राज करना शुरू कर दिया। अफजल खां ने अमला व नचना नदी के किनारे अपने किलों को बनवाया। ऐसा करने के पीछे उनकी मंशा थी कि प्रजा को पानी की किल्लत न हो। अफजल खां की रियासत में इस्लाम नगर मौजा, मोबिन नगर मौजा थे। वहीं किले के पास ही बेगम अपनी दासियों के साथ टहलती थीं, उस स्थान का नाम बेगम सराय पड़ा। अफजलगढ़ तथा आसपास के इतिहास के जानकार तथा पूर्व मंत्री शेख सुलेमान बताते हैं कि अफजलगढ़ तथा आसपास के इलाकों में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं, लेकिन जीर्णोद्धार न होने के कारण यह अपना वजूद खोती जा रही हैं। उन्होंने बताया कि वह सरकार को भी इनके संरक्षण के लिए पत्र लिख चुके हैं।
छह  जून 2013 के दैनिक जागरण से साभार



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