कभी मुलायम सिंह के गठबंधन की वजह से सांसद का चुनाव हारी थीं मायावती
कभी मुलायम सिंह के गठबंधन की वजह से सांसद का चुनाव हारी थीं मायावती
मायावती के खिलाफ मुलायम सिंह ने कम्यूनिस्ट प्रत्याशी का किया था समर्थन
फोटो
अजित चौधरी
बिजनौर, १४ मार्च
२०१९ के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने का सपना देख रहीं मायावती कभी मुलायम सिंह के गठबंधन की वजह संसद में जाने के रह गईं थी। मुलायम सिंह यादव ने सांसद मायावती के खिलाफ सीपीएम प्रत्याशी मास्टर रामस्वरूप को चुनाव मैदान में उतारा था। चुनाव में दोनों ही पार्टी प्रत्याशियों की हार हुई थी और भाजपा ने जिले में खाता खोला था। चुनावी बिसात पर जनता दल से भाजपा में आए मंगलराम पे्रमी ने जीत का परचम लहराया था। मायावती ने इसके बाद बिजनौर सीट छोड़ दी थी।
बिजनौर लोकसभा सीट से मायावती का गहरा नाता रहा है। बिजनौर लोकसभा सीट से मायावती ने १९८९ में अपने सियासी पारी की शुरूआत की थी। मायावती ने जनता दल के उम्मीदवार मंगलराम प्रेमी को हराया था और पहली बार संसद पहुंची थीं। १९९१ में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर थे व मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। दोनों एक ही दल समाजवादी जनता पार्टी में थे। १९९१ के लोकसभा के मध्यावधि चुनाव मेेंं मुलायम सिंह यादव ने प्रयास करके माकपा से गठबंधन कर लिया। गठबंधन में मुलायम सिंह यादव ने अपने बेहद करीबी मास्टर रामस्वरूप के लिए बिजनौर सीट दे दी।। उन्होंने मास्टर रामस्वरूप के सामने प्रत्याशी नहीं उतारा। बसपा से सांसद मायावती फिर से चुनाव मैदान में उतरीं। तब राम लहर में भारतीय जनता पार्टी जिले से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने मैदान में उतरी थी। भाजपा ने जनता दल से आए पूर्व सांसद मंगलराम प्रेमी पर दांव खेला। तब दो दलों समाजवादी जनता पार्टी व सीपीएम से गठबंधन के कारण मास्टर रामस्वरूप मजबूत नेता के रूप में सामने उभरकर आए। इससे पहले कम्यूनिस्ट पार्टी का जिले में अस्तित्व नहीं था। उनके प्रत्याशियों को कम वोट ही मिलते थे। लेकिन मुलायम सिंह के समर्थन के कारण मास्टर रामस्वरूप एकदम से चुनाव मैदान में मजबूत हो गए। मायावती तब तक दलित समाज की बड़ी नेता के रूप में उभर चुकी थीं। सभी को लगता था कि मायावती अपनी सीट बचा लेंगी। लेकिन मुलायम सिंह यादव ने बिजनौर सीट पर मास्टर रामस्वरूप के लिए खूब प्रचार कराया। जिले में कम्युनिस्ट पार्टी का अस्तित्व न होने के बाद भी रामस्वरूप ५७ हजार से अधिक वोट ले गए थे। १९८९ के मुकाबले मायावती का वोट काफी घट गया। उनका कुछ वोट रामलहर के कारण भाजपा तो कुछ मुलायम सिंह के प्रचार के कारण सीपीएम के मास्टर रामस्वरूप को चला गया। भाजपा के मंगलराम पे्रमी को दो लाख ४७ हजार ४६५ तथा मायावती को १ लाख ५९ हजार ७३१ वोट ही मिले। मायावती को जिले में हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद मायावती ने बिजनौर लोकसभा सीट छोड़ दी।
अजीत चौधरी
Amar ujala men prakashit
मायावती के खिलाफ मुलायम सिंह ने कम्यूनिस्ट प्रत्याशी का किया था समर्थन
फोटो
अजित चौधरी
बिजनौर, १४ मार्च
२०१९ के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने का सपना देख रहीं मायावती कभी मुलायम सिंह के गठबंधन की वजह संसद में जाने के रह गईं थी। मुलायम सिंह यादव ने सांसद मायावती के खिलाफ सीपीएम प्रत्याशी मास्टर रामस्वरूप को चुनाव मैदान में उतारा था। चुनाव में दोनों ही पार्टी प्रत्याशियों की हार हुई थी और भाजपा ने जिले में खाता खोला था। चुनावी बिसात पर जनता दल से भाजपा में आए मंगलराम पे्रमी ने जीत का परचम लहराया था। मायावती ने इसके बाद बिजनौर सीट छोड़ दी थी।
बिजनौर लोकसभा सीट से मायावती का गहरा नाता रहा है। बिजनौर लोकसभा सीट से मायावती ने १९८९ में अपने सियासी पारी की शुरूआत की थी। मायावती ने जनता दल के उम्मीदवार मंगलराम प्रेमी को हराया था और पहली बार संसद पहुंची थीं। १९९१ में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर थे व मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे। दोनों एक ही दल समाजवादी जनता पार्टी में थे। १९९१ के लोकसभा के मध्यावधि चुनाव मेेंं मुलायम सिंह यादव ने प्रयास करके माकपा से गठबंधन कर लिया। गठबंधन में मुलायम सिंह यादव ने अपने बेहद करीबी मास्टर रामस्वरूप के लिए बिजनौर सीट दे दी।। उन्होंने मास्टर रामस्वरूप के सामने प्रत्याशी नहीं उतारा। बसपा से सांसद मायावती फिर से चुनाव मैदान में उतरीं। तब राम लहर में भारतीय जनता पार्टी जिले से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ने मैदान में उतरी थी। भाजपा ने जनता दल से आए पूर्व सांसद मंगलराम प्रेमी पर दांव खेला। तब दो दलों समाजवादी जनता पार्टी व सीपीएम से गठबंधन के कारण मास्टर रामस्वरूप मजबूत नेता के रूप में सामने उभरकर आए। इससे पहले कम्यूनिस्ट पार्टी का जिले में अस्तित्व नहीं था। उनके प्रत्याशियों को कम वोट ही मिलते थे। लेकिन मुलायम सिंह के समर्थन के कारण मास्टर रामस्वरूप एकदम से चुनाव मैदान में मजबूत हो गए। मायावती तब तक दलित समाज की बड़ी नेता के रूप में उभर चुकी थीं। सभी को लगता था कि मायावती अपनी सीट बचा लेंगी। लेकिन मुलायम सिंह यादव ने बिजनौर सीट पर मास्टर रामस्वरूप के लिए खूब प्रचार कराया। जिले में कम्युनिस्ट पार्टी का अस्तित्व न होने के बाद भी रामस्वरूप ५७ हजार से अधिक वोट ले गए थे। १९८९ के मुकाबले मायावती का वोट काफी घट गया। उनका कुछ वोट रामलहर के कारण भाजपा तो कुछ मुलायम सिंह के प्रचार के कारण सीपीएम के मास्टर रामस्वरूप को चला गया। भाजपा के मंगलराम पे्रमी को दो लाख ४७ हजार ४६५ तथा मायावती को १ लाख ५९ हजार ७३१ वोट ही मिले। मायावती को जिले में हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद मायावती ने बिजनौर लोकसभा सीट छोड़ दी।
अजीत चौधरी
Amar ujala men prakashit
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