अशोक की मौत के 12 साल बाद भी नहीं मिली जमीन


अशोक की मौत के 12 साल बाद भी नहीं मिली जमीन
हत्या के केस में बिक गई चार बीघा जमीन
चकबंदी में पूरी जमीन न मिलने पर अशोक ने कलक्ट्रेट में किया था आत्मदाह
बिजनौर, 13 जनवरी
अपनी जमीन के लिए कलक्ट्रेट में मौत को गले लगाने वाले हल्दौर ब्लॉक के ग्राम कुम्हारपुरा निवासी अशोक कुमार की मौत भी सिस्टम को नहीं जगा पाई। अशोक की मौत के बाद परिजनों को न जमीन मिली न मुआवजा। केस लड़ने में ही चार बीघा जमीन बिक गई। अशोक कुमार के लिए किसान संगठनों की संवेदनाएं भी खत्म हो गईं। अब कोई अशोक कुमार की आवाज नहीं उठा रहा है।
कुम्हारपुरा निवासी अशोक के पिता नौबहार सिंह का वाद २६ जुलाई २००६ धारा २१ -०१ मौजा इब्राहिमपुर की बाबत विचाराधीन था। अशोक कुमार का कहना था कि उसे चकबंदी में करीब एक बीघा जमीन कम दी गई। सीओ चकबंदी के खिलाफ उसने अपील दायर की थी। सीओ के आदेश के खिलाफ १४ फरवरी २००८ को बहस हुई। १८ फरवरी को आदेश होना था। लेकिन आदेश हुआ नहीं। अशोक बार -बार चकंबदी दफ्तर के चक्कर काट रहा था। इससे वह पूरी तरह टूट गया था। अशोक ने इससे खफा होकर आत्मदाह की धमकी दी थी। पर उसकी धमकी को सभी अफसरों ने नजरअंदाज कर दिया था। आखिरकार अशोक ने १० अप्रैल २००८ को कलक्ट्रेट में चकबदी कार्यालय के सम्मुख शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगाकर आत्मदाह कर लिया। घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। अशोक के शव को नहीं उठने दिया गया। तत्कालीन चकबंदी आयुक्त,डीएम,एसपी मौके पर पहुंचे। कई घंटे चली वार्ता के बाद डीएम ने मृतक के परिवार को दस लाख मुआवजा दिलाने तथा मृतक के पुत्र को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया। लेकिन अशोक के परिजनों को न जमीन मिली, न नौकरी और न ही मुआवजे की फूटी कौड़ी। परिजनों का कहना है कि अशोक की मौत के बाद उसका केस उन्होंने लड़ा लेकिन जमीन नहीं मिली। केस में घर की चार बीघा जमीन और बिक गई।
और मिलती रही थी तारीख पर तारीख
अशोक के चक में एक बीघा जमीन कम हो गई थी। सीओ, एसओसी,डीडीसी के यहां केस चला। तीन साल तक तारीख पर तारीख ,तारीख पर तारीख मिलती रही। परन्तु इंसाफ नहीं मिला। अशोक ने विरोध में आत्म दाह कर लिया। उसका सोच था कि इससे चंकबदी विभाग के हालात सुधरेंगे । किसानों को न्याय जल्दी मिलेगा। अन्य किसानों को जल्दी न्याय क्या मिलता ,परिजनों के अनुसार मामले में तत्कालीन एसओसी के खिलाफ पुलिस में केस पंजीकृत हुआ था, लेकिन क्या हुआ पता नहीं।
नहीं ली किसी ने सुध
अशोक के बेटे चकित कुमार का कहना है कि उसके पिता की मौत के बाद किसी ने परिवार की सुध नहीं ली। जमीन का वाद अब तक चल रहा है। केस में चार बीघा जमीन बिक गई। पिता की मौत के मामले में जो केस चल रहा था उसके बारे में भी अब कुछ पता नहीं। कभी कोर्ट से केस में शामिल होने के लिए कोई जानकारी नहीं मिलती है।
अब भी बुरा हाल
चकबंदी में अब भी बुरा हाल है। कई गांवों में सालों से चकबंदी के केस चल रहे हैं। किसान खेतों पर जाने के बजाए चकबंदी विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर रहते हैं। किसान चकबंदी को खत्म करने की मांग भी करते हैं।
 
 

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