बिजनौर के रहने वाले पूर्व राज्यपाल धरमवीर ने बनाया था पुलिस कमिश्नर सिस्टम

पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लागू करने की बिजनौर के रहने वाले पूर्व राज्यपाल धरमवीर ने की थी सिफारिश
धरमवीर ने बनाया था पुलिस कमिश्नर सिस्टम
देश के कई बड़े ओहदों पर रहे हैं धरमवीर
बिजनौर, १३ जनवरी
यूपी में पहली बार लागू हुए पुलिस कमिश्रर सिस्टम की सिफारिश बिजनौर के रहने वाले पूर्व राज्यपाल धरमवीर ने दी थी। उनके नाम पर ही इस सिस्टम को धरमवीर कमीशन नाम दिया गया है। धरमवीर कमीशन तीसरे राष्ट्रीय पुलिस आयोग ने १९७७ में इस सिफारिश को लागू करने की पुरजोर सिफारिश की थी। पर नौकरशाही और बड़े तबके व राजनीतिक आकाओं के नजरअंदाज करने की वजह से यह सिस्टम लागू नहीं हो पाया था। वे सालों तक सिस्टम की फाइल को दबाए रखे रहे।
बिजनौर के धर्मनगरी में राजघराने से ताल्लुक रखने वाले धरमवीर राजा ज्वाला प्रसाद के पुत्र थे। राजा ज्वाला प्रसाद प्रथम भारतीय चीफ इंजीनियर रहे हैं। धरमवीर की शिक्षा लखनऊ व इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा लखनऊ स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से हुई थी। १९३० में वे इंडियन सिविल सर्विस में नियुक्त हुए। वे देश के कई जिलों के डीएम रहे। १९४५ से १९४७ भारत सरकार के टैक्सटाइल कमिश्नर रहे। १९४७ में देश आजाद होने के बाद भारत के पहले मंत्रीमंडल में संयुक्त सचिव बने। १९५० में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रमुख निजी सचिव रहे। भारत सरकार के अनेक विभागों के सचिव भी रहे। विदेशों में भारत सरकार के हाई कमिश्नर के पद पर भी वे रहे थे। १९६४ के अंत में भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रेट्री नियुक्त हुए। धरमवीर १९६६ से १९७२ तक पंजाब, पश्चिम बंगाल, मैसूर के राज्यपाल रहे। १९७७ से १९८१ तक भारत सरकार के पुलिस कमीशन के अध्यक्ष रहे। १९७७ में धरमवीर ने पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सलाह दी थी। तब तमाम नौकरशाहों, बड़े तबके व राजनीतिक आकाओं ने इसकी अनदेखी कर दी और कमिश्नर सिस्टम की फाइल को दबाए रखा गया। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यह सिस्टम यूपी में कभी लागू नहीं हो पाया। तमाम सरकार पुलिस को फ्रीहैंड देने से डरती रहीं। नौकरशाही का एक बड़ा तबका तो कमिश्नर सिस्टम का विरोध करता रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साहस से यह सिस्टम लागू हो पाया। १६ सितंबर २००० को ९४ साल की आयु में धरमवीर का निधन हुआ था। धरमवीर के छोटे भाई कुंवर सत्यवीर भी कई बड़े पदों पर रहे। १९४६ में जिला पंचायत के सदस्य बनें। १९७७ में वे जनता पार्टी के शासनकाल में प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री बनाए गए। वह तीन बार विधायक बने। कुंवर सत्यवीर की पुत्रवधू रूचि वीरा ने पारीवारिक राजनीति को आगे बढ़ाया। सपा सरकार के दौरान २०१४ में वे उपचुनाव में विधायक बनीं।
शैलेंद्र
 
 

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