34 साल में शिक्षा में बहुत बदलाव आया

 34 साल में शिक्षा में बहुत बदलाव आया


जिले में 34 साल में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की क्रांति आई है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षा की तस्वीर बदली है। चिकित्सा, मैनेजमेंट तथा व्यवसायिक शिक्षण संस्थाओं ने युवाओं को रोजगार के नए द्वार का सृजन किया है।

प्राथमिक शिक्षा- जिले में बेसिक शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। अंग्रेजी माध्यम के नामी गिरामी स्कूल खुल गये है। डीपीएस,जी मीडिया, जैसे कारपोरेट ने शिक्षा के क्षेत्र में अपनी दस्तक दी है। जिले में पहले एक दो ही इंग्लिश मीडियम स्कूल थे। अब सीबीएसई के 101 तथा आईसीएसई के पांच कुल 106 स्कूल संचालित हैं।

माध्यमिक शिक्षा- 34 साल में जहां अंग्रेजी स्कूलों ने पढ़ाई का नजरिया बदला है वहीं यूपी बोर्ड के स्कूलों भी गांव -गांव खुल गए हैं। इससे पांचवीं तथा आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देने वाले ग्रामीण बच्चों को आगे बढ़ने का अवसर मिला हैं। इस दौरान जिले में 387 माध्यमिक विद्यालय यूपी बोर्ड के खुले हैं।

उच्च शिक्षा- जिले में उच्च शिक्षा में क्रांति आई है। पहले जिले में पांच छह डिग्री कॉलेज थे। अब 108 डिग्री कॉलेज हैं। इनमें एक राजकीय, छह शासकीय सहायता प्राप्त तथा 101 स्वपोषित हैं। डिग्री कॉलेजों में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम खुले हैं।

तकनीकी शिक्षा- जिले के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में रहने वाले ग्रामीण युवाओं के लिए 34 साल में तकनीकी शिक्षा लेना आसान बना है। जिलें में इंजीनियरिंग तथा पालिटेक्निक कॉलेज के साथ आईटीआई बड़ी संख्या में खुले हैं‌ । इस समय छह इंजीनियरिंग कॉलेज, पांच पालिटेक्निक, तथा 22 आईटीआई संचालित हैं। युवा बीटेक, करके निजी तथा राजकीय संस्थानों में सेवारत हैं। मैनेजमेंट कोर्स की पढ़ाई कर नौकरी कर रहे हैं।आईटीआई बेरोजगार के लिए रोजी रोटी का जरिया बने हैं। युवा अपने निजी व्यवसाय चला रहे हैं।

आयुर्वेदिक शिक्षा -

जनपद में पहले तिगरी मनकावाला में होम्योपैथिक और धामपुर में आयुर्वेद कॉलेज होते थे। ये तो बदं हो गए किंतु जिले में 34 साल में आयुर्वेद शिक्षा ने अपने पैर जमाए हैं। विवेक कॉलेज और बीआईटी में बीएएमएस की पढ़ाई हो रही है। युवा डाक्टर बनकर चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने की तैयारी में हैं। अब बीएएमएस डाक्टरों को सर्जरी करने का अधिकार मिलने से नया जोश मिला है। कई साल से चल रही जनपदवासियों की मांग पर बिजनौर को राजकीय मेडिकल कॉलेज भी मिल गया। इस साल से इसपर काम शुरू हो गया।अगले सत्र से पढ़ाई शुरू हो जाएगी, ऐसी उम्मीद है

फार्मेसी शिक्षा- पहले युवा फार्मेसी की पढ़ाई करने बाहर जाते थे। परंतु 34 साल में तस्वीर बदली है। डिग्री कॉलेज में उच्च शिक्षा के साथ फार्मेसी की जमकर पढ़ाई हो रही है। युवा डी फार्मा, बीफार्मा की उपाधि लेकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं। दवाई वितरण के कारोबार से जुड़े हैं।

वकालत की पढ़ाई-

पहले युवाओं को वकालत की पढ़ाई करने मेरठ- मुरादाबाद आदि शहरों में जाना पड़ता था। परंतु अब ऐसा नहीं है। दर्जनों शिक्षण संस्थानों में एल एल बी की पढ़ाई हो रही है। इन स्कूलों से वकालत पढ़कर युवा जज बन रहे हैं। विभिन्न न्यायालयों में वकालत करके नाम कमा रहे हैं।

बीएड तथा बीटीसी कॉलेज-

जिले में 34 साल में बीटीसी कॉलेज बड़ी संख्या में खुले हैं। पहले दो तीन बीटीसी स्कूल थे। अब 38 बीटीसी स्कूल संचालित हैं। इनमें मात्र एक राजकीय है। बाकी 37 प्राइवेट हैं‌ यही हाल बीएड स्कूल का हैं। पिछले कुछ साल में बंपर बीएड स्कूल खुले हैं। जिनमें डिग्री लेकर युवा शिक्षक बने हैं।

अमर उजाला स्थापना दिवस 12 दिसंबर 2002

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