खेती में पिछड़े जिले में आज हो रही है मोतियों की खेती
खेती में पिछड़े जिले में आज हो रही है मोतियों की खेती
किसान खेती में नए कामों से जुड़कर कमा रहे हैं मुनाफा
बिजनौर। अमर उजाला हमेशा किसानों की आवाज बना रहा। 34 साल के अपने सफर में अमर उजाला ने अपनी किसानों की समस्याओं को मुद्दा बनाया तो किसानों की तरक्की भी जनता को बताई। किसानों द्वारा खेती में किए जा रहे नए प्रयोगों को अमर उजाला गवाह बना रहा।
जिला गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है। लेकिन कभी जिले की खेती भी बहुत पिछड़ी हुई थी। 34 साल पहले जिले में सिंचाई के ज्यादा साधन नहीं थे। फिर नहरें निकलीं, ट्यूबवैल बने और खेती में जिला तरक्की करता चला गया। जिले में करीब चार लाख हेक्टेअर जमीन में खेती होती है। आज के समय में इसमे से आधे रकबे में केवल गन्ने की फसल होती है। खेती में लगातार मेहनत करने से किसानों को बहुत फायदा हुआ और वह तरक्की की सीढ़ी चढ़ता चला गया। शहरों के विस्तारीकरण और खेतों में बनी कॉलोनियों ने किसान की तरक्की में नई दिशा दी। अमर उजाला इन सब बदलाव का गवाह बना रहा। अभी जिले में पारंपरिक गन्ने और गेहूं की खेती होती थी। जिले के किसानों ने सबसे पहले गन्ना बोने में ट्रैंच विधि को अपनाया और आमदनी कई गुना बढ़ाई। ट्रैंच विधि से गन्ना बोने वाली खबरों को सबसे ज्यादा अमर उजाला में ही प्रकाशित किया गया। आज जिले के किसान नवीनतम तरीकों से खेती कर रहे हैं। खेतों में गन्ने, गेहूं के साथ साथ मोतियों की खेती भी हो रही है। किसान अपने घर की छतों पर हाइड्रोफोनिक विधि से भी खेती कर रहे हैं जिसमे मिट्टी की जरूरत ही नहीं होती है। खुद खेती को लगातार अपग्रेड कर रहे हैं। खेती में आ रहे बदलाव और अच्छा काम करने वाले किसानों की खबरें लगातार प्रकाशित हुईं।
अब जैविक खेती की ओर भी बढ़े किसान
किसानों ने सहायक व्यवसाय के रूप में डेरियां भी खोलीं और खेतों को रासायनिक खेती से मुक्त भी किया। जैविक खेती करने वाले किसानों की फसल रासायनिक फसल के मुकाबले दोगुने से अधिक कीमत पर बेच रहे हैं। वेस्ट यूपी में बायोफ्लोक विधि से मछली पालन भी सबसे पहले बिजनौर में ही शुरू किया गया है। जिले के किसानों ने पिछले साल 3600 करोड़ से ज्यादा का गन्ना बेचा था जो अब तक का रिकॉर्ड है।
नए कामों से जुड़ना चाहते हैं किसान
बायोफ्लोक विधि से मछलीपालन कर रहे विजेंद्र सिंह का कहना है कि जिले के किसान अब खेती में नए कामों से भी जुड़ना चाहते हैं। जिले में मशरूम की खेती भी होने लगी है। बायोफ्लोक विधि के बारे में भी किसान उनसे जानकारी लेने के लिए लगातार आ रहे हैं। नए कामों को करने वाले किसानों की खबरें प्रकाशित करके अमर उजाला ने बाकी किसानों को भी जागरूक किया है।
अमर उजाला स्थापना दिवस 12 दिसंबर 2002
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