गांवों में बस गईं पॉश कॉलोनी, हर ओर नजर आती है तरक्की
गांवों में बस गईं पॉश कॉलोनी, हर ओर नजर आती है तरक्की
बिजनौर। हर ओर शानदार मकान, चौड़ी सड़क और उनके बाहर खड़ी महंगी गाड़ियां। यह शहर के मोहल्लों की नहीं बल्कि गांवों में बनी पॉश कॉलोनी की हैं। शहर के पास बने गांव अब एक तरह से विलुप्त हो रहे हैं। गांवों की जगह पॉश कॉलोनियों ने ले ली है। गांव जैसा माहौल भी यहां देखने को नहीं मिलता है।
पहले गांव शहर जैसी सुविधाओं की मांग करते थे। सुविधा जैसे सड़क, बिजली और पानी की। लेकिन आज शहर के पास बने गांवों में ये सुविधाएं शहरों से भी अच्छी हैं। इन्हें गांव कहना भी एक तरह से गलत ही होगा। गांव रशीदपुर गढ़ी, तिमरपुर, आदमपुर आदि गांवों में पॉश कॉलोनी बस चुकी हैं। जिला मुख्यालय ही नहीं बाकी कस्बों, तहसीलों में भी यही बदलाव आया है। गांव के लोग शहरों में नौकरी करने या बच्चों के लिए आए और यहीं बस गए। शहरों के पास के गांवों में जमीन खरीदकर मकान बनाए। ये विस्तार फैलता चला गया। बाकी लोगों ने भी गांवों में आकर मकान बनाए। जिन किसानों की जमीन महंगी बिकी उन्होंने दूसरे गांवों में जाकर खेती की जमीन खरीदी। शहरों के पास के गांवों में तो कॉलोनी बस गई लेकिन एकदम देहात में बने गांवों में भी लगातार तरक्की हो रही है। कच्चे मकान और कीचड़ वाले रास्ते, गलियां गांवों से लगभग गायब हो चुकी हैं। सभी जगह अच्छी सड़कें हैं। घर घर में पानी भरने को मोटर, टंकी लगी हैं। दर्जनों गांवों में जल निगम की तरफ से टंकी बन चुकी हैं। गांवों में घरों में छतरी वाली डिश मिलना तो अब बहुत आम बात है, एसी तक घरों में लगी दिखाई दे जाती है। गांवों में जमीन भी लगातार महंगी होती जा रही है। जिन किसानों से सड़कें निकलीं वहां के किसानों के भाग्य से खुल गए। किसान जमीन बेचकर अब व्यापार में भी हाथ आजमाने लगे हैं। गांवों की आवोहवा भी अब गांव जैसी होने लगी है लेकिन उनमे आपसी रिश्तों में समरसता और मधुरपन आज भी बरकरार है। अमर उजाला ने गांव वालों की समस्याओं को समय समय पर उठाया और इनका समाधान कराया।
पालिका का कराया सीमा विस्तार
हाल ही में शासन ने बिजनौर नगर पालिका का विस्तार किया है। यह सीमा विस्तार 34 साल से अटका हुआ था। सीमा विस्तार में दस नई ग्राम पंचायतों को शहर में शामिल किया गया है। अमर उजाला ने अभियान चलाकर कई बार इससे जुड़ी खबरें प्रकाशित कीं थी।
गांवों में सुविधाएं बढ़ीं
किसान नेता शूरवीर सिंह का कहना है कि गांवो में भी अब सुविधाएं बढ़ी हैं। खेती से जुड़ी कई तरह के काम करने से किसान भी अब पहले से ज्यादा संपन्न हुआ है। गांवों में बिजली पानी की सुविधा बढ़ी है। लेकिन शहरों के पास लगातार कम होती जा रही जमीन एक चिंता का विषय भी है।
अजीत चौधरी
अमर उजाला स्थापना दिवस 12 दिसंबर 2002
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