दंगे में बर्बाद हुए शहर के लोगों की आवाज बना था अमर उजाला

 दंगे में बर्बाद हुए शहर के लोगों की आवाज बना था अमर उजाला

अमर उजाला की रिपोर्टिंग की ‌दिल्ली तक हुई थी सराहना

बिजनौर। बिजनौर में 1990 में हुए सांप्रदायिक दंगे से जिले का माहौल खराब हो गया था। इस दंगे में तमाम लोग मारे गए थे। कई लोगों की दुकानें व घर जला दिए गए थे। देश भर में इस दंगे की गूंज हुई थी।

नौ अक्तूबर 1990 को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बिजनौर में स्योहारा में सभा थी। मुलायम सिंह बिजनौर के प्रदर्शनी मैदान में सभा करने के बाद उनका हैलीकॉप्टर उड़ते ही जिले का माहौल खराब होना शुरू हो गया था। सभा से लौट रहे लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। कई अन्य जगहों पर भी पथराव हुआ। जिले का माहौल बिगड़ता गया। कई जगह आगजनी हुई। 30 अक्तूबर को अयोध्या में राममंदिर में लिए कारसेवा होनी थी। बिजनौर के आर्य समाज में बड़ी तादाद में हिंदू संगठनों के लोग भजन कीर्तन कर रहे थे। जुलूस के रूप में इन लोगों को कलक्ट्रेट जाना था। मुख्य डाकघर चौराहे से यह जुलूस घंटाघर की ओर बढ़ गया। भीड़ पर पथराव शुरू हो गया। जुलूस में महिलाएं भी शामिल थीं। बिजनौर में दंगा भड़क गया। पहले ही सेना बिजनौर आई हुई थी। दंगा भड़कने के बाद सिविल लाइन, सब्जी मंडी, घंटाघर व अन्य इलाकों में दुकानों में तोड़फोड़ व आगजनी हुई। पहले दिन दंगे में दोनों ओर के 14 लोग मारे गए। बिजनौर में कर्फ्यू लगा दिया गया। सात नवंबर तक कर्फ्यू लगा रहा। इसके बाद रात का कर्फ्यू लागू कर दिया गया। दंगे में 100 से ज्यादा लोग करीब 100 लोग मारे गए थे। दोनों संप्रदाय के लोगों के बीच भारी खाई पैदा हो गई। इस दंगे से लोगों को बहुत नुकसान हो गया था। शहर मरघट बन गया था। दंगे के बाद तमाम बड़े दलों के राजनेताओं ने बिजनौर का दौरा किया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी व सोनिया गांधी ने मोहल्ला बड़वान जैन मंदिर क्षेत्र का दौरा किया था। दंगे की देशभर में गूंज रही थी। दंगे के बाद कई सालों तक लोग संभल नहीं पाए थे। लोगों के कारोबार टूट गए थे और एक दूसरे के खिलाफ अविश्वास की भावना पैदा हो गई थी। दंगे के दौरान आलम यह था कि आसपास के गांव व शहर भी इसकी चपेट में आ गए थे। हर जगह कर्फ्यू जैसा माहौल था। रात भर लोग अपने मोहल्लों में पहरा देते थे। दंगे में अमर उजाला ने लोगों की आवाज उठाई। अखबार लोगों की पसंद बनता चला गया। बिजनौर के दंगों में अमर उजाला की निष्पक्ष रिपोर्टिंग को दिल्ली तक सराहा गया था। लोग अमर उजाला के कायल ‌हो गए थे।


अमर उजाला स्थापना दिवस 12 दिसंबर 2002

Comments

Popular posts from this blog

बिजनौर है जाहरवीर की ननसाल

नौलखा बाग' खो रहा है अपना मूलस्वरूप..

पारसनाथ का किला