हॉकी खिलाड़ियों की उपेक्षा से दम तोड़ रहा खेल
हॉकी खिलाड़ियों की उपेक्षा से दम तोड़ रहा खेल
जम्मनलाल शर्मा, प्रवीण कुमार शर्मा, रजिया जैदी, सौरभ विश्नोई आदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पर मचा चुके हैं धमाल
बिजनौर,
जिले में कभी राष्ट्रीय खेल हॉकी का दबदबा रहता था। उस दौरान घर घर हॉकी खिलाड़ी होते थे, लेकिन बदलते वक्त के साथ अब इसकी जगह क्रिकेट ने ले ली है। गांव का प्रिय खेल माने जाने वाले वालीबाल क्रेज भी काफी कम हो गया है। हाल ही कबड्डी का क्रेज जरूर बढ़ा है। निशानेबाजी में भी कई युवाओं ने नाम रोशन किया है।
हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। जनपद के जम्मनलाल शर्मा, प्रवीण कुमार शर्मा, रजिया जैदी और सौरभ विश्नोई आदि होनहार खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पर बिजनौर जिले को पहचान दिला चुके हैं। इसके बावजूद यहां पर युवा इसके प्रति आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं। युवा वर्ग इस ओर से ध्यान नहीं दे रहा है। पूर्व खिलाड़ियों का कहना है कि एक समय होता था कि घर घर हॉकी खिलाड़ी मिलते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है। हॉकी की जगह अब क्रिकेट और कबड्डी आदि खेलों ने ली है। जब तक सरकार का रवैया इसके प्रति उदासीन रहेगा तब तक यह खेल जिले में उभर नहीं पाएगा।
सरकार की उपेक्षा से युवाओं का नहीं रुझान
वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी एवं वर्धमान कॉलेज के पूर्व प्राचार्य वीके त्यागी ने बताया कि आज के दौर में खासतौर से क्रिकेट में ज्यादा आकर्षण है। इसलिए ज्यादा खिलाड़ी उससे जुड़ रहें हैं। इसका कारण ये है कि टेलीविजन पर जो भी संदेश आदि प्रसारित किए जाते हैं, उनके सेलिब्रिटी क्रिकेटर अथवा फिल्म इंडस्ट्री से होते हैं। सरकार हॉकी खिलाड़ियों के प्रति काफी उदासीन है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पूर्व हॉकी इंडिया टीम के कप्तान संदीप के घायल होने पर उन्हें अपने इलाज के लिए स्वयं ही व्यवस्था करनी पड़ी। जिस प्रकार से क्रिकेटर को तवज्जो दी जाती है, वैसे हॉकी की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
अब घर वाले भी नहीं करते प्रोत्साहित
वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी खालिद असरार बताते हैं कि यदि सरकार क्रिकेट की भांति ही हॉकी की ओर भी ध्यान केंद्रित करे तो फिर से हॉकी के प्रति युवाओं में उत्साह जाग सकता है। उन्होंने बताया कि जब वे हॉकी खेलते थे तो उनके घर वाले भी उन्हें काफी प्रोत्साहित करते थे, लेकिन अब प्रोत्साहन न मिलने के कारण युवाओं को उनके परिजन भी इस फील्ड में जाने के लिए नहीं कहते।
संसाधनों के अभाव में हो रहा मोह भंग
महेंद्रनाथ खन्ना का कहना है कि उन्होंने कई हॉकी मैच खेले और सफलता भी अर्जित की। इसके बाद वे लगातार कई खिलाड़ियों को भी इसके लिए प्रेरित भी किया और उन्हें इसके गुर भी सिखाए। धीरे धीरे समय बीतता गया और इस खेल से युवाओं ने इससे किनारा करना शुरु कर दिया। उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी और जागरुकता का अभाव भी इसका कारण है।
अमर उजाला स्थापना दिवस 12 दिसंबर 2002
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