सत्यप्रकाश सरस्वती बिजनौर से प्रयागराज आए थे
बिजनौर से प्रयागराज आए थे
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो.जगदंबा सिंह बताते हैं कि सत्यप्रकाश सरस्वती का जन्म 24 अगस्त 1905 को बिजनौर के आर्य समाज मंदिर में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाप्रसाद था।गंगा प्रसाद उपाध्याय आर्य समाजी थे। वे राजकीय इंटर कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक थे। बिजनौर के आर्य समाजी नेता जय नारायण अरूण के अनुसार ये बिजनौर आर्य समाज में प्रवेश द्वार के पास बने कक्ष में रहते थे। सत्यप्रकाश सरस्वती ने 1927 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायनशास्त्र में एमएससी किया था। 1930 में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। उनका रूझान स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ था। उन्होंने 1930 में स्वयं को सत्याग्रह के लिए प्रस्तुत किया था। किंतु तब उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली थी।
कुछ समय के लिए किया गया था नजरबंद
प्रो.जगदंबा सिंह बताते हैं कि स्वामी सत्य प्रकाश सरस्वती इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष भी रहे थे। उन्हें तथा विधि के केके भट्टाचार्य को 1942 में कुछ समय के लिए नजरबंद किया गया था। 1967 में उन्होंने अवकाश ग्रहण किया था।
अवकाश ग्रहण करने के बाद बन गए थे संन्यासी
प्रो.सिंह बताते हैं कि सत्यप्रकाश सरस्वती ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अवकाश ग्रहण करने के चार साल बाद 10 मई 1971 को संन्यास आश्रम की दीक्षा ली। शुरू में वे नया कटरा में जगराम चौराहे के पास बेली रोड पर रहते थे। संन्यासी बनने पर 1971 से 1982 तक कटरा आर्यसमाज के कार्यालय में रहे। परिव्राजक के रूप में कटरा आर्य समाज कार्यालय में रहकर उन्होंने उसे शीर्ष पर पहुंचा दिया। उनके कारण वहां साहित्यकारों, वैज्ञानिकों तथा आर्य विद्वानों का जमघट रहता था। उनकी रसायन विज्ञान के 'रसशास्त्र तथा 'पुरातन रसायन पक्षों में सर्वाधिक रुचि थी।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो.जगदंबा सिंह बताते हैं कि सत्यप्रकाश सरस्वती का जन्म 24 अगस्त 1905 को बिजनौर के आर्य समाज मंदिर में हुआ था। उनके पिता का नाम गंगाप्रसाद था।गंगा प्रसाद उपाध्याय आर्य समाजी थे। वे राजकीय इंटर कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक थे। बिजनौर के आर्य समाजी नेता जय नारायण अरूण के अनुसार ये बिजनौर आर्य समाज में प्रवेश द्वार के पास बने कक्ष में रहते थे। सत्यप्रकाश सरस्वती ने 1927 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायनशास्त्र में एमएससी किया था। 1930 में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। उनका रूझान स्वतंत्रता आंदोलन की तरफ था। उन्होंने 1930 में स्वयं को सत्याग्रह के लिए प्रस्तुत किया था। किंतु तब उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली थी।
कुछ समय के लिए किया गया था नजरबंद
प्रो.जगदंबा सिंह बताते हैं कि स्वामी सत्य प्रकाश सरस्वती इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष भी रहे थे। उन्हें तथा विधि के केके भट्टाचार्य को 1942 में कुछ समय के लिए नजरबंद किया गया था। 1967 में उन्होंने अवकाश ग्रहण किया था।
अवकाश ग्रहण करने के बाद बन गए थे संन्यासी
प्रो.सिंह बताते हैं कि सत्यप्रकाश सरस्वती ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अवकाश ग्रहण करने के चार साल बाद 10 मई 1971 को संन्यास आश्रम की दीक्षा ली। शुरू में वे नया कटरा में जगराम चौराहे के पास बेली रोड पर रहते थे। संन्यासी बनने पर 1971 से 1982 तक कटरा आर्यसमाज के कार्यालय में रहे। परिव्राजक के रूप में कटरा आर्य समाज कार्यालय में रहकर उन्होंने उसे शीर्ष पर पहुंचा दिया। उनके कारण वहां साहित्यकारों, वैज्ञानिकों तथा आर्य विद्वानों का जमघट रहता था। उनकी रसायन विज्ञान के 'रसशास्त्र तथा 'पुरातन रसायन पक्षों में सर्वाधिक रुचि थी।
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