: जलालाबाद को मिली हड्डियों के इलाज से शोहरत

 : जलालाबाद को मिली हड्डियों के इलाज से शोहरत

एजाज अहमद
नजीबाबाद/जलालाबाद, 22 दिसंबर
चूहे के जरिए किसी स्थान को भी पहचान मिल सकती है सुनकर आश्चर्य होना स्वभाविक है। निक नेम चूहा से जलालाबाद निवासी अब्दुल रहीम बख्श को बचपन से पुकारा जाता रहा। हड्डियों के इलाज की महारथ रखने वाले अब्दुल रहीम बख्श हड्डी संबंधी इलाज के हुनर में दूर-दूर तक नाम रहा।
नजीबाबाद तहसील की ग्राम पंचायत जलालाबाद को हड्डी के इलाज के लिए जाना जाता है। मोहल्ला कुरैशियान प्रथम निवासी अब्दुल रहीम बख्श को हड्डी के इलाज का हुनर विरासत में मिला। एक समय था जब सर्जरी की सुविधाएं सीमित थीं। हड्डी फैक्चर होने और हड्डी रोगों का इलाज कराने के लिए लोगों को भटकना पड़ता था। ऐसे दौर में पहले अब्दुल रहीम बख्श के पिता चौधरी नत्थू ने और फिर कई दशक तक रहीम बख्श ने हड्डी इलाज का मिशन चलाया। रहीम बख्श की चौथी पीढ़‌ि आज भी इस हुनर को आगे बढ़ा रही है।
हड्डी का फैक्चर हो, कूल्हा उतर गया हो, जोड़ों से संबंधी दर्द हो, साइटिका हो या सरवाइकल संबंधी परेशानी हो, अब्दुल रहीम बख्श उर्फ चूहा देसी दवाओं, पट्टी आदि से सब बीमारियों का इलाज करने की महारथ हासिल रखते थे। इलाज के लिए देसी दवाओं से मरहम तैयार करने का भी उन्हें हुनर था। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ पौड़ी गढ़वाल, कुमाऊ, देहरादून, हरिद्वार और कई राज्यों से हड्डी रोगी जलालाबाद के चूहे रहीम बख्श से इलाज कराने के लिए पहुंचते थे।
खुदा के रहमो करम से अब्दुल रहीम को बड़ी उम्र मिली। वर्ष 1994 में 124 साल की उम्र में उनका इंतकाल हुआ। उनके बेटे अब्दुल सलाम उर्फ मुन्ना बचपन से ही साए की तरह रहीम बख्श का हड्डी इलाज में हाथ बटाया करते थे। उन्होंने खानदान के हड्डियों के इलाज के हुनर को आगे बढ़ाया। निक नेम वही चूहा चला।
अब्दुल सलाम उर्फ मुन्ना ने करीब दो दशक तक हड्डी इलाज में नाम कमाया। 78 वर्ष की आयु में तीन वर्ष पूर्व अब्दुल सलाम के इंतकाल के बाद चौथी पीढ़ि के वर्तमान में चौधरी महमूद अहमद हड्डी इलाज की विरासत को निभा रहे हैं। फिजियोथेरेपिस्ट‌ डिप्लोमा प्राप्त महमूद कुरैशी दादा और पिता से मिले अनुभव से हड्डी के इलाज के जरिए जलालाबाद और तहसील का नाम रोशन करने में जुटे हैं।
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इनाम में मिली बुलेट मोटर साइकिल
नजीबाबाद। एक आईपीएस अधिकारी ने अब्दुल रहीम बख्श के हड्डी इलाज से खुश होकर उन्हें इनाम मे बुलेट मोटर साइकिल दी थी। अधिकारी के बेटे के पैर की हड्डी मार्ग दुर्घटना में बुरी तरह टूट गई थी। इधर-उधर इलाज कराने पर आराम नहीं हुआ तो जलालाबाद के चूहे से इलाज कराया और बेटा स्वस्थ हो गया।
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...और जलालाबाद में पैदा हो गए कई चूहे
नजीबाबाद। हड्डी के इलाज के लिए जलालाबाद हड्डी विशेषज्ञ चूहे की शोहरत ऐसी फैली कि दूर दराज से बड़ी संख्या में लोग हड्डी इलाज के लिए जलालाबाद आने लगे। हड्डी रोगियों की बढ़ती संख्या से कई परिवार हड्डी का इलाज करने लगे। एक नहीं कई चूहे इसी निक नेम से हड्डियों के इलाज में जुटे हैं।
एजाज
[: महमूद कुरैशी का कहना है बहुत पहले की बात है इनके दादा फोटो नहीं खिंचवाते थे । दादा, परदादा किसी के फोटो नहीं मिल पा रहे हैं। एक फ्लेक्सी बनी थी इलेक्शन के दौरान उसमें दादा का फोटो लगा था ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। शायद आज शाम तक मिल जाएं।
: इसकी उन्हें जानकारी नहीं है जैसे बचपन में एक दूसरे को कुछ कह दिया जाता है उसी तरह नाम पड़ाl
 महमूद से मालूम किया था लेकिन उसका तर्क सही नहीं था उनका कहना था कि कद छोटा था इसलिए चूहा कहते थे जब कद पूछा गया तो 5 फीट से अधिक बताया l

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