गोलबाग_जनपद_बिजनौर
#गोलबाग_जनपद_बिजनौर
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झालू आम के बागों के रूप में भी जाना जाता था झालू से तीन किलोमीटर दूर गोलबाग नाम से एक चौक मशहूर है बहुत एक बडा बाग हुआ करता था जिसे गोल बगिया भी कहा जाता था
यह वही गोलबाग है जो कभी डाकुओं लुटेरो की धमाचौकड़ी के लिए बदनाम रहा है गोलबाग का नाम सुनकर चौकने की जरूरत कतई नहीं है
मुरादाबाद बिजनौर हाईवे एक एसा मार्ग है जहा कोई मोड़ नही है रास्ता बताने वाले बताते हैं आप नाक की सीध चले जाए मुरादाबाद पहुच जाएँगे गोल बाग का नाम आते ही जहन में तमाम बातें दौड़ने लगती हैं
ग्रामीण क्षेत्र मे किदवतियाँ हैं कि 1857 कि क्रांति के दौरान यह गोल बगीया अधेरीया बाग के नाम से जानी जाती थी
यहां विभिन्न प्रजाति के लाखो पेड़ हुआ करते थे यहां सैर सपाटे के लिए ब्रिटिश सरकार के खास लोग पहुंचते थे यह बाग आज मौजूद नही है यह दीगर बात है कि उस बाग का एक कुआं आज भी मौजूद है यहां के लोग आते-जाते समय इसका परिचय गोल बाग कहकर ही कराते हैं
किवतीयाँ है कि गोलबाग नामक यह गोलबाग जंग ए आजादी का गवाह रहा है यहां 1857 क्रांति के दौरान अंग्रेजों का विरोध करने वालों को पकड़-पकड़कर पेडो पर लटका कर यात्नाए दी जाती थी जो लोग ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाते थे
मुरादाबाद की ओर से आने वाले कई क्रांतिकारियों ने यहाँ स्थित कुए से प्यास बुझाई है ब्रिटिश सरकार के दौरान ब्रिटिश सरकार के अफसरो ने लगभग 200 साल पहले बिजनौर मुरादाबाद पर चकरोड नुमा सडक बनवाई थी जिस से ब्रिटिश आर्मी मेरठ आसानी से पहुच सके आजादी के बाद यह सडक पटरी नुमा पक्की बनवाई गयी ब्रिटिश अफसरों का रेस्टाहाऊस हल्दौर के निकट आज भी मौजूद है
प्रस्तुति----------तैय्यब अली
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