बिजनौर के गांधी कहे जाते थे लाला ठाकुर दास

 बिजनौर के गांधी कहे जाते थे लाला ठाकुर दास


बिजनौर। हल्दौर निवासी लाला ठाकुर दास जनपद बिजनौर में स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत करने वाले चंद लोगों में से एक थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन की अलख जगाने के साथ-साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों के विरुद्ध भी जमकर संघर्ष किया। इसी कारण वे बिजनौर के गांधी कहे जाने लगे थे।

लाला ठाकुर दास के प्रपौत्र सौरभ ऐरन ने बताया कि कांग्रेस पार्टी की बिजनौर में स्थापना 1916 में हुई, लाला ठाकुर दास उसके संस्थापक सदस्य रहे। 1921 में उन्हें कांग्रेस के जिलाध्यक्ष का दायित्व मिला। वह निरंतर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे और लोगों में आजादी की अलख जगाते रहे। 1923 में गंज में लगे गंगा मेले का उद्घाटन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। लाला ठाकुर दास गंगा मेले के स्वागत अध्यक्ष थे। उन्होंने गंगा मेले में स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार के लिए एक कैंप लगवाया था। उस वक्त गंगा मेले की अध्यक्षता सरोजनी नायडू ने की थी। इसके बाद अंग्रेजी सरकार की ओर से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से गंगा मेला लगाने का अधिकार छीन लिया था।


1929 में नमक सत्याग्रह के दौरान लाला ठाकुर दास जेल गए। 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में आप एक वर्ष के लिए फिर जेल गए। 1939 में सत्याग्रह करने के लिए बिजनौर से सेनानियों का एक दल लेकर वह हैदराबाद गए थे, वहां गिरफ्तार हुए और उन्हें 18 महीने के लिए जेल भेज दिया गया। क्षेत्रीय इतिहास संकलन अभियान जनपद बिजनौर के संचालक फीना निवासी हेमंत कुमार बताते हैं कि लालाजी जीवन भर महात्मा गांधी के आदर्श पर चलते रहे। बरेली जेल में रहने के दौरान पंडित नेहरू, गोविंद वल्लभ पंत और बद्री दत्त पांडेय जैसे क्रांतिकारियों के साथ एक ही बैरक में बंद रहे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ सामाजिक आंदोलन भी चलाए। उन्होंने हल्दौर में पहला दलित सह भोज आयोजित किया।

रसद प्रथा के विरोध में चलाया था आंदोलन

1913 में लाला ठाकुर दास ने चौधरी चंदन सिंह आदि के साथ मिलकर रसद प्रथा के विरोध में आंदोलन किया। 1918 में रोलर एक्ट के विरोध उन्होंने सफल आंदोलन किया। जेल में गोविंद सहाय, जसवंत सिंह तथा लाला ठाकुर दास के पैरों में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा बेड़ियां डाल दी गई थीं। इसके विरोध में उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की। अंग्रेजी हुकूमत को उनके आगे झुकना पड़ा और कैदियों की मनोदशा में सुधार हुआ। जीवन के अंतिम समय में वह वानप्रस्थ आश्रम में चले गए। ज्वालापुर हरिद्वार में अगस्त 1942 को उनका निधन हो गया। उन्होंने हल्दौर में 1911 में एक विद्यालय स्थापित किया था, जो आज सीडी इंटर कॉलेज हल्दौर के नाम से जाना जाता है। इसमें लाला ठाकुर दास की प्रतिमा स्थापित की गई, जिसका अनावरण बिजनौर मूल के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. आत्माराम ने 13 मार्च 1980 को किया था।


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लाला ठाकुर दास “ अगस्त 2021 अमर उजाला

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