123 बरस पहले पत्थर वर्षा से तबाह हो गया था दौलताबाद
: जिले के कुछ ही लोगों को यह पता होगा कि बिजनौर के कोतवाली देहात ब्लाक के गांव दौलताबाद में 20 अप्रैल 1888 को पत्थरों की बारिश हुई थी। जिसमें पूरा गांव तबाह हो गया था। 246 ग्रामीण तथा 1600 पशु मारे गए थे। इस घटना का जिक्र व्हीटेकर्स वर्ड ऑफ फैक्ट नामक पुस्तक में है। आज इस घटना को 123 वर्ष बीत चुके हैं। भूगोलविद् उल्का पिंडों के पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आने को घटना का कारण मानते हैं। दुनिया के कई स्थानों पर ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। कोतवाली देहात ब्लाक का ग्राम दौलताबाद आज काफी खुशहाल है। गांव की आबादी करीब 4,800 है और गांव में हर बिरादरी व जाति के लोग रहते हैं। इस गांव के लोग 20 अप्रैल को काला दिन मानते हैं। गांव के बुजुर्ग अली हसन, मेहंदी हसन, सुक्खे व प्रेमचंद जैन बताते हैं कि 20 अप्रैल 1888 को गांव में पत्थरों की वर्षा हुई थी। आबादी क्षेत्र में ही पत्थरों की वर्षा होने के कारण गांव तबाह हो गया था। पत्थरों की चपेट में आकर तमाम लोग व पशु मारे गए थे, कई घायल हुए थे। गांव में कुछ ही परिवार के लोग जिंदा रहे थे। जहां पत्थरों की वर्षा हुई थी, आज उस स्थान पर टीला बन चुका है और इसी टीले पर गांव की काफी आबादी बसी हुई है। रिटायर्ड शिक्षक ने पुस्तक में पढ़ी घटना हाफिज मोहम्मद इब्राहिम इंटर कालेज से प्रवक्ता के पद से रिटायर हुए कस्बा शेरकोट निवासी विसाल अहमद (67) ने बताया कि उन्होंने दौलताबाद में पत्थरों की वर्षा होने की घटना को रशल ऐश की व्हीटेकर्स ऑफ फैक्ट नामक पुस्तक में एवरी सब्जेक्ट ऑन अर्थ के शीर्षक से पढ़ा है। इस पुस्तक में खुलासा किया गया है कि गांव में क्रिकेट के गेंद के आकार के पत्थरों की वर्षा हुई थी और पत्थरों की चपेट में आकर 246 लोग व 1600 पशु मारे गए थे। उल्का पिंड के अंश बरसे वर्धमान कालेज में भूगोल विभागाध्यक्ष डा. एनएस त्यागी बताते हैं कि ब्रह्मांड में सूर्य, चन्द्रमा व पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रह व उपग्रह के अलावा उल्का पिंड भी घूमते हैं। कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई उल्का पिंड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण तीव्र गति से वायुमंडल में प्रवेश करता है। वायु घर्षण के कारण यह उल्का पिंड जलकर टुकड़े-टुकड़े हो जाता है। उल्का पिंड के यही अंश पत्थर के रूप में पृथ्वी पर किसी भी स्थान पर बरस जाते हैं। दुनिया के कई स्थानों पर ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। यह है किवदंती ग्राम दौलताबाद के बुजुर्गो का कहना है कि क्षेत्र के राजा की पुत्री काफी सुंदर थी। राजा अपनी पुत्री की सुंदरता पर मोहित हो गया। राजा ने बेटी से विवाह करने की रजामंदी के लिए पंचायत बुलाई। पंचायत में राजा ने अपनी इच्छा जाहिर की, जिसका एक वाल्मीकि ने विरोध किया। वाल्मीकि ने राजा के बेटी से विवाह करने पर क्षेत्र में पत्थरों की वर्षा होने का श्राप दिया था। इसके बावजूद राजा ने पुत्री से ही विवाह कर लिया। इसके बाद ही गांव में पत्थरों की वर्षा हुई।
jagran Publish Date:Thu, 17 Nov 2011 04:54 PM (IST) बिजनौर
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