पू्र्व राज्यपाल धर्मवीर जन्म 20 जनवरी 1906 निधन। 16 सितंबर 2000

आखिर कौन थे वो पूर्व राज्यपाल... जिन्होंने 1977 में की थी पुलिस कमिश्नरी सिस्टम की सिफारिश न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बिजनौर Published by: कपिल kapil Updated Tue, 14 Jan 2020 12:47 AM IST पूर्व राज्यपाल धर्मवीर पुलिस सुधार के लिए कमिश्नरी सिस्टम की सिफारिश बिजनौर के रहने वाले पूर्व राज्यपाल धर्मवीर ने चार दशक पूर्व ही की थी। 1977 में गठित राष्ट्रीय पुलिस आयोग के वह अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व में आयोग ने आठ सिफारिशें भेजी थीं, लेकिन राजनीतिक और नौकरशाही ने इन्हें लागू नहीं होने दिया था। अब उत्तर प्रदेश के लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू किया गया है। बिजनौर के धर्मनगरी में राजघराने से ताल्लुक रखने वाले धर्मवीर राजा ज्वाला प्रसाद के पुत्र थे। राजा ज्वाला प्रसाद प्रथम भारतीय चीफ इंजीनियर रहे हैं। धर्मवीर की शिक्षा लखनऊ व इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लखनऊ स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से हुई थी। 1930 में वे इंडियन सिविल सर्विस में नियुक्त हुए। कई जिलों के डीएम रहे। 1945 से 1947 भारत सरकार के टैक्सटाइल कमिश्नर रहे। 1947 में देश आजाद होने के बाद भारत के पहले मंत्री मंडल में संयुक्त सचिव बने। 1950 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रमुख निजी सचिव रहे। भारत सरकार के अनेक विभागों के सचिव भी रहे। 1964 के अंत में भारत सरकार के कैबिनेट सेक्रेट्री नियुक्त हुए। 1966 से 1972 तक पंजाब, पश्चिम बंगाल, मैसूर के राज्यपाल रहे। जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो धर्मवीर को 1977 में गठित राष्ट्रीय पुलिस आयोग के अध्यक्ष बनाया गया था। उसी दौरान उन्होंने पुलिस सुधार के लिए कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सिफारिश की थी। तब तमाम नौकरशाहों, बड़े तबके व राजनीतिक लोगों ने इसकी अनदेखी कर दी और कमिश्नर सिस्टम की फाइल को दबाए रखा गया। राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यह सिस्टम लागू नहीं हो पाया था और तमाम सरकार पुलिस को फ्री हैंड देने से डरती रहीं। नौकरशाही का एक बड़ा तबका तो कमिश्नर सिस्टम का विरोध करता रहा। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अहम फैसला कर इस सिस्टम को लागू किया है। सितंबर 2000 में हुआ था निधन पूर्व राज्यपाल धर्मवीर का 94 साल की आयु में 16 सितंबर 2000 में निधन हो गया था। धर्मवीर के छोटे भाई कुंवर सत्यवीर भी कई बड़े पदों पर रहे। वे 1946 में जिला पंचायत के सदस्य बने। फिर जनता पार्टी के शासनकाल में प्रदेश सरकार में तकनीकी शिक्षा मंत्री बनाए गए। वह तीन बार विधायक बने।

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