...जहां श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के छप्पन भोग छोड़, खाया था विुदर का भाव भरा साग

रैना पालीवाल, अमर उजाला, मेरठ सबसे ऊंची प्रेम सगाई, दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर पाई... सूर के इस पद को चरितार्थ करती है विदुर कुटी। जहां श्रीकृष्ण ने दुर्योधन के छप्पन भोग छोड़ विुदर का भाव भरा साग खाया था। विदुर कुटी के बाहर खड़ा बथुआ का पेड़ उस स्मृति को जीवंत कर रहा है। यहां बारह महीने बथुआ उगता है। दूर दराज से आने वाले भक्त प्रसाद में यही लेकर जाते हैं। जब दुर्योधन ने श्रीकृष्ण के संधि प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तब वह उसका आतिथ्य छोड़कर विदुर के घर आए और उन पर कृपा की। व बिजनौर से 10 किमी दूर दारानगर गंज में विदुर कुटी है। महाभारत युद्ध के समय महिलाओं को सुरक्षित स्थान पर रखने के लिए विदुर आदि ने योजना बनाई। गंगा के किनारे पर इनके रहने के लिए स्थान नियत किया गया। महिलाओं के होने के कारण इसका नाम कालांतर में दारानगर यानी स्त्रियों का नगर पड़ गया। यहां कार्तिक पूर्णिमा पर विशाल मेला लगता है जिसमें असंख्य श्रद्धालु गंगा स्नान करते हैं। विज्ञापन विदुर कुटी को बिड़ला मंदिर भी कहते हैं। वर्तमान में इस स्थान से गंगा करीब दो किमी दूर हो गई हैं। प्रांगण में विदुर जी की विशाल मूरत स्थापित है। इसका अनावरण पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने तीन नवंबर 1960 में किया था। इसके साथ यहां सुदर्शन चक्र धारी श्रीकृष्ण भी विराजमान हैं। धृतराष्ट्र-संजय, कौरवों की सभा में द्रौपदी का चीरहरण, अर्जुन को उपदेश देते श्रीकृष्ण आदि प्रसंगों को यहां दर्शाया गया है। विदुर कुटी के पुजारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि विदुर जी महाभारत युद्ध को रोकना चाहते थे। उन्होंने धृतराष्ट्र से पांडवों को आधा राज्य देने को कहा। धृतराष्ट्र द्वारा अपमान किए जाने पर विदुर यहां चले आए। इस स्थान पर उन्होंने तपस्या की। जब संधि प्रस्ताव लेकर श्रीकृष्ण हस्तिनापुर गए, तब यहां आए। कहीं कहीं श्रीकृष्ण द्वारा केले के छिलके खाने का जिक्र भी आया है। सूर के पद में साग का उल्लेख है। यहां बारह मास बथुआ होता है। दूर-दूर से भक्त विदुर कुटी में आते हैं। बिड़ला द्वारा ही इस मंदिर का निर्माण कराया गया जो 1978 में पूरा हुआ। यहां कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान और सावन में छड़ी का मेला लगता है। पांडवों की आस्था से जुड़ा देवी मंदिर बिजनौर में कई क्षेत्र हैं जिन्हें महाभारत काल से जोड़ा जाता है। चांदपुर का देवी मंदिर पांडवों की आस्था से जुड़ा है। यहां बरगद का प्राचीन वृक्ष है। मठ में काली माता विराजमान हैं। उनके सामने दुर्गा मां की स्मित मूरत है। मान्यता है कि पांडव यहां देवी की पूजा-अर्चना के लिए आते थे। विदुर कुटी से करीब 25 किमी दूर सेंधवार सैन्यद्वार का अपभ्रंश है। कहते हैं कि महाभारत काल में यहां सेना रहती थी। %%%%%%%%%%% https://www.navodayatimes.in/news/khabre/cm-yogi-vidurkuti-will-be-made-in-bijnor-oriental-india-education-study-center-prshnt/181704/ नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बिजनौर में अपने संबोधन मे विदुरकुटी को प्राच्य भारत शिक्षा अध्ययन केन्द्र बनाए जाने की घोषणा की। इसके बाद महाभारत सर्किट में शामिल इस पौराणिक महत्व के स्थल के जीर्णोद्धार और पर्यटक स्थल बनने की संभावनाएं प्रबल हो गयी हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बिजनौर-नजीबाबाद मार्ग पर बिजनौर से लगभग छह-सात किलोमीटर पर ग्राम स्वाहेडी में बन रहे मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास कर इसका नाम विदुर के नाम पर रखने की घोषणा करते हुए सभा से कहा कि महात्मा विदुर की पावन तपोस्थली को प्राच्य भारत शिक्षा अध्ययन केन्द्र के रूप में विकसित किया जाएगा। बिजनौर से लगभग 12 किमी दूर चांदपुर मार्ग पर स्थित महाभारत सर्किट में शामिल विदुरकुटी के विषय में पौराणिक ग्रन्थों में कहा गया है कि महाभारत युद्ध के समय महात्मा विदुर कौरवों से कुपित होकर हस्तिनापुर से गंगा पार कर बिजनौर की ओर गंगा किनारे कुटी बनाकर रहने लगे थे। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण कौरवों को युद्ध टालने के लिए समझाने आए थे मगर सफल नहीं होने पर उनके छप्पन भोग छोड़ कर विदुर जी की कुटी में आ गये थे।

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