सबलगढ़ एक ऐतिहासिक गांव − -तैय्यब अली की फेसबुक वॉल से
#सबलगढ़_तहसील_नजीबाबाद, बिजनौर, उ.प्र.
सबलगढ़ एक ऐतिहासिक गांव है जिसे बादशाह शाहजहाँ के समकालीन नवाब सबल ख़ाँ ने यह गाँव बसाया था यहाँ पुरानी गढ़ी के खंडहर आज भी पाए जाते हैं
अनजान जगह और सुनसान किले मुझे शुरू से ही अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं ऐसे ही एक गुमनाम किले की तलाश में मै पहुँच गया हूँ जनपद बिजनौर के एतिहासिक गाँव सबलगढ़
प्राचीन किले हमेशा ही रहस्य और जिज्ञासा का विषय रहे हैं नजीबाबाद से लगभग 15 कि.मी. दूर सबल खाँ द्वारा बसाए गये गाँव सबलगढ में भी एक ऐसे किले के अवशेष मौजूद है जो बेहद रहस्मयी है इस किले का केवल एक ही गेट खडा दिखाई देता है गेट के नीचे गहरा कुआँ है जहा कुछ लोग परियो व जिन्नातो के किस्से सुनाते हैं ग्रामीण बताते कि इसमें सोने का चरखा व अशर्फिया मौजूद है
यह वह रहस्यमयी किला है जिसमें छुपा है खजाना जिसे आज तक कोई नहीं खोज पाया कोई अब यह नही कहना चलो ढूँढते है यह उपर वाला ही जाने यहा क्या है क्या नही मगर किदवतिया तो खूब प्रचलित है
एसे प्राचीन किले व गढ़ी हमेशा से ही रहस्यमयी और जिज्ञासा का विषय रहे हैं ऐसे कई किले हैं जो इतने रहस्यमयी हैं कि उनके बारे में ठीक से कोई भी नहीं जानता
एक ऐसा ही किले का गेट व यहाँ का डरावना कुआँ आज भी मौजूद है जिसकी विशेषता ही इतनी डरावनी है कि अनेक लोग सुनकर ही यहां जाने से डरते हैं क्योंकि उहां जिन्नातो कि बस्ती के साथ साथ काला बहुत बड़ा साँप भी रहता है
आइए इस किले के बारे में विस्तार से जानें।
सबलगढ के पास एक उँचे टीले पर
इंसानी बस्ती के निशान आज भी मौजूद है जहा कभी प्राचीन समय मे एक बस्ती एक ऊँचे टीले पर हुआ करती थी जिसे शाहजहाँ गढी के नाम से जाना जाता था वर्तमान समय में यह गाँव अब उस टीले से
लगभग 2 किमी दूर बसा हुआ है
सबलगढ के आस पास के क्षेत्रो में भेड़ पालने का काम बहुत बड़ी तादाद में होता था वर्तमान समय में अपनी पुरानी पहचान पूरी तरह से खो कर नयी पहचान को ग्रहण कर ली है
ग्रामीणो मे प्रचलित कदवँतिया हैं कि इस किले में किसी अज्ञात जगह पर नवाब सबल खाँ का खजाना छुपा हुआ है जिसे आज तक खोजा नहीं जा सका है इस किले को अलग अलग नाम से जाना जाता है यहां छुपे खजाने की वजह से ही इसे जिन्नातो परियो का किला' भी कहा जाता है यह किला शाहजहाँ मे बना था एसा यहाँ के लोगो द्वारा बताया गया कहते हैं कि इस के खजाने के रहस्य से न तो आज तक पर्दा उठ पाया है और न ही कोई खजाने तक पहुंच पाया है।
ऐसा माना जाता है कि किले के अंदर ही एक पांच किलोमीटर लंबी सुरंग है लेकिन इस सुरंग के अंतिम छोर तक आज तक कोई भी नहीं पहुंच पाया है डरावना और अंधेरा होने के कारण इस सुरंग में अंदर जाने की कोई सोचता भी नहीं।
किले के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि रात में किले से अजीब-अजीब आवाजें आती हैं उनका मानना है कि खजाने की रक्षा किले में मौजूद रूहानी ताकतें करती हैं हालांकि इसका कोई पुख्ता सबूत किसी के पास नहीं है।
कहा जाता है कि नवाब सबल खाँ इस सुरंग का इस्तेमाल खजाना छुपाने के लिए क्या करते थे इसी के लिए उन्होंने किले में एक गुप्त सुरंग का निर्माण करवाया था, जिसका रास्ता सीधे खजाने तक जाकर खुलता था।
यहां छिपे खजाने की खोज में ग्रामीण किले में कई बार गुपचुप तरीके से खुदाई कर चुके हैं यहां तक वो उस रहस्यमयी सुरंग में भी जाने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन सबको अब तक नाकामी ही हाथ लगी है कहते हैं कि खजाने का रहस्य नवाब सबल खाँ के मरने के साथ ही दफ्न हो गया था यहां तक कि उनके परिवार के किसी भी सदस्य को भी वो खजाना नहीं मिला था
सबलगढ़ किले की सबसे आश्चर्यजनक बातों में से एक यह भी है कि यहां के महल किले रिहाईशी इलाके और बाकी सभी चीजे ज़मींदोज़ हो चुकी हैं पर निशान आज भी मौजूद है।
मुझे इतिहास की जानकारी हासिल करने पढ़ने लिखने और खोज करने का बहुत शौक है अगर आपके पास इस किले के सम्बन्ध
मे और अधिक मालूमात हो तो बराये मेहरबानी शेयर करे धन्यवाद
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प्रस्तुति---------तैय्यब अली
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