हाफ़िज़ मुहम्मद इब्राहीम प्रसिद्ध राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता थे जिनका जन्म सन 1889 में
हाफ़िज़ मुहम्मद इब्राहीम प्रसिद्ध राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता थे जिनका जन्म सन 1889 में
#बिजनौर ज़िलेके नगीना कस्बे में हुआ था।
काबिले तारीफ रहा है इब्राहीम परिवार का देश के प्रति योगदान ??!!!!!!!!+!!!!!!!!??
इब्राहीम साहब की आरम्भिक शिक्षा नगीना के मदरसे में हुई। पूरा क़ुरान शरीफ कंठस्थ करने के कारण उन्हें 'हाफ़िज़' की उपाधि दी गयी थी। आगे अलीगढ़ से क़ानून की डिग्री लेने के बाद हाफिज़ जी ने अपने ज़िले में वकालत शुरू की।
1937 के चुनाव में मुस्लिम लीग के उम्मीदवार के रूप में विधान सभा के सदस्य चुने गए। लेकिन बँटवारे को लेकर काँग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद हो गया। इस पर हाफ़िज़ जी ने मुस्लिम लीग छोड़ दी और काँग्रेस में शामिल हो गए। काँग्रेस मे अनेक वर्षों तक मंत्री रहे।मौलाना आजाद की मृत्यु के बाद वे कुछ समय तक केंद्र सरकार में भी मंत्री पद पर रहे।????
आजादी की लड़ाई में नगीना के लोगों ने भी बढ़चढ़कर भाग लिया था।हाफिज मुहम्मद इब्राहीम के कुनबे के कई लोगों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने पर जेल की यात्रा की थी।इस परिवार का एक दस वर्षीय छात्र भी हाथ में तिरंगा लेकर सड़क पर उतर आया था।नौ अगस्त 1942 को हाफिज मुहम्मद इब्राहीम को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया। उनके बहनोई अब्दुल लतीफ गांधी को बिजनौर में गिरफ्तार कर लिया। हाफिज साहब के साले मौलाना हिफजुर्रहमान (स्योहारा) को भी भारत छोड़ों आंदोलन में शामिल होने पर 6 माह जेल जाना पड़ा। बिजनौर के मुस्लिम इंटर कालेज में पढ कर रहे 15 वर्षीय अतिकुर्रहमान ने भी तिरंगा हाथों में ले कर सड़क पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस कालेज के भवन पर तिरंगा फहराने की कोशिश पर पुलिस ने अतिकुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया था बाद मे कालेज से भी निष्कासित कर दिया गया था।अजीजुर्रहमान ने अपने निधन से पूर्व कहा था कि देश सेवा मेरे परिवार के लिए धर्म के समान है धर्म की सेवा की जाती है और धर्म सेवा का कोई मूल्य नहीं होता।शहीदों की मजारो पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मर मिटने वालो का बस यही नामो-निशान होगा।
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सलाम उन हजारो-लाखो शहीदों पर जिन्होंने हँसते -हँसते देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दे दिया फिर चाहे वह भगत सिंह हो या सुभाष चंद्र बोस,महात्मा गांधी ,लाला लाजपत राय हो या रानी लक्ष्मी बाई या लाखो वे शहीद जिनके विषय में हम कुछ नहीं जानते। परन्तु इन सबकी ही वजह से हमारा देश गुलामी की जंजीरो से आजाद हुआ किया हम उन वीर सपूतो को याद करते है जिन्होंने 1947 से लेकर आज तक हमारी आजादी को सुरक्षित रखने के लिए अपना जीवन कुर्बान किया।हमारी हर एक आजाद सांस कर्जदार है उन शहीदों के बलिदानो की जो अपना पूरा परिवार पीछे छोड़ कर पुरे भारत को अपना परिवार मानते थे और निरंतर उसके रक्षा में लगे रहते थहू
हमे आप पर नाज़ है हाफिज मोहम्मद इब्राहिम आप की कुर्बानी पर मे आप को सलाम करता हू
प्रस्तुति- तैय्यब अली
हाफ़िज़ मोहम्मद इब्राहीम का जन्म नगीना के क़ाज़ी सराय में सन १८८८ में हुआ था,इनकी प्राथमिक शिक्षा राजकीय दीक्षा विधालय और उच्च शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पुरी हुई थी,आज़ादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के कारण बिर्टिश हुकूमत ने इन्हें गिरफ़्तार कर के फ़तहगढ़ जेल में डाल दिया था,देश के आज़ाद होने के बाद हाफ़िज़ साहब को राज्य सभा के लिए नामित किया गया,जवाहर लाल नेहरु की सरकार में हाफ़िज़ साहब १९५८ तक केंद्रीय मंत्री रहे,वक़्फ़ बोर्ड ऐक्ट को लाने और पाकिस्तान और भारत के बीच सिन्धु नदी विवाद को सुलझाने में हाफ़िज़ इब्राहीम साहब का बड़ा योगदान था,राष्ट्र के लिए किए गए महान योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने सन १९६६ में हाफ़िज़ साहब को पंजाब सूबे का गवर्नर बनाया था और हाफ़िज़ मोहम्मद साहब के अमूल्य योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें पद्मम विभूषण की उपाधी से नवाज़ा था!
तैरूयब अली की फेसबुक वॉल से
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