बिजनौर के रहने वाले हैं अधिवक्ता प्रशांत भूषण
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बिजनौर के रहने वाले हैं अधिवक्ता प्रशांत भूषण
बिजनौर। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना में एक रुपये के जुर्माने या तीन महीने की सजा पाने वाले देश के प्रसिद्ध अधिवक्ता प्रशांत भूषण बिजनौर के रहने वाले हैं। उनके दादा ने बिजनौर में वकालत की है। बाद में वे प्रयागराज और फिर दिल्ली जाकर बस गए। बिजनौर के कई परिवारों के संपर्क में आज भी प्रशांत भूषण का परिवार रहता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना का हिस्सा रहे प्रशांत भूषण आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वे देश के मशहूर वकील तो हैं ही, अपने बयानों को लेकर भी वे सुर्खियों में रहते हैं। प्रशांत भूषण को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में एक रुपये के जुर्माने या तीन महीने के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही तीन साल तक उनके वकालत करने पर भी रोक लग सकती है। जिले में शायद ही कुछ लोगों को पता है कि प्रशांत भूषण बिजनौर के रहने वाले हैं। जाटान मोहल्ले में भाजपा का पुराना कार्यालय है। उसके पास का भवन इनका पैतृक आवास हुआ करता था। प्रशांत भूषण के दादा विश्वामित्र जिले के मशहूर अधिवक्ता थे। उनके नाम पर आज भी जिले में विश्वामित्र पुस्तकालय है। प्रशांत भूूषण के दादा विश्वामित्र बहुत पहले प्रयाग राज चले गए। करीब सन 1975 में उन्होंने अपना आवास बिजनौर के व्यापारी और भाजपा नेता बालेश्वर प्रसाद को बेच दिया। वहां से बाद में उनका परिवार दिल्ली चला गया। अब परिवार दिल्ली में ही रहता है।
प्रशांत भूषण देश में बड़ा नाम हैं। प्रशांत भूषण के घर के पास रहने वाले संजय खन्ना एडवोकेट बताते हैं कि भाजपा को पुराने कार्यालय के पास प्रशांत भूषण का ही घर था। उनके परिवार के प्रशांत भूषण के परिवार वालों से पुराने संबंध रहे हैं। एडवोकेट संजय खन्ना बताते हैं कि कुछ साल पहले शांति भूषण अपने परिवार के सदस्यों के साथ बिजनौर आए थे। वे परिवार के सदस्यों को अपने पैतृक आवास में भी लेकर आए थे। उनके परिवार से भी उनका परिवार मिला था। शांति भूषण अपने पैतृक आवास को देखकर भावुक को गए थे। बालेश्वर प्रसाद के बड़े बेटे शरद गुप्ता बताते हैं कि उनके पिता ने प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण से साल 1975 के आसपास भवन खरीदा। उनका परिवार अब इसी घर में रह रहा है। लोक समाज केंद्र बिजनौर के सचिव सुरेंद्र विश्नोई बताते हैं कि कुछ साल पहले बिजनौर में एक नेत्र चिकित्सा शिविर लगाया गया था। इसमें प्रशांत भूषण को बुलाया गया था। प्रशांत भूषण शिविर में आए थे और गर्मजोशी से सबसे मिले भी थे।
21 अगस्त 2020 में अमर उजाला में मेरा लेख
शांित भूषण जी के दादा जी का नाम भगवान दास था।ये शिक्षक थे।
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