तुंगल सिंह का अंग्रेजों में था खौफ

 हिन्दुस्तान• मेरठ

• रविवार• 12 अगस्त 2018 •


तुंगल सिंह का अंग्रेजों में था खौफ

• बिजनौर की धामपुर तहसील के गांव उदयपुर के 11 स्वतंत्रता सेनानी

आजादी की

गुमनाम लड़ाई

धामपुर शहबाज अनवर

तहसील धामपुर के गांव पदारथपुर उर्फ उदयपुर की माटी को अपने वीरों पर गर्व है। गर्व इसलिए क्योंकि इस गांव की माटी ने एक नहीं बल्कि 11 स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया। उसमें भी यादगार पहलू ये कि इन 11 आजादी के मतवालों में आठ लोग एक ही परिवार से हैं। इस परिवार में ही स्वतंत्रता सेनानी तुंगल सिंह और उनकी पत्नी भागीरथी देवी से पुत्र भारत भूषण भी जन्मे हैं, जिनका जन्म ही जेल में और उन्हें कवित्री और पूर्व हुआ गवर्नर सरोजनी नायडू ने नाम दिया था। इसके बावजूद यह गांव गुमनाम नजर आता है।

धामपुर तहसील का गांव पदारथपुर उर्फ उदयपुर की आबादी अभी करीब 970 है, लेकिन आजादी से पहले इस गांव की मिट्टी में पैदा हुए आजादी के मतवालों ने देशभर के अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया था। गांव के लाल सिंह के दो बेटे हुए। इन बेटों में सबसे बड़े पुत्र भोला सिंह रहे।

भोला सिंह खुद तो स्वतंत्रा सेनानी थे ही उनकी पत्नी न्यादरी देवी भी स्वतंत्रता सेनानी हुई। दूसरे नंबर के पुत्र किशन सिंह बेहद इमानदार और गांधीवादी सोच रखने वाले स्वतंत्रा सेनानी थे। भोला सिंह के घर में एक पुत्र

गांव को गर्व

पूर्व गवर्नर और कवित्री सरोजनी नायडू ने किया था नामकरण

• परिवार में तीन महिला स्वतंत्रता सेनानी होने से गांव को गर्व

पत्नी भागीरथी देवी ने जेल में ही दिया था एक पुत्र को जन्म

डॉ. भारत भूषण हिन्दुस्तान

भागीरथी देवी • हिन्दुस्तान

ने जन्म लिया। इस पुत्र को तुंगल सिंह नाम मिला जो अंग्रेजों के लिए बड़ी मुसीबत बन गए। तुंगल सिंह उदारवादी नाम दिया था। फितरत के नहीं थे।

उनसे अंग्रेज खौफ खाते थे। वह उग्र शैली के लिए जाने जाते थे। उनकी पत्नी भागीरथी देवी भी अपने पति के साथ कदमताल रहीं। भागीरथी देवी ने वर्ष 1943 में 6 जनवरी को बरेली जेल में एक बेटे को जन्म दिया था। इस

एक ही परिवार में जन्में आठ स्वतंत्रता सेनानियों में एक थे तुंगल सिंह

स्वतंत्रता सेनानियों पर एक निगाह

भोला सिंह- लाल सिंह ने अपने बेटे का नाम भोला भले ही रखा लेकिन इस नाम ने अंग्रेजों को काफी रुलाया। वर्ष 1909 में जन्में भोला सिंह ने 1929 में धामपुर आए महात्मा गांधी के विचारों को सुना। विचार सुनते भोला सिंह स्वतंत्रा की लड़ाई में कूद गए। उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन में 6 माह का कारवास मिला। 20 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

न्यादरी देवी भोला सिंह की पत्नी न्यादरी देवी अपने पति की तरह ही एक दिलेर महिला थीं। वर्ष 1932 और वर्ष 1941 के सत्याग्रहों में क्रमशः तीन और छ: माह का कारवास काटा और बिजनौर कारागार में बंद रहीं।

• किशन सिंह • किशान सिंह जितने ईमानदार थे उतने ही साहसी भी थे। उन्होंने युवा अवस्था में ही पढ़ाई छोड़ कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। 1932 में किशन सिंह आंदोलन में कूदे और बाद में उन्हें मुरादाबाद जेल में 6 माह कारवास सुनाया गया।

तुंगल सिंह - भोला सिंह के सुपुत्र तुंगल सिंह और उनकी पत्नी भागीरथी देवी ने अंग्रेजी हुकूमत की नाक में दम कर दिया था। हाल ये था कि तुंगल सिंह ने वर्ष 1942 में हल्द्वानी में रामलीला मैदान में जनसभा को संबोधन में अंग्रेजों के खिलाफ जबरदस्त भाषण दिया। नतीजा ये हुआ कि अंग्रेज हुकूमत ने तुंगल सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 50 रुपये के इनाम की घोषणा की। उन्हें पकड़ भी लिया गया। अपने आंदोलन के दौरान तुंगल सिंह को छः माह, 19 माह तक के लिए जेल जाना पड़ा था।

बच्चे को जेल में बंद कवियत्री और पूर्व गवर्नर सरोजनी नायडू ने भारत भूषण

भारत भूषण गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में प्राचीन विद्या के डीन पद से रिटायर हुए हैं। भारत भूषण बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद सरोजनी नायडू ने भारत भूषण के माता-पिता से मुलाकात की और भारत भूषण को सरकारी धन से पढ़ाई का न्यौता दिया। ही जीवित हैं।

लेकिन माता-पिता ने इंकार कर दिया। कहा कि वे अपने बेटे को पढ़ाई के लिए इंग्लेंड नहीं भेजेगें। भारत में ही उनका बेटा शिक्षा पाएगा। इसी परिवार में स्वरूपिया देवी और मुरली सिंह भी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। इसके अलावा गांव के ही मेहरबान सिंह तथा हरदेव सिंह का नाम भी इन स्वतंत्रा सेनानियों में गिना जाता है। वर्तमान में भारत भूषण ही जिवित है(


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