भाई बहिन का मठ नांगल जट
- Get link
- X
- Other Apps
आज तक सभी देवी देवताओं के मंदिर आप लोगों ने देखे व सुने होंगे ,परंतु भाई-बहन का मंदिर आप लोगों ने शायद ही देखा सुना होगा!यह मंदिर बहुत ही प्राचीनतम मंदिरों में से अपने में अनूठा व हमारी आस्था व विश्वास का प्रतीक है!
यह मंदिर मेरे 'जनपद- बिजनौर' से चौदह किलोमीटर दूर व मेरे पैतृक गांव की सीमा के एक छोर पर स्थापित है !कभी यह "भाई -बहन "की प्राचीन मूर्तियाँ चारों ओर से झाडि़यों से घिरी हुई होने के बावजू़द भी आस-पास के गाँव वालों की आस्था में कभी कमी नहीं आई...
पोराणिक कथा है जो शुरु से मैंनें अपनी दादी या उन्होंने अपने पूर्वजों से सुनी थी ..एक समय की बात है भाई अपनी बहन को ससुराल से विदा करा कर अपने घर(मायके)ले जा रहा था ..रास्ते में कुछ डाकुओं ने घेर लिया बहन सर से पाँव तक जेवरात से लदी हुई थी ,डाकुओं ने भाई को ललकारा कि सोना- चांदी व मोहरें -अशर्फियां दे जाओ और दोनों भाई-बहन सुरक्षित निकल जाओ ..भाई के होते बहन के तन -बदन से जेवरात छीन लिया जाए ,ये एक भाई ..जो बहन का रक्षक भी कहलाता है इस आकस्मिक परिस्थिति को भाँप कर अपनी कटार निकाल कर दोनों भाई-बहन भिड़ गए तथा भाई बहन की रक्षा करते हुए व बहन भाई की दोनों माँ जाए एक दूसरे के प्राणों की रक्षा करते हुए..आखिरी साँस तक दस्युओं से युद्व करते रहे, जब भाई वीरगति को प्राप्त हो जाता है बहन भाई के शव को अपनी ओढ़नी से ढा़प देती है व अकेली ही उन दस्युओं से भिड़ जाती है व अंत में स्वयं को चारों ओर से घिरा पाकर अपनी कटार से अपने प्राणों की बलि दे देती है !
तभी से यहाँ आषाढ़ माह में हर दिन पूजा-पाठ व बहन बेटियाँ दर्शन करने व कुँडारा लगाने(एक प्रकार का प्रसाद)वितरण करने आती हैं ये रीत सदियों से चलती आ रही है!
वास्तव में एक अलग ही वात्सल्य से ओत-प्रोत अनुभूति होती है इस मंँदिर के दर्शन करके जहाँ बहनें भाईयों की व भाई.. बहनों की सलामती की दुआ माँगने आते हैं !धन्य है यह धरती व धन्य है मेरा देश..
Comments