झालू को 1872 में मिला टाउन का दर्जा

 झालू को 1872 में मिला टाउन का दर्जा 

डेढ सौ वर्षों बाद भी विकास से कोसो दूर

आजादी के 75 वर्षो मे बने 11 चैयरमैन

लव अग्रवाल

झालू। अंग्रेजी ब्रिटिश शासन काल में सन (1872) मे जिला बिजनौर की सर्व प्रथम कस्बा झालू को टाउन बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। लगभग (150) वर्षों से टाउन का दर्जा प्राप्त कस्बा झालू विकास से कोसो दूर है। देश की आजादी से पहले ब्रिटिश शासन काल में सन 1924 से 1939 तक लगातार तीन कार्यकाल लाला गणपत राय अग्रवाल, सन 1939 से 1943 तक साहू गोपीनाथ अग्रवाल, सन 1943 से 1947 तक लाला अशरफी लाल नामित चैयरमेन रहे। देश की आजादी सन (1947) के बाद सर्व प्रथम चैयरमैन पद को अनवारून हक ने सुशोभित किया था। लगभग 75 वर्षो मे अब तक 11 चैयरमैन झालू अध्यक्ष पद की गद्दी पर विराजमान हो चुके हैं। जिनके कार्यकाल का इतिहास रोचक रहा है। 

देश की आजादी के बाद सन 1947 में सबसे पहले चैयरमैन अनवारूल हक बने। उस समय 7500 की आबादी व चार वार्ड हुआ करते थे। सन 1952 में दूसरे चैयरमैन डा0 बृजभूषण शरण गुप्ता ने अपने कार्यकाल मे कस्बे के अंदर डाकखाने से लेकर रामलीला चौक तक पक्की सीसी सड़क बनवाई तब से लेकर आज तक उक्त सडक मिसाल बनी हुई है। वही रामलीला से लेकर रेलवे स्टेशन तक श्रमदान के तहत मिट्टी डलवाई, जिसका प्रशासन से धनराशि स्वीकृत न होने के कारण चेयरमैन डॉक्टर बृजभूषण गुप्ता ने अपना निजी रिवाल्वर बेचकर भुगतान किया था। और साइकिल के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े थे। सन 1957 में तीसरे चैयरमेन मौलवी सुलेमान का कार्य काल सादगी के साथ चलकर कुछ खास नही रहा। इनके बाद सन 1962 में चौथे चैयरमेन लाला लाला ज्योति प्रकाश अग्रवाल रहे। सन 1967 में दोबारा चैयरमैन ज्योति प्रकाश अग्रवाल बने। इनका भी कार्यकाल कुछ खास नही रहा। सन 1972 में पांचवे चैयरमेन जफर अंसारी बने। जिन्हे बोर्ड ने टोपा उडाकर कुर्सी से उतार दिया था। जिसके बाद जनता ने फिर से चुनाव मे फिर जफर अंसारी को चैयरमैन की गद्दी पर बिठा दिया। इनके कार्यकाल में 9000 आबादी व 7 वार्ड बने। मध्यवस्थी (जिमनी) चुनाव में छठे चैयरमेन शरीफ अहमद उर्फ चीप बने। वही इसी उठा पटक के बाद ग्यारह वर्षों तक चैयरमैन रहे। इन्होंने सादगी के साथ राज किया। और गंगा जमनी तहज़ीब को कायम रखा। ग्यारह साल बाद सन 1988 में अश्वनी अग्रवाल को हरा कर चैयरमैन शरीफ अहमद बने। इनका कार्य काल कुछ खास नही रहा। इनके कार्यकाल में झालू की 13000 आबादी व 14 वार्ड हो गए। सन 1993 से 1995 तक एसडीएम पर चार्ज रहा। सन 1995 से सन 2000 तक अश्वनी अग्रवाल भाजपा के टिकट पर सातवे चैयरमैन बने। उनके कार्यकाल में जनता को ओवरहेड टैंक (टंकी) की सौगात मिली। जिससे पेयजल आपूर्ति घर घर पहुंचने से जनता को लाभ हुआ। सन 2000 से 2005 में शरीफ अहमद के छोटे भाई नसीम अहमद उर्फ गंगू को जनता ने आठवे चैयरमैन बनाया। इन्होने अपने कार्यकाल मे आपसी सौहार्द की मिसाल कायम करते हुऐ एक विवादित कुएं पर मंदिर निर्माण कराकर पुनः गंगा जमनी तहज़ीब को कायम रखा। सन 2005 मे राजनीति मे नया चेहरा बनकर उभरे राशिद हुसैन को जनता ने सर आंखों पर बिठाकर नौवा चैयरमैन बनाया। जनता मे साफ सुथरी छवि बनाकर अच्छे चैयरमैन साबित हुए। सन 2011 में सपा सरकार की हनक और सनक में पुनः जनता ने राशिद हुसैन की पत्नी किश्वर जहां को दसवा चैयरमैन बनाया। जिनके कार्यकाल में सपा सरकार के चलते जनता हित में सड़कों का निर्माण, पथ प्रकाश लाइटे, सोलर प्लांट आदि सहित कार्य कराकर झालू तिराहे पर नगर पंचायत कार्यालय के भवन का निर्माण कराकर एक विशाल सौगात दी। सन 2017 में ही आमजन के दिलों मे घर कर चुके शहजाद अहमद को जनता जनार्दन ने गयाहरवां कस्बे का चैयरमैन बनाया। जिनका कार्य काल ज्यादातर विवादों से घिरा रहा। लेकिन इनकी सहनशीलता व आमजन के लिए बिना किसी भेदभाव के हमदर्दी प्यार मुहब्बत  इज्जत तथा हर समय दुख सुख मे साथ देने का जज्बा बादस्तूर जारी रहा है। अपनी इसी कार्य शैली के चलते वह जनता के चहेते बने हुए है। इनके कार्यकाल में 9500 पुरुष व 7500 महिला लगभग लगभग 17 हजार वोटर रहे। वर्तमान में 1000 वोट बनकर अट्ठारह हजार वोट नगर पंचायत झालू के हो गए हैं। वही 2023 (वर्तमान) में 20583 मतदाता है।



बाकस------

चार जगह बने पंचायत दफ्तर


नगर पंचायत का सबसे पहला दफ्तर छतरी वाले कुंऐ के निकट लाला फतेहचंद के मकान पर बनाया गया। इसके बाद मौहल्ला सादात मे पुराना महल सलीम आब्दी के आवास पर दफ्तर का कार्य चला। इसके बाद पुराने डाकखाने पर कई वर्षो तक रहने के बाद टंकी पर ऑफिस बनाकर कार्य किया गया। अब वर्तमान में झालू तिराहे पर आली शान दफ्तर कायम है। जो कस्बे की सुंदरता मे चार चाँद लगाए हुऐ है।

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