अबरार किरतपुरी
अबरार किरतपुरी
नई दिल्ली, 18 जून 2022 को हम्द और नात के सबसे प्रसिद्ध और विश्वसनीय कवि, और प्रिय व्यक्तित्व, आशिक ए रसूल अबरार किरतपुरी का निधन हो गया है। वह लगभग 84 वर्ष के थे। अबरार किरतपुरी एक महान कवि थे, हम्द और नात उनका विशेष क्षेत्र था और इसीलिए एक ऐसा व्यक्तित्व बनाया जिस पर भाषा और साहित्य को गर्व होगा। उर्दू में हमदिया संग्रह ना के बराबर हैं। केवल एक संग्रह हम्दिया मुजफ्फर वारसी का है जो काफी लोकप्रिय है। स्वर्गीय अबरार के कम से कम पाँच हम्दिया काव्य संग्रह लोकप्रिय हुए। उन्होंने कई काव्य विधाओं में नात पढ़ी। इनकी पुस्तकों की संख्या तीन दर्जन है, मृतक बिजनौर जिले के कस्बा कीरतपुर स्थित मुहल्ला काजियान का रहने वाले था। बाद में वे अपने किसी प्रियजन के साथ दिल्ली आ गये और यहीं आगे की शिक्षा प्राप्त की और दयाल सिंह कॉलेज में नौकरी कर ली। उन्होंने मकतबा दानिश और हमदो नात अकादमी नाम से दो संगठन बनाए थे जो नात और हम्द के क्षेत्र में नये कवियों को सम्मानित करती है।
र जाने-माने पत्रकार मासूम मुरादाबादी उनके निधन पर कहते हैं कि उन्होंने भाषा और अभिव्यक्ति की बारीकियां सीखीं। वह बहुत पवित्र जीवन जीते थे, वह एक जमींदार परिवार से थे, लेकिन उस स्वभाव में नहीं थे जो आमतौर पर कवियों में होता है। उनका व्यक्तित्व अत्यंत मनमौजी था। स्वर और चरित्र की शुद्धता ही कारण ही हमदया व नातिया कविता में सरूर पैदा हुआ। एक भाषाविद्, गद्य के विशेषज्ञ और सबसे सक्षम कवि के निधन पर आधुनिक शायर मुनीर हमदम ने कहा कि अबरार किरतपुरी ने न केवल नए मफाहिम के द्वार खोले, बल्कि इस शुद्ध विधा में कई सहजताएं भी पैदा कीं। मशहूर संचालक व शायर मोईन शादाब ने कहा कि अबरार किरतपुरी उन शख्सियतों में से एक थे जो सदियों में पैदा होते हैं. अरशद नदीम ने कहा कि अबरार साहब कई भाषाओं के फकीरी और कलंदरी थे। इसके अलावा जावेद मुशेरी, अनस फैजी मसूद हाशमी, नदीम जावेद, शेख नगीनवी, साद अख्तर, जुबैर खान ने निधन पर गहरा दुख और शोक व्यक्त किया है.
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