रानी फूल कुंवरि
धामपुर चिंगारी महात्मा विदुर की धरती बिजनौर के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विख्यात धामपुर नगर से शेरकोट स्टेट (अंग्रेजी शासन काल) की रानी फूल कुंवरी का विशेष लगाव रहा ।यहां उन्होंने शिक्षा के मंदिर स्थापित करके जहां नगर और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजियारा किया वहीं क्षेत्र के विकास में अनेक आयाम स्थापित किये। ग्राम पंचायत नौरंगाबाद की रानी बाग कॉलोनी में बना महल जहां राजा ,रानी मां की यादों को आज भी संजोए हुए हैं वहीं ग्राम पंचायत सुहागपुर के मौजा रामपुर भोला के आरएसएम इंटर कॉलेज में स्थित राजा रणजीत सिंह का स्मारक उनकी यादों को जनता के दिलों दिमाग में आज भी तरोताजा रख रहा है।शेरकोट रियासत के राजा राय जादा रणजीत सिंह थे वह स्याऊ गांव के परिवार से आए थे तथा शेरकोट रियासत ने उन्हें गोद लिया था जबकि फुल कुंवारी बालिका नजीबाबाद तहसील के अंतर्गत एक छोटे से गांव में 3 अक्टूबर 1892 को सिसोदिया राजपूत परिवार में जन्मी थी ।उनके पिता श्री गिरधारी सिंह जी जीविकोपार्जन के लिए धामपुर आकर एक किराए के मकान में रहने लगे थे। वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार पंडित गौरी शंकर सुकोमल के अनुसार पंडित कैलाश चंद ने उन्हें बताया था कि श्री गिरधारी सिंह धामपुर नगर के मोहल्ला बक्कालन में पंडित अनंत राम के मकान में किराए पर रहे थे। बताया जाता है कि एक बार राय बहादुर रणजीत सिंह की सवारी धामपुर नगर से गुजरती हुई जा रही थी तो नगर के मुख्य बाजार में स्थित मंदिर जाते हुए बालिका फूल कुवारी पर उनकी नजर पड़ी उनके असीम सौंदर्य ,आकर्षक व्यक्तित्व से राजा साहब बहुत प्रभावित हुए। फूल कुवारी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उन्हें राजा रणजीत सिंह की पत्नी बनने का सौभाग्य मिला। रानी फूल कुमारी का विवाह बहुत कम उम्र में राय बहादुर रणजीत सिंह के साथ 1906 में हो गया था किंतु विधाता ने उन्हें सिर्फ दो वर्ष ही साथ रहना मंजूर किया था। जब 1908 में राजा रणजीत सिंह का स्वर्गवास हुआ तब उनकी उम्र मात्र 16 वर्ष थी व उनके सिर्फ एक बेटी थी जिसका नाम कृष्णा कुमारी था। रानी साहिबा के शब्दों में "जब राजा साहब का देहांत हुआ उस समय हम 16 वर्ष के थे सारा महल शोक में डूब गया मैं सुद्ध बुद्ध खोय अकेले पड़ी रहती चारों ओर षड्यंत्र की फुसफुसाहट थी तथा राजा साहब की सारी रियासत को हड़पने के लिए विसाते बिछाई जा रही थी" ।तब रानी साहिबा ने पूर्व मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सलाह पर तेज तर्रार व्यक्तित्व के धनी बाला दत्त जोशी को शेरकोट स्टेट के मैनेजर पद पर नियुक्त किया ।उन्होंने सर्वप्रथम रानी फूल कुमारी को शिक्षित करने के लिए अध्यापकों की नियुक्ति की तथा उच्च शिक्षा और आधुनिक जीवन शैली अपनाने के लिए उन्हें विदेश भेजा। वहां से लौटकर वह अपने कुल की मर्यादा व राजा साहब की धरोहर को संवारने हुए सजाने में लग गई। बिजनौर टाइम्स के संस्थापक बाबू सिंह चौहान के अनुसार भारत से लेकर ब्रिटेन तक ख्याति अर्जित करने वाली रानी साहिबा ने अपने प्रति श्रद्धा, आस्था, सम्मान तो प्राप्त किया ही साथ ही अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर अपनी शिष्टता, विनयशीलता, क्षमाशीलता का प्रभाव डाला । उन्होंने बताया कि बिजनौर जनपद में एक ऐसी रियासत थी जिसके राजा साहब प्रजा के विवाहोत्सव में अपनी दया का प्रमाण अपने करिंदों द्वारा अपने जूते भेज कर दिया करते थे। लेकिन रानी साहिबा अपनी रियासत के किसानों की ओर से विवाहोत्सव का निमंत्रण पत्र मिलने पर टीके के लिए रुपए भेज करती थी।
रानी फूल कुंवरी साहिबा ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर कई उल्लेखनीय कार्य किये जिनमें धामपुर से शेरकोट सड़क का निर्माण ,शेरकोट में खौ नदी पर पुल का निर्माण अपने खर्चे से कराया। उन्होंने अपने अथक प्रयास से धामपुर में गन्ना समिति का निर्माण कराकर धामपुर शुगर मिल के निर्माण में अपना योगदान दिया। जिसके कारण गन्ना बेल्ट के नाम से पहचाने जाने वाला यह क्षेत्र आज किसी से अपरिचित नहीं है। रानी फूल कुवरी जी ने अपने जीवन काल में अनेक सामाजिक कार्य किए थे उन्होंने सिंचाई विभाग व लोक निर्माण विभाग को अपनी जमीन भी दान में दी। राजा रणजीत सिंह के नाम से उन्होंने इंटर कॉलेज व डिग्री कॉलेज की स्थापना भी कराई। उन्होंने ब्रिटिश सरकार में होम नर्सिंग कोर्स का सर्टिफिकेट प्राप्त कर सेंट जॉन एम्बुलेंस एसोसिएशन जोकि रेड क्रॉस का ही हिस्सा थी, मैं भी अपनी सेवाएं प्रदान की वह उस समय में तराई खादर विकास संस्था की सदस्य, स्काउट एवं गाइड की उपाध्यक्ष, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की सदस्य, भारतीय जिला बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष भी रही। उनका निधन 16 11 1972 को हुआ था। भले ही शेरकोट रियासत के प्राचीन इतिहास से हम अभी भी अपरिचित हो लेकिन रानी फूल कुंवरी साहिबा को शेरकोट स्थित भगवान का मंदिर तथा धामपुर में शिक्षा का मंदिर उनका सदैव अमर बनाए रखेगा ।
धामपुर (चिंगारी)। चुनावी शतरंज की बिसात पर बिछी जनता की चाल के आगे शेरकोट स्टेट की रानी साहिबा फूल कुंवरी जी को भी मात खानी पड़ी थी। जनता का बहुमत कांग्रेस प्रत्याशी खूब सिंह को मिला और चुनाव मैदान में उतरी रानी साहिबा को करारी शिकस्त मिली। देश की आजादी के तुरंत बाद हुआ विधानसभा का वह चुनाव आज भी धामपुर के लोगों के जेहन में ताजा है।देश की आजादी के बाद वर्ष 1951 में प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव आयोजित किए गए इस दौरान विधानसभा क्षेत्र 45 बिजनौर दक्षिण कम धामपुर दक्षिण पश्चिम, 46 धामपुर उत्तर पूर्व कम नगीना पूर्व व 47 नगीना दक्षिण पश्चिम कम धामपुर उत्तर पश्चिम सीट के लिए मतदान किया गया। इस चुनाव में शेरकोट स्टेट की रानी साहिबा फूल कुंवरी जी ने भी अपनी किस्मत आजमाई। चुनाव में उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी खूब सिंह मैदान में रहे। चुनाव की याद अपने जेहन में ताजा रखने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक यशपाल तुली ,वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत सुमन व अधिवक्ता गजेंद्र सिंह के मुताबिक चुनाव के शुरुआती दौर में जनमत पूरी तरह रानी साहिबा के साथ नजर आ रहा था। बड़ी संख्या में क्षेत्र की जनता उनके साथ जुड़ने लगी थी। उनके अनुसार रानी साहिबा के साथ आम जनता का यह समर्थन मतदान से पूर्व तक लगातार जुड़ा नजर आया, लेकिन मतदान के दौरान जनता का रुख पूरी तरह बदल गया। चुनाव नतीजों ने जन समर्थन का नया ही परिणाम सामने रखा इसमें रानी साहिबा को कांग्रेस प्रत्याशी खूब सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा। सेवानिवृत्त शिक्षक यशपाल तुली ने बताया कि शेरकोट स्टेट में 400 गांव शामिल थे धामपुर के मोहल्ला पहाड़ी दरवाजा खारी कुआं पर शेरकोट स्टेट की ओर से अस्पताल संचालित होता था। इसके अलावा नगर की अन्य शिक्षण संस्थाओं में भी रानी साहिबा का योगदान रहा। मनोज कात्यायन ,धामपुर

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