बिजनौर जनपद का राजनैतिक परिदृश्य
बिजनौर जनपद का राजनैतिक परिदृश्य
कुशलपाल सिंह ऋतु सैनी डा. निरंकार सिंह त्यागी
एडवोकेट असिस्टेन्ट प्रोफेसर पूर्व भूगोल विभागाध्यक्ष
गीता नगरी, बिजनौर भूगोल विभागाध्यक्ष वर्धमान कॉलेज, बिजनौर
आर.बी.डी.महिला पी.जी. कॉलेज, बिजनौर
पुराणों में स्वर्ग की परिकल्पना जिस दिव्यता एवं भव्यता के साथ वर्णित की गयी है, जनपद बिजनौर उस भव्यता और दिव्यता के बहुत समीप है। उत्तर में पर्वतराज हिमालय की उपस्थिति तथा पश्चिमी सीमा पर पतित पावनी माँ गंगा का कल कल प्रवाह इसको स्वर्ग के समकक्ष लाकर खड़ा करता है। प्राचीन काल में जनपद का अधिकांश भाग वनों से आच्छादित था। इसीलिए यह भूमि आजीवकों की (विशेष रूप से बौद्ध एवं जैन धर्म) तपोभूमि रही है। महाभारत युद्ध के उपरान्त महात्मा विदुर ने इसी भूमि को अपने आश्रय के रूप में चुना। भगवान विदुर राजनीति के पितामह माने जाते हैं। महाभारत के उद्योग पर्व के 33वें से 40वें आठ अध्याय विदुर नीति से सम्बन्धित है। इन अध्यायों में व्यवहार, बरताव, नीति, सदाचार, धर्म, सुख-दुःख प्राप्ति के साधन, त्याज्य और ग्राह्य गुणों तथा कर्मों का निर्णय, त्याग की महिमा न्याय का स्वरूप, सत्य, परोपकार, क्षमा, अहिंसा, मित्र के लक्षण, कृतघ्न की दुर्दशा, निर्लोमता आदि का विशद वर्णन करते हुए राजधर्म का सुन्दर निरूपण किया है।
जनपद में प्रखर राजनैतिक चेतना राष्ट्रीय आन्दोलन के समय से रही है। आजादी के प्रथम, स्वतंत्रता संग्राम (1857) में नवाब नजीबुद्दौला के प्रपौत्र ने अंग्रेजों की फौज को भारी शिकस्त दी थी। सर सैय्यद अहमद खाँ ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सरकशी बिजनौर में इस घटना का वर्णन किया है। भारतीय संविधान के अन्तर्गत इण्डियन एक्ट 1919 तथा 1935 की अनेक बातें समाहित की गयी है। प्रादेशिक सरकार के लिए विधानसभा के चुनाव तथा राष्ट्रीय सरकार के लिए लोकसभा के चुनाव 1952 से लगातार होते रहे हैं।
जनपद में लोकसभा चुनावों का विश्लेषण
लोकसभा के लिए प्रथम चुनाव 1952 में सम्पन्न हुआ। श्री नेमीशरण इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सफल रहे। उन्होंने आज़ाद (निर्दलीय) उम्मीदवार श्री गोविन्द सहाय को हराया। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को 75018 मत मिले, जबकि पराजित प्रत्याशी को 43620 मत मिले। जीत का अन्तर 31398 मत था। 1957 में लोकसभा का दूसरा चुनाव सम्पन्न हुआ, जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी श्री अब्दुल लतीफ ने जनसंघ प्रत्याशी श्री भूदेव सिंह को परास्त किया। जनसंघ की स्थापना दिल्ली में 21 अक्टूबर 1951 को हुई थी। लोकसभा का तीसरा चुनाव 1962 में लड़ा गया। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अब्दुल लतीफ को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में श्री प्रकाश वीर शास्त्री ने 49193 मतों से पराजित किया। श्री प्रकाशवीर शास्त्री (1923-1977) भारतीय संसद के इतिहास में एक प्रखर वक्ता के रूप में जाने जाते है। आज़ाद उम्मीदवार के रूप में उन्होंने तीन बार, तीन विभिन्न स्थानों गुड़गाँव (1958), बिजनौर (1962) तथा हापुड़ (1967) से सफलता प्राप्त की। 1974 में वे जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में राज्य सभा पहुँचे। वे अखिल भारतीय आर्य समाज के अध्यक्ष तथा गुरुकुल वृन्दावन के कुलपति रहे। उन्होंने सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय से शास्त्री की उपाधि प्राप्त की थी।
अप्रैल 1967 में चतुर्थ लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हुए। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्री रामानन्द शास्त्री विजयी रहे। उन्होंने जनसंघ के प्रत्याशी श्रीराम को हराया। पाँचवा लोकसभा चुनाव 1971 में लड़ा गया। देश की राजनीति में अब तक काफी अन्तर आ चुका था। 1964 को प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल की मृत्यु के उपरान्त श्री लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। पाकिस्तान के साथ 1965 का युद्ध लड़ा गया। ताशकंद समझौते के वक्त श्री लालबहादुर शास्त्री जी की मृत्यु हो गयी। 1966 में श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने प्रधानमंत्री के पद की शपथ ली। 1966 से 1977 तक वे लगातार प्रधानमंत्री रही। 1969 में आज़ादी के बाद कांग्रेस में प्रथम विभाजन हुआ। कांग्रेस के एक मजबूत धड़े ‘‘सिंडीकेट’’ ने इन्दिरा गाँधी को बाहर निकाल दिया। इन्दिरा गाँधी ने ऐसे समय पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। प्रीविपर्स समाप्त किया। चुनाव के बाद 1971 का युद्ध पाकिस्तान से जीत तथा पूर्वी पाकिस्तान को एक नये राष्ट्र के रूप में अर्थात् बांग्लादेश के निर्माण में सक्रिय योगदान दिया। इस चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने एक महत्त्वपूर्ण और आकर्षक नारा दिया था, ‘‘गरीबी हटाओ’’। कांग्रेस ने सम्पूर्ण भारत में 350 सीटें जीती। कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में स्वामी रामानन्द शास्त्री ने 144728 मत प्राप्त किये। भारतीय क्रांतिदल के उम्मीदवार श्री महीलाल को केवल 40900 मत प्राप्त हुए। कांग्रेस ने यह सीट 103820 मतों से जीती। कांग्रेस के विजित उम्मीदवार स्वामी रामानन्द जी का 1974 में देहान्त हो गया। उनकी मृत्यु के कारण आवश्यक उपचुनाव को कांग्रेस के श्री रामदयाल ने निर्विरोध जीत लिया, क्योंकि जनसंघ के प्रतिद्वन्दी ने चुनाव से नाम वापस ले लिया था।
बीसवीं शताब्दी में आठवां दशक (1970-1980) भारतीय राजनीति में बड़ी उथल-पुथल का दशक रहा है। श्रीमती इन्दिरा गाँधी के ऊपर श्री राजनारायण ने चुनाव में गलत साधनों के उपयोग का अभियोग लगाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इन्दिरा गाँधी के चुनाव को निरस्त कर दिया। गुजरात तथा बिहार में कांग्रेस की सरकारों के साथ छात्रों का चल रहा आन्दोलन उग्र रूप में परिवर्तित हो गया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण इस आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे थे। इन परिस्थितियों में 25 जून 1975 को इन्दिरा गाँधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। विरोधी दल के सभी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। 17 माह पश्चात् आपातकाल समाप्त हुआ। 23 जनवरी 1977 को जनता पार्टी का गठन हुआ, जिसमें जनसंघ, कांग्रेस (संगठन), भारतीय लोकदल, सोशलिस्ट पार्टी शामिल थी। जनता पार्टी का चुनाव चिह्न ‘हलधर’ था।
1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी महीलाल थे, जिन्हें 258666 मत मिले। कांग्रेस उम्मीदवार को 62849 मत मिले। जनता पार्टी ने बिजनौर लोक सभा सीट 195814 मतों के भारी अन्तर से जीती, जो 2014 तक एक कीर्तिमान रहा। जनता पार्टी का प्रयोग सफल नहीं हो पाया। जनता पार्टी के अन्तर्कलह इतने ज़्यादा थे कि दो वर्ष बाद ही मोरारजी देसाई (24 मार्च 1977-15 जुलाई 1979) को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। पाँचवें प्रधानमंत्री के रूप में चौधरी चरण सिंह जी ने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। चौधरी साहब ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। भारत के राजनैतिक इतिहास में वे ‘‘किसानों के मसीहा’’ के रूप में सदैव याद किये जाते रहेंगे। चौधरी साहब को कांग्रेस ने बिना शर्त समर्थन दिया था। कुछ समय उपरान्त कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सातवीं लोकसभा के चुनाव 1980 में सम्पन्न हुए।
1980 का आम चुनाव जब हुआ, उस समय चौधरी चरण सिंह कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे। जनता पार्टी (सेकुलर) से अर्थात् चौधरी साहब की पार्टी से मंगलराम प्रेमी प्रत्याशी थे। उन्होंने महीलाल को हराया, जो जनता पार्टी के (मोरारजी गुट) प्रत्याशी थे। मंगलराम प्रेमी को 145514 मत मिले, जबकि महीलाल को 99415 मत मिले। मंगलराम प्रेमी ने यह चुनाव 46099 मतों से जीता।
1980 के चुनावों में इन्दिरा गाँधी भारी मतों के साथ सत्ता में आयी। इसी समय पंजाब में आतंकवाद का दौर आरम्भ हो गया। पंजाब में हजारों नृशंस हत्यायें हुईं। एक समय लग रहा था कि खालिस्तान का आन्दोलन सफल न हो जाये। भिंडरवाले ने स्वर्ण मन्दिर को अपना अड्डा बना रखा था। जून 1984 में ‘आप्रेशन ब्लू स्टार’ हुआ, जिसमें भारतीय सेना ने स्वर्ण मन्दिर को आतंकवादियों के चंगुल से मुक्त कराया। स्वर्ण मन्दिर की घटना से सिक्ख समाज में भारी रोष था। इन्दिरा गाँधी के व्यक्तिगत रक्षक सतवन्त सिंह एवं बेअन्त सिंह ने प्रधानमंत्री आवास पर ही प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी की नृशंस हत्या की। सम्पूर्ण भारत में सिक्ख विरोधी दंगे शुरु हुए, जिसमें हजारों सिक्खों का कत्ले आम हुआ। इन्दिरा गाँधी की हत्या के उपरान्त श्री राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। इसी पृष्ठभूमि में 1984 के आम चुनावों की घोषणा की गयी। इस चुनाव में कांग्रेस ने श्री गिरधारी लाल को प्रत्याशी बनाया, जिनको 219185 मत मिले, जबकि दमकिपा (लोकदल) के प्रत्याशी मंगलराम प्रेमी को 119372 मत मिले। कांग्रेस ने यह सीट 99813 मतों से जीती। श्री गिरधारी लाल जनपद बिजनौर की राजनीति के श्लाका पुरुष थे। वे 1952 में ही धामपुर से विधानसभा सदस्य चुने गये थे। फलस्वरूप 1985 में दीर्घ आयु तथा अस्वस्थ होने के कारण उनकी मृत्यु हो गयी। 1985 में बिजनौर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ।
1985 का लोकसभा उपचुनाव बिजनौर लोकसभा के राजनैतिक इतिहास का सबसे रोमांचक चुनाव था। कांग्रेस ने इस चुनाव में जगजीवनराम की पुत्री मीरा कुमार को प्रत्याशी बनाया। विपक्ष से लोकदल के उम्मीदवार के रूप में रामविलास पासवान को प्रत्याशी बनाया गया, जिन्हें सम्पूर्ण विपक्ष का समर्थन प्राप्त था। रामविलास पासवान भारत में सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकार्ड दो बार बना चुके थे। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में मायावती चुनाव के मैदान में थी। सभी विपक्ष के बड़े नेताओं ने बिजनौर लोकसभा के क्षेत्रों का दौरा किया। रामविलास पासवान ने बहुत शानदार ढंग से चुनाव लड़ा। बिजनौर लोकसभा में तब बिजनौर, चाँदपुर, नजीबाबाद, नगीना तथा अफजलगढ़ विधानसभा आती थीं। रामविलास पासवान ने नजीबाबाद, नगीना तथा बिजनौर विधान सभा में सफलता पायी, लेकिन चान्दपुर और अफजलगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी ने अच्छे मत प्राप्त किये और रामविलास पासवान इस उपचुनाव में हार गये। विजयी उम्मीदवार श्रीमती मीरा कुमार को 128101 मत तथा रामविलास पासवान को 122755 मत मिले। इस प्रकार मीरा कुमार 5346 मतों से जीत गयी। बी॰एस॰पी॰ उम्मीदवार मायावती जी ने भी इस चुनाव में 61506 मत प्राप्त किये। 1984 में कांग्रेंस ने यह सीट 99813 के विशाल अन्तर से जीती थी, लेकिन उपचुनाव में यह अन्तर केवल 5346 मतों का था।
1984 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस ने संसदीय इतिहास में 400 से ज़्यादा लोकसभा की सीटें जीतने का रिकार्ड स्थापित किया था। राजीव गाँधी ने देश में कम्प्यूटर क्रान्ति का सूत्रपात किया। राजीव गाँधी की कैबिनेट में विश्वनाथ प्रताप सिंह वित्त मंत्री थे। राजीव गाँधी ने स्वीडन से बोफोर्स तोपें खरीदने का सौदा किया था। इन तोपों के खरीदने में 68 करोड़ की दलाली की बात सामने आयी। इसे लेकर वी.पी. सिंह ने आन्दोलन चलाया। कांग्रेस से कई सांसद वी.पी. सिंह के साथ थे। वी.पी. सिंह ने जनता दल के नाम से नयी पार्टी का गठन किया, जिसमें लोकदल, जनता पार्टी, जनमोर्चा शामिल थे।
11 अक्टूबर 1988 को, जय प्रकाश नारायण के जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर जनता दल के गठन की घोषणा की गयी। वी.पी. सिंह ने राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल फ्रंट’’ की घोषणा की, जिसमें दक्षिण की पार्टियाँ भी थी।
1989 का लोकसभा का चुनाव ‘‘बोफोर्स तोप दलाली’’ के मुद्दे पर लड़ा गया। वी.पी. सिंह ने राजीव गाँधी की सरकार को भ्रष्ट सरकार सिद्ध कर दिया था। यद्यपि बाद में जब मुकदमा चला तो दलाली वाला आरोप सिद्ध नहीं हो पाया। 1989 में लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव यू.पी. में साथ-साथ हुए थे। कांग्रेस ने आशा चौधरी (गिरधारी लाल की सुपुत्री) को प्रत्याशी बनाया। जनता दल ने मंगलराम प्रेमी को अपना उम्मीदवार बनाया तथा मायावती बी॰एस॰पी॰ की ओर से प्रत्याशी थीं। इस चुनाव में मायावती ने 183180 मत प्राप्त करके जनता दल के उम्मीदवार मंगलराम प्रेमी को 8879 वोटों से पराजित किया। कांग्रेस की उम्मीदवार आशा चौधरी ने भी 101719 मत प्राप्त किये, ये मायावती की बड़ी जीत थी। जनता दल का हश्र भी जनता पार्टी की तरह से हुआ। बी॰जे॰पी॰ ने इसी समय सोमनाथ से सरयू रथ यात्रा, राम मन्दिर निर्माण हेतु निकाली। इस यात्रा के परिणामस्वरूप राजनैतिक हलचल तेजी से बढ़ी। आडवाणी की रथयात्रा को बिहार में (समस्तीपुर) रोका गया। बी॰जे॰पी॰ ने वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। 1989 में केन्द्र में बी.पी. सिंह की सरकार बी॰जे॰पी॰ के सहयोग से बनी थी। बी॰जे॰पी॰ तथा जनता दल के मध्य चुनाव से पूर्व समझौता था। वी.पी. सिंह की सरकार 7 नवम्बर 1990 को लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त नहीं कर पायी तथा वी.पी. सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। इससे पूर्व अगस्त 1990 में वी.पी. सिंह पिछड़े वर्ग के समुदायों के लिए मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू कर चुके थे। बी॰जे॰पी॰ की रथयात्रा इसकी प्रतिक्रिया थी।
राम मन्दिर का आन्दोलन अपने चरम पर था। उत्तर प्रदेश में जनता दल की सरकार थी, जिसका नेतृत्व मुलायम सिंह यादव कर रहे थे। अयोध्या में कार सेवक एकत्र होते हैं, उन पर लाठी चार्ज होता है तथा गुम्बद पर जो कार सेवक चढ़ रहे थे, उन पर पुलिस की गोलियाँ भी चलती हैं। कई कार सेवकों की जान चली जाती है। इसी पृष्ठभूमि में 1991 का लोकसभा चुनाव होता है। बी॰जे॰पी॰ की ओर से मंगलराम प्रेमी को प्रत्याशी बनाया जाता है। मायावती यहाँ से पिछली बार सांसद थीं। वे इस बार भी बी॰एस॰पी॰ की उम्मीदवार थी। आशा चौधरी कांग्रेस की प्रत्याशी थी तथा कम्युनिस्ट (मार्क्सवादी) पार्टी से रामस्वरूप प्रत्याशी थे। बी॰जे॰पी॰ प्रत्याशी श्री मंगलराम प्रेमी 247465 मत लेकर विजयी रहे। मायावती को 159739 मत मिले। तीसरे स्थान पर मार्क्सवादी उम्मीदवार रामस्वरूप रहे, जिनको 57880 मत मिले। कांग्रेस की उम्मीदवार आशा चौधरी 39738 मत पाकर चौथे स्थान पर रही। मंगलराम प्रेमी 87734 मतों के अन्तर से जीते। इस तरह से उन्होंने 1989 की हार का बदला ले लिया।
1991 के चुनावों के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी की श्रीपेरमबदूर (तमिलनाडू) में बम ब्लास्ट में हत्या हो गयी। श्री नरसिम्हा राव भारत के नये प्रधाानमंत्री बने तथा मनमोहन सिंह पहली बार वित्तमंत्री बने। राम मन्दिर आन्दोलन लगातार चल रहा था। यू.पी. में विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ लड़े गये। पहली बार उत्तर प्रदेश में बी॰जे॰पी॰ की सरकार बनी। बी॰जे॰पी॰ ने उत्तर प्रदेश में 221 सीटों पर विजय प्राप्त की तथा श्री कल्याण सिंह प्रथम बार यू.पी. के मुख्यमंत्री बने। अयोध्या आन्दोलन अपने चरम पर था। 6 दिसम्बर 1992 को कार सेवक अयोध्या में एकत्र हुए तथा भीड़ ने विवादित ढाँचे को ढाह दिया। फलस्वरूप राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा ने बी॰जे॰पी॰ की सभी सरकारें भंग कर दी। बी॰जे॰पी॰ तब उत्तर प्रदेश के अलावा हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश में भी शासन कर रही थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस आशय का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दिया था कि हम विवादित ढाँचे को कोई भी क्षति नहीं पहुँचने देंगे।
1991 के उपरान्त ग्यारहवीं लोकसभा के लिए चुनाव 1996 में सम्पन्न हुए। बाबरी मस्जिद काण्ड के उपरान्त उत्तर प्रदेश की राजनीति दो ध्रुवीय हो चुकी थी। बी॰जे॰पी॰ बहुसंख्यक हिन्दुओं की पार्टी तथा समाजवादी अल्पसंख्यक और कुछ ओ॰बी॰सी॰ समुदाय की पार्टी। तीसरा ध्रुव उत्तर प्रदेश में मायावती ने सृजन कर रखा था, जिसमें अनुसूचित जाति के साथ कहीं-कहीं पर मुस्लिम मतदाताओं का भी साथ था। बी॰जे॰पी॰ ने अपने पिछले चुनाव के विजेता मंगलराम प्रेमी को प्रत्याशी बनाया। समाजवादी पार्टी ने सतीश कुमार को अपना प्रत्याशी चुना। बहुजन समाज पार्टी ने चेतन स्वरूप को उम्मीदवार बनाया। विजय श्री मंगलराम प्रेमी को मिली। उनको 220782 मत मिले, सपा प्रत्याशी को 193385 मत मिले, जबकि बसपा उम्मीदवार को 157337 मत मिले। इस चुनाव में जीत का अन्तर 27397 मत था। पिछले चुनाव में बी॰जे॰पी॰ की जीत का अन्तर 87734 था।
1996 में पहली बार श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने सरकार बनायी, लेकिन ये सरकार केवल 13 दिन चली तथा लोकसभा में ये सरकार विश्वास मत हासिल करने में असफल रही। फलस्वरूप कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे एच.डी. देव गौड़ा जून 1996 से अप्रैल 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। इसके पश्चात् इन्द्रकुमार गुजराल अप्रैल 1997 से मार्च 1998 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। फरवरी 1998 में बारहवीं लोकसभा के लिए मतदान हुआ। चुनाव के मैदान में बी॰जे॰पी॰, समाजवादी तथा बहुजन समाजवादी पार्टी थी। बी॰जे॰पी॰ ने दो बार के विजेता मंगलराम प्रेमी को, समाजवादी पार्टी ने ओमवती को तथा बी॰एस॰पी॰ ने मुंशीराम पाल को टिकट दिया। समाजवादी पार्टी ने पहली बार बिजनौर लोकसभा सीट पर अपनी विजय का परचम लहराया। समाजवादी पार्टी को 282612 मत मिले। बी॰जे॰पी॰ को 273400 मत मिले, बसपा 180005 मत लेकर तीसरे स्थान पर थी। बी॰जे॰पी॰ 9212 मतों से ये चुनाव हार गयी।
1999 में तेरहवीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए। बाजपेयी की ये सरकार तेरह माह चली थी। बी॰जे॰पी॰ सदन में अविश्वास का मत एक वोट से हार गयी थी। फलस्वरूप सितम्बर 1999 में तेरहवीं लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हुए। इस चुनाव में बी॰जे॰पी॰ की ओर से शीशराम रवि के रूप में नया उम्मीदवार था। समाजवादी पार्टी ने अपनी पिछली विजेता ओमवती को चुनाव के मैदान में उतारा था। बी॰एस॰पी॰ ने वीर सिंह को तथा तीन बार के विजेता मंगलराम प्रेमी लोकदल से चुनाव लड़ रहे थे। बी॰जे॰पी॰ ने 23700 के अन्तर से समाजवादी पार्टी से ये सीट जीती। इस चुनाव में बी॰जे॰पी॰ को 214266 मत, ओमवती देवी (समाजवादी) को 190566 तथा बी॰एस॰पी॰ को 183676 मत मिले। लोकदल प्रत्याशी श्री मंगलराम प्र्रेमी को 88994 मत मिले। बी॰जे॰पी॰ को इस चुनाव में कारगिल युद्ध का भी लाभ मिला था। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने तीन बार प्रधानमंत्री की शपथ ली। पहली बार वो 13 दिन, दूसरी बार 13 माह तथा तीसरी बार 4 वर्ष 6 माह प्रधानमंत्री रहे। 2004 का चुनाव अपने समय से 6 माह पूर्व था। बी॰जे॰पी॰ ने नारा दिया था-‘‘इण्डिया शाइनिंग’’।
2004 लोकसभा का चुनाव चौदहवाँ चुनाव था। इस चुनाव में बिजनौर लोकसभा सीट पर राष्ट्रीय लोकदल एवं समाजवादी पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में मुंशीराम पाल को उतारा, बी॰एस॰पी॰ की ओर से घनश्याम सिंह खरवार मैदान में थे, जबकि पिछले चुनाव के विजेता शीशराम रवि बी॰जे॰पी॰ के उम्मीदवार थे। 1985 के पश्चात् कांग्रेस इस लोकसभा सीट पर महत्वहीन हो गयी थी। इस चुनाव में 301599 मतों के साथ राष्ट्रीय लोकदल उम्मीदवार मुंशीराम पाल विजेता रहे। घनश्याम सिंह खरवार 221424 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। मुंशीराम पाल राष्ट्रीय लोकदल प्रत्याशी ने बी॰एस॰पी॰ प्रत्याशी को 80175 मतों से पराजित किया। 1999 के बी॰जे॰पी॰ विजेता शीशराम रवि तीसरे स्थान पर 101340 मतों के साथ रहे। कांग्रेस प्रत्याशी जीराज सिंह 32396 मत पाकर तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में कांग्रेस यू.पी.ए. के रूप में केन्द्र की सत्ता में आयी। डॉ. मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने।
पन्द्रहवीं लोकसभा के चुनाव 2009 में सम्पन्न हुए। केन्द्र में यू.पी.ए. की सरकार थी। आर्थिक मोर्चे पर डॉ. मनमोहन सिंह एक सफल प्रधानमंत्री साबित हुए। डॉ. मनमोहन सिंह ने 2007-2008 की विश्व की आर्थिक मन्दी से न केवल भारत को उभारा, अपितु 8 प्रतिशत विकास दर से भारत को पाँचवीं बड़ी अर्थ व्यवस्था के रूप में स्थापित किया। बिजनौर लोकसभा सीट पर 2004 के चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल ने सफलता प्राप्त की थी। इस बार राष्ट्रीय लोकदल का समझौता बी॰जे॰पी॰ के साथ था। राष्ट्रीय लोकदल ने इस चुनाव में प्रत्याशी को बदल दिया जिसका बड़ा कारण बिजनौर लोकसभा सीट के भौगोलिक स्वरूप में परिवर्तन था। 2004 तक बिजनौर लोकसभा सीट के अन्तर्गत पाँच विधान सभाएँ (बिजनौर, चाँदपुर, नगीना, नजीबाबाद तथा धामपुर) आती थीं। ये सभी भौगोलिक रूप से बिजनौर जनपद के हिस्से थे। नये परिसीमन में नगीना, लोकसभा की सीट पर नगीना, विधानसभा के साथ नजीबाबाद, धामपुर की विधानसभाओं को जोड़ा गया। स्योहारा विधानसभा को नूरपुर के रूप में नया नाम दिया तथा नहटौर को नया विधानसभा सीट बनाकर नगीना लोकसभा में जोड़ा गया। नये परिसीमान में बिजनौर लोकसभा के साथ मेरठ जनपद की हस्तिनापुर सीट तथा मुजफ्फरनगर जनपद की मीरापुर तथा पुरकाजी विधानसभा की सीटों को बिजनौर तथा चाँदपुर की विधानसभा सीट के साथ में जोड़ा गया। इस नये परिदृश्य में बी॰एस॰पी॰ ने प्रसिद्ध पत्रकार शाहिद सिद्धिकी को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने मुजफ्फरनगर के पुराने कांग्रेसी नेता सईदुजमा को मैदान में उतारा। एन.सी.पी. की ओर से करतार सिंह भड़ाना तथा समाजवादी पार्टी ने डॉ. यशवीर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी 244587 मत लेकर विजयी रहे। बसपा प्रत्याशी शाहिद सिद्दीकी 216157 मत लेकर दूसरे स्थान पर रहे। सईदुजमा 85168 मतों के साथ तीसरे स्थान पर, करतार सिंह भड़ाना 74881 मतों के साथ चतुर्थ स्थान पर तथा डा. यशवीर सिंह 51079 मतों के साथ पाँचवें स्थान पर रहे। राष्ट्रीय लोकदल ने यह सीट 28430 मतों से जीती।
सोलहवीं लोकसभा का चुनाव 2014 में हुआ। यू.पी.ए. सरकार के विरुद्ध भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप थे। यद्यपि कोर्ट के मुकदमों के बाद कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया। अन्ना हजारे, अरविन्द केजरीवाल, प्रशान्त भूषण सरीखे हजारों कार्यकर्ताओं ने ‘‘इण्डिया अगेनस्ट करप्शन’’ के बैनर तले दिल्ली में आन्दोलन चलाया। बी॰जे॰पी॰ भी इसमें सहयोग कर रही थी। ये आन्दोलन बाद में एक राजनैतिक पार्टी आप ;।।च्द्ध के रूप में समाप्त हुआ। बहुत चतुराई के साथ अरविन्द केजरीवाल इस पार्टी के नायक बनकर उभरे। 2015 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली में यह पार्टी सबसे ज़्यादा सीटें लेकर आयी। बी॰जे॰पी॰ भी दस वर्षों तक सत्ता से बाहर थी। उसने भी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। बी॰जे॰पी॰ ने अपना उम्मीदवार कुँवर भरतेन्द्र सिंह को बनाया, समाजवादी पार्टी ने शाहनवाज को प्रत्याशी बनाया, मलूक नागर को बी॰एस॰पी॰ ने अपना प्रत्याशी घोषित किया तथा पिछले दो बार की विजेता पार्टी आर॰एल॰डी॰ ने फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को अपना प्रत्याशी बनाया। बी॰जे॰पी॰ प्रत्याशी ने 486913 मतों के साथ विजय पायी। सपा प्रत्याशी ने 281139 मत पाये तथा दूसरे स्थान पर रहे। बसपा प्रत्याशी तीसरे नम्बर पर रहे, उन्हें 230124 मत मिले। आर॰एल॰डी॰ प्रत्याशी को केवल 24348 मत पाकर संतोष करना पड़ा। बी॰जे॰पी॰ ने यह सीट 205774 मतों के भारी अन्तर से जीती।
2019 का लोकसभा चुनाव कई कारणों से महत्वपूर्ण है। 2014 में बी॰जे॰पी॰ भारत के राजनैतिक इतिहास में पहली बार अपने बल पर सत्ता में थी। यद्यपि उसके राजनैतिक गठबन्धन एन.डी.ए. में कई राजनैतिक पार्टियाँ थी। इन पाँच वर्षों में सरकार ने नोटबंदी जैसे अलोकप्रिय निर्णय लिये थे। पुलवामा में घात लगाकर भारत के फौजियों की हत्या ने सारे देश को पीड़ा से भर दिया था। भारत ने बालाकोट (पाक अधिकृत कशमीर) पर सर्जिकल स्ट्राइक की। सारा देश राष्ट्रवाद के खुमार में था। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस घटना को चुनावी एजेण्डा बनाया, जिससे बी॰जे॰पी॰ प्रथम बार 300 का आँकड़ा पार कर गयी। बिजनौर लोकसभा की सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन के कारण मलूक नागर चुनाव लड़े, ये सीट मायावती के हिस्से में आयी। बी॰जे॰पी॰ ने अपना उम्मीदवार 2014 के विजेता कुँवर भरतेन्द्र सिंह को बनाया। बी॰एस॰पी॰ प्रत्याशी मलूक नागर को 561045 मत मिले, जो कुल वैध मतों का 50.19 प्रतिशत था। बी॰जे॰पी॰ प्रत्याशी कुँवर भरतेन्द्र सिंह को 491104 मत मिले। बसपा ने ये सीट 69941 मतों से जीती। कांग्रेस के उम्मीदवार नसीमुद्दीन सिद्दीकी को केवल 25833 मत मिले। ये चुनाव इतना दो ध्रुवीय था कि 95.48 प्रतिशत मत विजयी और पराजित उम्मीदवारों के पास थे।
नगीना लोकसभा सीट का विश्लेषण
2014 में बिजनौर लोकसभा का पुनर्गठन किया गया। साथ ही एक और लोकसभा की सीट का सृजन किया गया। इस सीट को नगीना (सुरक्षित) के नाम से जाना गया। विधानसभा परिसीमन में एक नयी सीट नहटौर का सृजन किया गया। इस प्रकार सात के स्थान पर आठ विधानसभा क्षेत्र प्रकाश में आये। दो सीटों के नाम परिवर्तित किये गये। स्योहारा सीट का नाम नूरपुर रखा गया तथा अफजलगढ़ सीट का नाम बढ़ापुर रखा गया।
2009 में नगीना (सुरक्षित) सीट पर पहला चुनाव लड़ा गया। इस लोकसभा सीट में नजीबाबाद, नगीना, नहटौर, नूरपुर तथा धामपुर विधानसभा सीट आती हैं। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 11.97 लाख थी। इस चुनाव में सपा ने यशवीर सिंह को, बसपा ने राम किशन को, मुंशीराम पाल को राष्ट्रीय लोकदल ने तथा इशम सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया। सपा प्रत्याशी ने 234815 मत हासिल कर विजय प्राप्त की। बसपा 175127 मत लेकर दूसरे स्थान पर 163062 मत लेकर आर॰एल॰डी॰ प्रत्याशी तीसरे स्थान पर तथा कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 31779 मत मिले। सपा ने यह सीट 59688 मतों से जीती।
2014 में इस सीट पर बी॰जे॰पी॰ ने यशवन्त सिंह को, समाजवादी पार्टी ने यशवीर सिंह, बी॰एस॰पी॰ ने गिरीश चन्द्र को तथा पीस पार्टी ने शीशराम सिंह रवि को प्रत्याशी बनाया। विजयी बी॰जे॰पी॰ प्रत्याशी को 367825 मत, दूसरे स्थान पर सपा प्रत्याशी को 275435, तीसरे स्थान पर रहे बी॰एस॰पी॰ प्रत्याशी को 245685 मत तथा पीस पार्टी प्रत्याशी को 21334 मत मिले। बी॰जे॰पी॰ प्रत्याशी ने यह सीट 92390 मतों से जीती। 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का आपसी गठबंधन था। नगीना की सीट भी बहुजन समाज पार्टी के हिस्से में थी। बसपा ने इस सीट पर पिछले चुनाव के पराजित प्रत्याशी गिरीश चन्द्र को प्रत्याशी बनाया। बी॰जे॰पी॰ ने अपने पिछले विजित उम्मीदवार यशवन्त सिंह को उतारा तथा कांग्रेस ने ओमवती को अपना प्रत्याशी घोषित किया। बसपा प्रत्याशी गिरीश चन्द्र ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 568378 मत प्राप्त किये। बी॰जे॰पी॰ प्रत्याशी को 401546 मत मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को केवल 20046 मत मिले। बसपा ने यह सीट 56.29 प्रतिशत मत लेकर 166832 वोटों से जीता। इस प्रकार तीन चुनावों में इस सीट पर 2009 में सपा, 2014 में बी॰जे॰पी॰ तथा 2019 में बी॰एस॰पी॰ उम्मीदवार विजयी रहे।
तालिका: 1.1 बिजनौर लोकसभा सीट का विवरण
क्र.सं. चुनाव वर्ष विजित उम्मीदवार पार्टी पराजित उम्मीदवार पार्टी
1. 1952 श्री नेमीशरण कांग्रेस गोविन्द सहाय निर्दलीय
2. 1957 श्री अब्दुल कांग्रेस भूदेव सिंह भारतीय जनसंघ
3. 1962 श्री प्रकाशवीर शास्त्री निर्दलीय श्री अब्दुल लतीफ कांग्रेस
4. 1967 स्वामी रामानन्द शास्त्री कांग्रेस श्रीराम जनसंघ
5. 1971 स्वामी रामानन्द शास्त्री कांग्रेस माही लाल बी.के.डी.
6. 1974 श्रीराम दयाल कांग्रेस उपचुनाव में निर्विरोध निर्वाचित
7. 1977 श्री महीलाल जनता पार्टी रामदयाल कांग्रेस
8. 1980 श्री मंगलराम प्रेमी जनता;ैद्ध (लोकदल) माहीलाल जनता पार्टी ;श्रद्ध
9. 1984 श्री गिरधारी लाल कांग्रेस मंगलराम प्रेमी लोकदल
10. 1985 श्रीमती मीरा कुमार कांग्रेस रामविलास पासवान लोकदल (उपचुनाव)
11. 1989 सुश्री मायावती बी॰एस॰पी॰ मंगलराम प्रेमी जनता दल
12. 1991 श्री मंगलराम प्रेमी बी॰जे॰पी॰ मायावती बी॰एस॰पी॰
13. 1996 श्री मंगलराम प्रेमी बी॰जे॰पी॰ सतीश कुमार समाजवादी पार्टी
14. 1998 श्रीमती ओमवती देवी समाजवादी पार्टी मंगलराम प्रेमी बी॰जे॰पी॰
15. 1999 श्री शीशराम रवि बी॰जे॰पी॰ ओमवती देवी समाजवादी पार्टी
16. 2004 मुंशीराम पाल आर॰एल॰डी॰ घनश्याम खरवार बी॰जे॰पी॰
17. 2009 श्री संजय सिंह चौहान आर॰एल॰डी॰ शाहिद सिद्दीकी बी॰एस॰पी॰
18. 2014 कुँवर भरतेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ शाहनवाज राणा समाजवादी पार्टी
19. 2019 श्री मलूक नागर बी॰एस॰पी॰ कुँवर भरतेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰
स्रोत: 1. चुनाव कार्यालय, जनपद बिजनौर, 2. त्मेनसजनदपअमतेपजलण्बवउ
तालिका: 1.2 नगीना लोकसभा सीट का विवरण
क्र.सं. चुनाव वर्ष विजित उम्मीदवार पार्टी पराजित उम्मीदवार पार्टी
1. 2009 यशवीर सिंह समाजवादी पार्टी राम किशन बी॰एस॰पी॰
2. 2014 यशवन्त सिंह बी॰जे॰पी॰ ययशवीर सिंह समाजवादी पार्टी
3. 2019 गिरीश चन्द्र बी॰एस॰पी॰ यशवन्त सिंह बी॰जे॰पी॰
उत्तर प्रदेश-विधान सभा परिदृश्य (1952-2022) में बिजनौर
राजनैतिक रूप से उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण स्थान है। जो उत्तर प्रदेश जीतेगा, दिल्ली भी उसी की होगी। राजनीति भूगोल के महान विचारक अल्फ्रेड मेकिण्डर ने एक बार ब्रिटिश पार्लियामेन्ट में कहा था।1
Who
rules East Eurupe commands the heartland;
Who rules Heart land commands the
world island;
Who rules the World Island commands
the World
(From- The Geographical Pivot of
History, Geographical Journal, Vol 23)
उपरोक्त सिद्धान्त भूगोल में हृदय स्थल सिद्धान्त कहा जाता है। ‘‘जो पूर्वी यूरोप पर राज करेगा, वह हृदय स्थल पर नियंत्रण करेगा। जो हृदय स्थल पर राज करेगा, वह विश्व द्वीप का नियंत्रण करेगा। जो विश्वद्वीप पर राज करेगा, वह विश्व को नियंत्रित करेगा। उत्तर प्रदेश भारत राजनीति का हृदय स्थल है। 1977, 1980, 1984, 1989, 1998, 1999, 2014, 2019 ऐसे वर्ष हैं, जब उत्तर प्रदेश की लोकसभा सदस्यों की संख्या के बल पर केन्द्र में सत्ता बदली। उत्तर प्रदेश में राजनैतिक प्रक्रिया ‘‘भारत सरकार एक्ट 1935’’ के आधार पर आरम्भ मानी जाती है। 1936 में यू.पी. (यूनाइटेड प्रोविन्स अवध एण्ड आगरा) से पहली बार विधान सभा और विधान परिषद हेतु चुनाव हुए। यू.पी. में तब 228 सीटें थी। 1937 में विधान परिषद के चुनाव में मौ. अली जिन्ना ने बिजनौर में डेरा डाला ताकि उनका मुस्लिम लीग प्रत्याशी अब्दुल समी जीत जाये, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी हाफिज मौ. इब्राहीम ने उनको भारी अन्तर से हराया। विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 228 में से 134 स्थानों पर विजय प्राप्त की। गोविन्द वल्लभ पंत को प्रधानमंत्री (वर्तमान में मुख्यमंत्री) बनाया गया।
प्रथम विधानसभा चुनाव 1952
संविधान लागू होने के उपरान्त उत्तर प्रदेश में प्रथम बार चुनाव 26 मार्च 1952 को सम्पन्न हुए। उस समय विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 347 थी, जिनमें 83 विधानसभा दो सदस्य वाली थी, अर्थात् उस विधानसभा से दो सदस्य चुने जाते थे। प्रथम चुनाव में निम्न सदस्य निर्वाचित हुए थे।
तालिका: 1.3
1. नजीबाबाद नॉर्थ कम नगीना नॉर्थ श्री रतन लाल कांग्रेस
2. बिजनौर नॉर्थ कम नजीबाबाद वेस्ट श्री अब्दुल लतीफ कांग्रेस
3. बिजनौर सेन्ट्रल श्रीमती चन्द्रावती कांग्रेस
4. बिजनौर साउथ कम धामपुर साउथ वेस्ट श्री शिव कुमार शर्मा कांग्रेस
5. धामपुर नॉर्थ ईस्ट कम नगीना ईस्ट श्री खूब सिंह
श्री गिरधारी लाल कांग्रेस
कांग्रेस
6. नगीना साउथ वेस्ट कम धामपुर हाफिज मौ. इब्राहीम कांग्रेस
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
द्वितीय विधानसभा चुनाव 1957
23 मार्च 1957 को उत्तर प्रदेश में दूसरे आम चुनाव सम्पन्न हुए। प्रदेश में उस समय सीटों की कुल संख्या 430 थी। कांग्रेस ने इस चुनाव में अच्छी सफलता प्राप्त कर 286 सीटों पर कब्जा किया। द्वितीय विधान सभा चुनाव में निम्न सफल उम्मीदवार थे। हाफिज मौ. इब्राहीम के इस्तीफे से नजीबाबाद सीट रिक्त हो गयी, उसके लिए उप चुनाव अक्टूबर 1958 में हुए जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी अतीक-उर-रहमान 17205 मत लेकर विजय घोषित हुए।
तालिका: 1.4
1. नजीबाबाद हाफिज मौहम्मद इब्राहीम कांग्रेस
2. अफजलगढ़ श्री अब्दुल लतीफ निर्दलीय
3. बिजनौर चन्द्रावती कांग्रेस
4. चाँदपुर नरदेव सिंह निर्दलीय
5. नगीना गोविन्द सहाय कांग्रेस
6. धामपुर खूब सिंह तथा गिरधारी लाल कांग्रेस
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
तीसरा आम विधानसभा चुनाव
तीसरा आम चुनाव 5 फरवरी 1962 को सम्पन्न हुआ। इस चुनाव में 51.44 प्रतिशत वोटिंग हुआ। सी.बी. गुप्ता यू.पी. के मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस इस चुनाव में 286 से घटकर 249 पर आ गयी। कांग्र्रेस जनपद में सात में से केवल 5 सीटों पर अपना विजय का परचम लहरा पायी। प्रदेश में जनसंघ ने इस चुनाव में 49 सीटें जीती।
तालिका: 1.5
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी मत पराजित प्रत्याशी मत
1. अफजलगढ़ बसन्त सिंह 14631 जनसंघ साहूद्दीन कांग्रेस 13989
2. नजीबाबाद श्रीराम 24764 जनसंघ अतीक-उर-रहमान कांग्रेस 22295
3. नगीना गोविन्द सहाय 21896 कांग्रेस नौबहार जनसंघ 24764
4. धामपुर खूब सिंह 18824 कांग्रेस अमीरी सिंह सोशलिस्ट 11230
5. बढ़ापुर गिरधारी लाल 24478 कांग्रेस मुकन्दी सिंह जनसंघ 18628
6. बिजनौर कुँवर सत्यवीर 21472 कांग्रेस नेपाल सिंह निर्दलीय 8755
7. चाँदपुर नरदेव सिंह 12141 निर्दलीय चन्दन सिंह कम्प्यूनिस्ट 10982
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
चतुर्थ आम चुनाव 1967
भारत-चीन युद्ध (1962) के परिणामों अर्थात् भारत की पराजय, नेहरू जी की व्यक्तिगत हार थी। पं. जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु (1964) के उपरान्त कांग्रेस की प्रसिद्धि में अन्तर आने लगा था। उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या पुनर्संयोजन के उपरान्त 425 रह गयी थी। बहुमत के लिए 213 सीटों पर जीत आवश्यक थी। कांग्रेस केवल 199 सीटें जीत पायी। जनसंघ ने 98, स.स॰पा॰ ने 44, सी.पी.आई. 13, स्वतंत्र पार्टी 12, प्र॰सो॰पा॰ 11, आर.पी.आई. 10, सी.पी.एम. 1 तथा निर्दलीय 37 विधायक जीते। सी.बी. गुप्ता गुप्ता ने अपना त्याग पत्र दे दिया। चौ. चरण सिंह यू.पी. के मुख्यमंत्री बने। 1967 में निम्न प्रत्याशी विजयी रहे।
तालिका: 1.6
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी मत
1. अफजलगढ़ गिरधारी लाल कांग्रेस 30958 श्री राम जनसंघ 13989
2. नगीना अतीकुर्रहमान कांग्रेस 30958 बट्टू सिंह निर्दलीय 23136
3. नजीबाबाद कुँवर देवेन्द्र सिंह निर्दलीय 27152 मौ. सद्दीक कांग्रेस 14689
4. नूरपुर खूब सिंह कांग्रेस 19942 थम्मन सिंह जनसंघ 16285
5. धामपुर गोविन्द सहाय कांग्रेस चुनाव कार्यालय में आँकड़े अनुपलब्ध
6. बिजनौर कुँवर सत्यवीर कांग्रेस 24458 ढाल गोपाल सिंह स्वतंत्र पार्टी 9887
7. चाँदपुर नरदेव सिंह निर्दलीय 19821 राम सिंह कांग्रेस 16656
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
पाँचवा मध्यवर्ती आम चुनाव 1969
चतुर्थ विधान सभा का कार्यकाल अल्पावधि का रहा। चौधरी चरण सिंह 3 अप्रैल 1967 से 25 फरवरी 1968 तक मुख्यमंत्री रहे। सरकार के अल्प मत में आने से 25 फरवरी 1968 से 26 फरवरी 1969 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा। 10 फरवरी 1969 को पाँचवी बार विधान सभा के लिए आम चुनाव हुए जिसमें निम्न प्रत्याशी सफल रहे।
तालिका: 1.7
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी मत
1. अफजलगढ़ चौधरी गिरधारी लाल कांग्रेस 20505 शिव राम जनसंघ 12297
2. नगीना अतीक-उर-रहमान कांग्रेस 28242 अब्दुल मजीद बी.के.डी. 24541
3. नजीबाबाद कुँ. देवेन्द्र सिंह बी.के.डी. 28138 शफीक अहमद कांग्रेस 27965
4. बिजनौर रामपाल सिंह बी.के.डी. 28759 कुँ. सत्यवीर कांग्रेस 20349
5. चाँदपुर शिवमहेन्द्र सिंह (शेर सिंह) बी.के.डी. 38721 नरदेव ंिसह कांग्रेस 27321
6. नूरपुर शिवनाथ सिंह बी.के.डी. 34275 खूब सिंह कांग्रेस 22022
7. धामपुर सत्तार अहमद बी.के.डी. 28976 क्रान्ति कुमार कांग्रेस 22040
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
छठाँ चुनाव 1974
28 जनवरी 1974 को उत्तर प्रदेश में छठाँ आम चुनाव सम्पन्न हुआ। 1969 तथा 1974 के मध्य उ.प्र. में घटनाक्रम तेजी के साथ बदला। 26 फरवरी 1969 को श्री चन्द्रभान गुप्ता ने मुख्यमंत्री की शपथ ली। इन चुनावों में कांग्रेस 211 सीटें लेकर आयी थी। चौधरी चरण सिंह जी उ.प्र. राजनीति के देदीप्यान सितारे रहे हैं। 1967 में कांग्रेस से अलग होकर चौधरी साहब ने जन कांग्रेस पार्टी बनायी। 1969 में उन्होंने भारतीय क्रान्ति दल (बी.के.डी.) की स्थापना की तथा 1969-1974 के विधानसभा के चुनाव बी.के.डी. के तत्वाधान में लड़े। 1974 में ही देश की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उन्होंने भारतीय लोकदल की स्थापना की, जिसमें संसोपा, उत्कल कांग्रेस, स्वतंत्र पार्टी राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी का विलय हुआ था। चौधरी चरण सिंह की नव-निर्मित पार्टी ने 98 सीटें लेकर आयी और उसको 22 प्रतिशत मत मिले, जनसंघ 98 से पुनः 49 सीटों पर आ गयी। कांग्रेस की सरकार 367 दिन चलकर 18 फरवरी 1970 को गिर गयी और चौधरी चरण सिंह दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार वे 225 दिन मुख्यमंत्री रहे। 10 अक्टूबर 1970 को प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया जो 17 दिन रहा। 18 अक्टूबर 1970 को कांग्रेस ने त्रिभुवन नरायन सिंह को मुख्यमंत्री बनाया, जो केवल 168 दिन इस पद पर रहे। उसके पश्चात् कांग्रेस ने श्री कमलापति त्रिपाठी जी को मुख्यमंत्री बनाया जो दो वर्ष 70 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे। यू.पी. में 148 दिनों तक पुनः राष्ट्रपति शासन रहा। 8 नवम्बर 1973 को यू.पी. की बागडोर हेमवती नन्दन बहुगुणा जी ने सम्भाली। छठें चुनाव के समय वे ही यू.पी. के मुख्यमंत्री थे। इस चुनाव में कांग्रेस बहुमत के साथ 215 सीटें लेकर आयी बी.के.डी. ने अपनी संख्या 106 तक पहुँचायी। जनसंघ 61 सीटों पर जीती, कांग्रेस (संगठन) 10 सीटों पर तथा सी.पी.आई. 16 सीटों पर विजयी रही। जनपद में 5 सीटें कांग्रेस (आई) ने तथा 2 सीटें बी.के.डी. ने जीती। विजित उम्मीदवार निम्नलिखित है-
तालिका: 1.8
क्र. सीट का नाम पार्टी विजय प्रत्याशी पराजित प्रत्याशी पार्टी
1. स्योहारा बी.के.डी. अब्दुल वहीद शौनाथ ंिसह नई कांग्रेस
2. धामपुर नई कांग्रेस सत्तार अहमद चन्द्रवीर सिंह गहलौत बी.के.डी.
3. अफजलगढ़ क्रान्ति कुमार क्रान्ति कुमार श्याम सिंह बी.के.डी.
4. नगीना नई कांग्रेस अजीज-उर-रहमान मेहर सिंह पूषण बी.के.डी.
5. नजीबाबाद नई कांग्रेस सुक्खन सिंह मुकन्दी सिंह बी.के.डी.
6. बिजनौर अजीजुर्रहमान कांग्रेस (आई) निसार अहमद बी.के.डी.
7. चाँदपुर बी.के.डी. श्री धर्मवीर सिंह रामपाल सिंह कांग्रेस (आई)
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
सातवाँ आम चुनाव (मध्यावधि) 1977
एच.एन. बहुगुणा के निर्देशन में नई कांग्रेस ने छठाँ चुनाव लड़कर सफलता पाई थी। लेकिन 30 नवम्बर 1975 को उनको इस्तीफा देना पड़ा। वे 2 वर्ष 22 दिन यू.पी. के मुख्यमंत्री रहे। 52 दिनों तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहा। 21 जनवरी 1976 को श्री नारायण दत्त तिवारी ने कांग्रेस की बागडोर संभाली। वे एक वर्ष 99 दिनों तक इस गद्दी पर आसीन रहे। 30 अप्रैल 1977 से 23 जून 1977 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा। आपातकाल के बाद 21 मार्च को आम चुनाव थे। यू.पी. की तत्कालीन 85 संसदीय सीटें जनता पार्टी ने जीती। इसीलिए यू.पी. की विधानसभा भंग कर दी गई तथा मई के अन्त में 1977 के आम चुनाव हुए। इस चुनाव में निम्न प्रत्याशी सफल रहें जनता पार्टी ने सभी सात सीटें जीती।
तालिका: 1.9
क्र.सं. सीट का नाम विजय प्रत्याशी पार्टी पराजित प्रत्याशी पार्टी
1. स्योहारा श्री अब्दुल वहीद जनता पार्टी शौनाथ सिंह नई कांग्रेस
2. धामपुर श्री हरिपाल शास्त्री जनता पार्टी सत्तार अहमद नई कांग्रेस
3. अफजलगढ़ मुफ्ती जलील अहमद जनता पार्ठी क्रांति कुमार नई कांग्रेस
4. नगीना (सु.) मंगलराम प्रेमी जनता पार्टी श्रीमती गंगादेई नई कांग्रेस
5. नजीबाबाद (सु.) मुकन्दी सिंह जनता पार्टी सुक्खन सिंह नई कांग्रेस
6. बिजनौर कुँ. सत्यवीर जनता पार्टी अजीज-उर-रहमान नई कांग्रेस
7. चाँदपुर श्री धर्मवीर सिंह जनता पार्टी जगजीत सिंह नई कांग्रेस
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
जनता पार्टी के पतन के बाद 1980 में चौधरी साहब की पार्टी जनता(ै) (लोकदल) के रूप में पुनः चुनावी अखाड़े में उतरी। 1984 में ही चौधरी साहब ने पुनः नयी पार्टी दमकिपा बनायी। 29 मई 1987 को भारतरत्न चौधरी चरण सिंह का देहान्त हो गया। उसके पश्चात् लोकदल पार्टी का नेतृत्व उनके पुत्र चौ॰ अजीत सिंह ने किया।
आठवाँ आम चुनाव (मध्यावधि) 1980
केन्द्र में 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी लेकिन अन्तर्कलह इतनी बड़ी थी कि 1980 तक आते-आते कांग्रेस (आई) ने आम संसदीय चुनाव जीते तथा इन्दिरा गाँधी सत्ता में आ गयी। 1977 में जनता पार्टी ने यू.पी. की सरकार इसलिए गिरा दी थी कि ये सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। इन्दिरा गाँधी ने भी यही फार्मूला लागू किया और 17 फरवरी से 9 जून 1980 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा। जनता पार्टी के दो मुख्यमंत्री 23 जून 1977 से 17 फरवरी 1980 तक रहे। प्रथम राम नरेश यादव तथा 28 फरवरी से 19 फरवरी 1980 तक श्री बनारसी दास। 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने 309 सीटें जीती। जनता पार्टी (सेकुलर) 59 सीटों पर सिमट गयी। संगठन कांग्रेस को 13 सीट, बी॰जे॰पी॰ को 11 सीट, सी.पी.आई. को ग्यारह सीट तथा अन्य छोटी पार्टियों और निर्दलीयों के पास 26 सीटें थी। जनपद के विजित प्रत्याशियों का विवरण निम्न हैं-
तालिका: 1.10
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा श्री शौनाथ सिंह कांग्रेस;प्द्ध 31586 अब्दुल वहीद कांग्रेस ;श्रद्ध 21294
2. धामपुर श्री श्याम सिंह जनता;ैद्ध (लोकदल) 20932 हरिपाल शास्त्री कांग्रेस (ई) 14658
3. अफजलगढ़ श्री थम्मन सिंह बी॰जे॰पी॰ 18818 महमूदुल हसन कांग्रेस (ई) 18521
4. नगीना (आ.) श्री बिशनलाल कांग्रेस (आई) 25062 मुरारी सिंह जनता पार्टी ;ैद्ध 17982
5. नजीबाबाद(आ.) रतिराम कांग्रेस (आई) 17833 रामस्वरूप सी.पी.एम. 13473
6. बिजनौर अजीज-उर-रहमान कांग्रेस (आई) 29517 चन्द्रावती जनता पार्टी ;ैद्ध 17987
7. चाँदपुर अमीरूद्दीन कांग्रेस ;श्रद्ध 34027 रामपाल सिंह कांग्रेस (ई) 21423
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
नवाँ आम चुनाव मार्च 1985
1980 के चुनाव में भारी सफलता अर्जित करने के उपरान्त कांग्रेस ने विश्वनाथ प्रताप सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। यू.पी. में डाकू उन्मूलन समस्या में असफल रहने के कारण उन्होंने 19 जुलाई 1982 को इस्तीफा दे दिया। तत्पश्चात् दो वर्ष से ज़्यादा श्रीपति मिश्र (3 अगस्त 1984 तक) यू.पी. के मुख्यमंत्री रहे। पुनः 3 अगस्त 1984 को श्री नारायणदत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया और उन्हीं के निर्देशन में कांग्रेस ने चुनाव लड़ा। ये चुनाव इन्दिरा गाँधी की हत्या से उपजी सहानुभूति पर था। 1985 में कांग्रेस ने 259 सीटें जीती तथा 39.25 प्रतिशत वोट प्राप्त किये। लोकदल ने 84 सीटों के साथ 24.43 प्रतिशत वोट प्राप्त कर दूसरा स्थान प्राप्त किया। बी॰जे॰पी॰ ने 16 सीटें तथा 9.83 प्रतिशत वोट प्राप्त कर तीसरा स्थान प्राप्त किया। जनता पार्टी ने 5.90 प्रतिशत वोटों के साथ 20 सीटें प्राप्त की। अन्य निर्दलीयों को 36 सीटें मिलीं।
तालिका: 1.11
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा शिवनाथ सिंह कांग्रेस (ई) 26914 होरी सिंह निर्दलीय 24530
2. धामपुर बसन्त सिंह कांग्रेस (ई) 19541 श्याम सिंह लोकदल 16138
3. अफजलगढ़ महमुदुल हसन अंसारी कांग्रेस (ई) 46693 थम्मन सिंह बी॰जे॰पी॰ 23426
4. नगीना (आ.) श्रीमती ओमवती कांग्रेस (ई) 39237 मंगलराम प्रेमी लोकदल 20253
5. नजीबाबाद(आ.) सुक्खन सिंह कांग्रेस (ई) 30679 रामस्वरूप सी.पी.आई.एम. 20880
6. बिजनौर अजीजुर्रहमान कांग्रेस (ई) 42139 क्रान्ति कुमार निर्दलीय 39467
7. चाँदपुर कुँ. देवेन्द्र सिंह कांग्रेस (ई) 41426 अमीरूद्दीन लोकदल 33537
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
दसवाँ आम चुनाव 1980
नवें चुनाव के उपरान्त कांग्रेस की ओर से नारायण दत्त तिवारी ही 24 सितम्बर 1985 तक यू.पी. के मुख्यमंत्री बने रहे। 24 सितम्बर 1985 को वीरबहादुर सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में यू.पी. के मुख्यमंत्री की कमान संभाली और वे 25 जून 1988 तक अर्थात् 2 वर्ष 275 दिनों तक यू.पी. के मुख्यमंत्री रहे। 25 जून 1988 को नारायण दत्त तिवारी जी ने तीसरी बार यू.पी. के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली, वे 5 दिसम्बर 1989 तक अर्थात् 1 वर्ष 163 दिनों तक यू.पी. के मुख्यमंत्री बने रहे। इसके पश्चात् 5 दिसम्बर 1989 को जनता दल के उम्मीदवार के रूप में मुलायम सिंह यादव ने यू.पी. के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। एन.डी. तिवारी कांग्रेस के अन्तिम मुख्यमंत्री सिद्ध हुए। राष्ट्रीय स्तर पर राजीव गाँधी की प्रचण्ड बहुत से चुनी सरकार ‘‘बोफोर्स तोप दलाली’’ काण्ड में इतनी बदनाम हुई कि कांग्रेस की सत्ता जाती रही। वी.पी. सिंह, चन्द्रशेखर, चौ. अजीत सिंह, चौ. देवी लाल आदि राष्ट्रीय नेताओं द्वारा निर्मित जनता दल उत्तरी भारत की मुख्य पार्टी बनकर उभरा। 1989 के यू.पी. विधान सभा के चुनाव केन्द्र के चुनावों के साथ सम्पन्न हुए। कांग्रेस ने 1985 में जनपद की सभी सात सीटों पर विजय हासिल की थी। 1989 में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पायी। केवल अफजलगढ़ और नजीबाबाद में दूसरे स्थान पर रहकर उसे संतोष करना पड़ा। नवनिर्मित जनता दल ने 29.71 प्रतिशत वोटों के साथ 208 सीटें जीती, कांग्रेस ने 27.90 प्रतिशत वोट पाये और 94 सीटें जीती, इस प्रकार 1985 की तुलना में इसको 175 सीटों का नुकसान था। बी॰जे॰पी॰ ने 11.61 प्रतिशत वोट पाये और 57 सीटें जीती। बी॰एस॰पी॰ ने 9.41 प्रतिशत वोट पाये और 13 सीटें जीती। सी.पी.आई. ने 6 सीटें जीती। इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार 40 की संख्या में जीतकर आये। जनपद के जीते हुई प्रत्याशी निम्न प्रकार है-
तालिका: 1.12
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा अशोक कुमार राणा जनता दल 62348 शमीम अहमद बी॰एस॰पी॰ 26086
2. धामपुर सुरेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 39183 बुनियाद अली बी॰एस॰पी॰ 31411
3. अफजलगढ़ सुलेमान शेख बी॰एस॰पी॰ 34004 महमूदुल हसन कांग्रेस 18334
4. नगीना (आ.) रामेश्वरी बी॰एस॰पी॰ 32553 मुकन्दी सिंह जनता दल 26971
5. नजीबाबाद (आ.) बलदेव सिंह बी॰एस॰पी॰ 27917 अरविन्द चौधरी कांग्रेस 23157
6. बिजनौर सुखवीर सिंह जनता दल 34957 गजनफर अली बी॰एस॰पी॰ 34481
7. चाँदपुर तेजपाल सिंह जनता दल 83815 अमीरूद्दीन बी॰एस॰पी॰ 51252
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का ग्यारहवाँ (मध्यावधि) चुनाव 1991
1989 से 1991 की राजनीति भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें कांग्रेस का पतन और बी॰जे॰पी॰ के उदय का काल है। राम मन्दिर आन्दोलन से जो राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, वह उत्तर प्रदेश था। लालकृष्ण आडवाणी की सोमनाथ से सरयू यात्रा 25 सितम्बर 1990 को आरम्भ हुई थी। इससे पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू कर चुके थे। बिहार में आडवाणी की गिरफ्तारी, बी॰जे॰पी॰ का वी.पी. सिंह सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा परिणामस्वरूप सरकार के अल्पमत में आने के कारण 7 नवम्बर को वी.पी. सिंह को इस्तीफा देना पड़ा। इन सभी घटनाओं से उत्तर प्रदेश की सरकार भी गिर गयी। मई 1991 में मध्यवर्ती चुनाव हुए। बी॰जे॰पी॰ ने 31.45 प्रतिशत वोट पाकर 221 सीटें जीती। जनता दल को 18.84 प्रतिशत वोट तथा 92 सीटें मिली। कांग्रेस 46 सीटें, जनता पार्टी ने 34, बी॰एस॰पी॰ को 12, शेष अन्य को 14 सीटें मिली। यू.पी. में प्रथम बार बी॰जे॰पी॰ ने पूर्ण बहिुमत की सरकार बनायी। बिजनौर जनपद की सभी सातों सीटे बी॰जे॰पी॰ ने जीती, जिनका विवरण निम्न है।
तालिका: 1.13
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा महावीर सिंह बी॰जे॰पी॰ 51412 अनवर जनता दल 31674
2. धामपुर राजेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 62048 बुनियाद सिंह जनता दल 35397
3. अफजलगढ़ इन्द्र देव बी॰जे॰पी॰ 45467 सुलेमान बी॰एस॰पी॰ 25231
4. नगीना (सु.) ओमप्रकाश बी॰जे॰पी॰ 41744 सरजीत बी॰एस॰पी॰ 19255
5. नजीबाबाद(सु.) राजेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 34730 तिलकराम सी.पी.आई.एम. 18901
6. बिजनौर महेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 67009 गजनफर अली बी॰एस॰पी॰ 51349
7. चाँदपुर अमर सिंह बी॰जे॰पी॰ 58275 अमरूद्दीन बी॰एस॰पी॰ 41436
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का बारहवाँ (मध्यावधि) चुनाव, 1993
जनता दल भी जनता पार्टी की तरह अपने जन्म से ही आन्तरिक कलह से जूझ रहा था। मण्डल-कमण्डल की राजनीति के कारण वी.पी. सिंह ने 7 नवम्बर 1990 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। चन्द्रशेखर के पास जनता दल के 64 सांसदों का समर्थन था। कांग्रेस के सहयोग से चन्द्रशेखर ने 10 नवम्बर 1990 को भारत के आठवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 21 जून 1991 तक वे भारत के प्रधानमंत्री रहे। कांग्रेस से प्राप्त ऑक्सीजन के बल पर उनकी सरकार चल रही थी। कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गयी। यू.पी. की सरकार भी जनता दल विभाजन की त्रासदी झेल रही थी। 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण हेतु भक्तों ने विवादित ढाँचा गिरा दिया। राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने बी॰जे॰पी॰ की चार प्रदेशों में चल रही सरकारें समाप्त कर दी। कल्याण सिंह 24 जून 1991 से 6 दिसम्बर 1992 तक अर्थात् 1 वर्ष 165 दिनों तक ही यू.पी. के मुख्यमंत्री रहे। 6 दिसम्बर 1992 से 4 दिसम्बर तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा। इस चुनाव में बी॰जे॰पी॰ घटकर 177 सीटों पर आ गयी। समाजवादी पार्टी को 109 तथा बी॰एस॰पी॰ को 67 सीटें आयी, कांग्रेस अपने निचले स्तर पर 28 सीटों के साथ थी, जनता दल को 27 तथा अन्य छोटी पार्टियाँ व निर्दलीय मिलाकर 14 सीटें ही जीत पाये। जनपद में जीते प्रत्याशियों का विवरण निम्न है-
तालिका: 1.14
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा महावीर सिंह बी॰जे॰पी॰ 47361 ओमवती समाजवादी 43154
2. धामपुर राजेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 63069 मूलचन्द समाजवादी 60819
3. अफजलगढ़ इन्द्र देव बी॰जे॰पी॰ 61128 सुलेमान निर्दलीय 54509
4. नगीना (सु.) सतीश कुमार जनता दल 50895 ओमप्रकाश बी॰जे॰पी॰ 48203
5. नजीबाबाद(सु.) रामस्वरूप सीपीआईएम 46401 राजेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 40401
6. बिजनौर महेन्द्रपाल सिंह बी॰जे॰पी॰ 52338 सुखवीर सिंह जनता दल 40730
7. चाँदपुर तेजपाल सिंह निर्दलीय 37540 अमर सिंह बी॰जे॰पी॰ 37148
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का तेरहवाँ (आम) चुनाव 1996
4 दिसम्बर 1993 को मुलायम सिंह यादव ने दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 18 अक्टूबर 1995 तक वे इस पद पर सुशोभित रहे। इस बार वह 1 वर्ष 181 दिनों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1993 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी साथ मिलकर लड़े थे। मुलायम सिंह यादव के पश्चात् 3 जून 1995 को मायावती प्रथम बार उ.प्र. की मुख्यमंत्री बनी। लेकिन उनका मुख्यमंत्रित्व काल केवल 18 अक्टूबर 1995 तक ही रह पाया। मुलायम सिंह का सत्ता से अलग होने की ‘पटकथा’ 2 जून 1995 को होने वाली ‘‘मीराबाई स्टेट गेस्ट हाउस’’ घटना थी, जिसमें सपा के 200 कार्यकर्ताओं ने मायावती व उनके विधायकों पर हमला किया था। मायावती को बी॰जे॰पी॰ का सहयोग मिला और उन्होंने गवर्नर श्री मोतीलाल वोहरा से मिलकर बसपा और बी॰जे॰पी॰ की सरकार बना ली। 18 अक्टूबर को बी॰जे॰पी॰ ने अपनी समर्थन वापस ले लिया तथा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन 18 जून 1995 से 21 मार्च 1997 तक चला। 30 सितम्बर 1996 को बिजनौर जनपद में चुनाव सम्पन्न हुए। इन चुनावों के परिणाम भी 1993 के परिणामों की छायाप्रति थी। बी॰जे॰पी॰ को 174 सीटें, सपा को 110 सीटें बसपा को 67 तथा कांग्रेस को 33 सीटें मिली। नव निर्मित कांग्रेस तिवारी को 4 तथा जनता दल को 7 सीटें मिली। अन्य छोटी पार्टियों को 16 तथा 13 निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहे।
तालिका: 1.15
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा वेद प्रकाश बी॰जे॰पी॰ 76153 अनवर जनता दल 62649
2. धामपुर मूलचन्द सपा 61218 अजय बाला बी॰जे॰पी॰ 56948
3. अफजलगढ़ इन्द्रदेव बी॰जे॰पी॰ 64974 हुसैन बी॰एस॰पी॰ 60139
4. नगीना (सु.) ओमवती सपा 54553 ओमप्रकाश बी॰जे॰पी॰ 46120
5. नजीबाबाद(सु.) रामस्वरूप सीपीएम 58370 राजाराम बी॰जे॰पी॰ 46961
6. बिजनौर गजनफर अली बी॰एस॰पी॰ 74680 डा. तेजपाल बी॰जे॰पी॰ 48673
7. चाँदपुर निर्दलीय स्वामी ओमवेश 54124 सुरेखा बी॰एस॰पी॰ 40191
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का चौदरहवाँ (आम) चुनाव 2002
2002 का आम चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। 1996 के परिणाम खण्डित थे। अतः परिणाम आने के पश्चात् भी सरकार नहीं बन पायी। इसीलिए 21 मार्च 1997 तक सरकार नहीं बन पायी। तब बी॰जे॰पी॰ और मायावती के मध्य समझौता हुआ, जिसके अन्तर्गत 21 मार्च 1997 को मायावती ने सत्ता सम्भाली। मायावती 21 मार्च 1997 से 21 सितम्बर 1997 तक अर्थात् 184 दिनों तक मुख्यमंत्री रही। इसके पश्चात् 21 सितम्बर 1997 को कल्याण सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तथा 2 साल 52 दिनों के पश्चात् रामप्रकाश गुप्ता, बी॰जे॰पी॰ के मुख्यमंत्री बने। वे 28 अक्टूबर 2000 तक केवल 351 दिन ही मुख्यमंत्री रह पाये। 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक राजनाथ सिंह यू.पी. के मुख्यमंत्री रहे। 2002 के चुनाव में बी॰जे॰पी॰ का आर॰एल॰डी॰ के साथ समझौता था। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी 143 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। बसपा ने 98 सीटें, बी॰जे॰पी॰ ने 88 सीटें, कांग्रेस ने 35, राष्ट्रीय लोकदल ने 14 तथा कल्याण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय क्रान्ति पार्टी ने 04 सीटें जीती। 8 मार्च 2002 से 3 मई 2002 तक राष्ट्रपति शासन रहा। बी॰जे॰पी॰ के सहयोग से 3 मई 2002 को मायावती ने तीसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ ली। बिजनौर से इस चुनाव में निम्न प्रत्याशी विजयी रहे।
तालिका: 1.16
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा कुतुबुद्दीन बी॰एस॰पी॰ 37853 वेद प्रकाश बी॰जे॰पी॰ 35704
2. धामपुर मूलचन्द सपा 56597 अशोक राणा लोकदल 46044
3. अफजलगढ़ इन्द्र देव बी॰जे॰पी॰ 41532 मौ. गाजी बी॰एस॰पी॰ 40805
4. नगीना (सु.) ओमवती सपा 42684 मनोज कुमार पारस बी॰एस॰पी॰ 40553
5. नजीबाबाद(सु.) रामस्वरूप सिंह सीपीएम 40426 शीशराम रवि बी॰एस॰पी॰ 35584
6. बिजनौर कुँ. भरतेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 52195 तसलीम सपा 35858
7. चाँदपुर ओमवेश लोकदल 60595 रामअवतार सैनी बी॰एस॰पी॰ 49928
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का पन्द्रहवाँ (आम) चुनाव 2007
मायावती का तीसरी बार का मुख्यमंत्रित्व काल 29 अगस्त 2003 तक ही चला। ये समय एक साल 118 दिन का था। बी॰जे॰पी॰ ने इस बार भी उनसे समर्थन वापस ले लिया था। 29 अगस्त 2003 को मुलायम सिंह यादव ने तीसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ ली। मुलायम सिंह की पार्टी में कुछ बसपा विधायक भी आ गये थे तथा कोंग्रेस का बाहरी सहयोग था। मुलायम सिंह की ये सरकार 3 साल 257 दिनों तक चली। 2007 का आम चुनाव 7 अप्रैल 2007 से 8 मई 2007 के मध्य सात चरणों में सम्पन्न हुआ। बी॰एस॰पी॰ 30.43 प्रतिशत वोट लेकर 206 सीटें जीती। सपा 97 सीटें, बी॰जे॰पी॰ 51 सीटें, कांग्रेस 22 सीटें, आर॰एल॰डी॰ 10 सीटें, आर.पी.डी. 02 सीटें, अन्य छोटी पार्टियाँ 06 सीटें तथा निर्दलीय 9 सीटों पर विजयी रहे। जनपद बिजनौर की सातों सीटों पर बी॰एस॰पी॰ ने अपनी विजय पताका फहरायी।
तालिका: 1.7
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. स्योहारा यशपाल सिंह बी॰एस॰पी॰ 47751 कुतुबुद्दीन सपा 32873
2. धामपुर अशोक राणा बी॰एस॰पी॰ 65717 मूलचन्द सपा 45191
3. अफजलगढ़ मौ0 गाजी बी॰एस॰पी॰ 59496 इन्द्र देव बी॰जे॰पी॰ 51066
4. नगीना (सु.) ओमवती देवी बी॰एस॰पी॰ 46551 मनोज कुमार पारस सपा 36764
5. नजीबाबाद(सु.) शीशराम बी॰एस॰पी॰ 49848 राज कुमार सी.पी.एम. 41860
6. बिजनौर शाहनवाज बी॰एस॰पी॰ 61588 कुँ. भरतेन्द्र बी॰जे॰पी॰ 61031
7. चाँदपुर इकबाल बी॰एस॰पी॰ 58808 रामअवतार सैनी बी॰जे॰पी॰ 28797
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का सोलहवाँ (आम) चुनाव 2012
मायावती ने चौथी बार मुख्यमंत्री के रूप में 4 वर्ष 307 दिन तक शासन किया। उत्तर प्रदेश में एक लम्बे वर्षों के बाद किसी मुख्यमंत्री ने पूरे पाँच वर्ष शासन किया, उसमें मायावती का नाम आता है। उ.प्र. विधानसभा पुनर्सगठन एक्ट 2000 के अन्तर्गत यू.पी. में 403 सीटें रह गयी थी। उत्तराखण्ड अलग राज्य बन चुका था। 2012 के चुनाव में बिजनौर जनपद में सात के स्थान पर विधानसभा की आठ सीटें निर्मित की गयी। यद्यपि प्रदेश में कुल सीटें 403 रह गयी। लेकिन 2011 जनगणना के आधार पर किसी जनपद की सीट घटायी गयी और किसी की सीटें बढ़ायी गयी। बिजनौर के हिस्से में एक अतिरिक्त सीट आयी। स्योहारा सीट का नाम नूरपुर सीट कर दिया तथा अफजलगढ़ सीट का नाम बढ़ापुर सीट कर दिया गया। नहटौर नई सीट के रूप में सृजित की गयी। 2012 के आम चुनाव फरवरी 2012 में सम्पन्न हुए। इन चुनावों में समाजवादी पार्टी को 224 सीटें मिली, जो बहुमत के आँकड़े से भी ज़्यादा थी। बी॰एस॰पी॰ इन चुनावों में घटकर 80 पर आ गयी। बी॰जे॰पी॰ को 47 सीटें, कांग्रेस को 28, पीस पार्टी को चार, आर॰एल॰डी॰ को 09, कौमी एकता पार्टी को 2 तथा अन्य को 8 सीटें मिली। बिजनौर में बी॰एस॰पी॰ ने 4, बी॰जे॰पी॰ ने 02 तथा समाजवादी पार्टी ने 02 सीटें जीती। पराजित पार्टियों में भी बी॰एस॰पी॰ 04 पर हारी, बी॰जे॰पी॰ तथा सपा दो-दो सीटों पर हारी। 2014 के लोकसभा चुनावों में बिजनौर के विधायक कुँवर भरतेन्द्र सिंह के सांसद बनने पर यह सीट रिक्त हो गयी। उपचुनाव में रूचि वीरा (सपा) ने यह सीट जीती। प्रत्याशियों के हार-जीत के आँकड़े नीचे दिये जा रहे हैं।
तालिका: 1.18
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. नजीबाबाद तसलीम अहमद बसपा 62713 राजीव अग्रवाल बी॰जे॰पी॰ 51130
2. नगीना(सु.) मनोज कुमार पारस सपा 83997 ओमवती देवी बी॰एस॰पी॰ 57451
3. बढ़ापुर मौ. गाजी बसपा 68436 इन्द्र देव बी॰जे॰पी॰ 41061
4. धामपुर मूलचन्द सपा 53365 अशोक राणा बी॰एस॰पी॰ 52801
5. नहटौर(सु.) ओम कुमार बसपा 51389 राजकुमार सपा 31991
6. बिजनौर कुँ. भरतेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 68969 महबूब बी॰एस॰पी॰ 51133
7. चाँदपुर इकबाल बसपा 54941 शेर पठान खान सपा 39928
8. नूरपुर लोकेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 47566 मौ. उस्मान बी॰एस॰पी॰ 42093
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
विधानसभा का सत्रहवाँ (आम) चुनाव 2017
2012 के आम चुनावों में समाजवादी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिला था। मुलायम सिंह यादव ने अपने सुपुत्र अखिलेश यादव को पार्टी की कमान सौंप दी। 15 मार्च 2012 को अखिलेश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इस पद पर वो 5 साल 4 दिन तक रहे। 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने नये मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। केन्द्र में 2014 तक कांग्रेस की सरकार थी। दो वर्ष तक कांग्रेस की सरकार के विरुद्ध भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन चला, जिसका लाभ बी॰जे॰पी॰ को मिला। केन्द्र में बी॰जे॰पी॰ की सत्ता आयी तो नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। 2017 का चुनाव बी॰जे॰पी॰ ने पूर्ण तन्मयता से लड़ा और यू.पी. में भारी बहुमत से सरकार बनायी।
तालिका 1.19
क्र.सं. सीट का नाम विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. नजीबाबाद तसलीम अहमद सपा 81082 राजीव अग्रवाल बी॰जे॰पी॰ 79080
2. नगीना(सु.) मनोज कुमार पारस सपा 77145 ओमवती बी॰जे॰पी॰ 69168
3. बढ़ापुर सुशान्त कुमार बी॰जे॰पी॰ 78744 हुसैन अहमद कांग्रेस 68920
4. धामपुर अशोक राणा बी॰जे॰पी॰ 82168 मूलचन्द सपा 64320
5. नहटौर(सु.) ओमकार बी॰जे॰पी॰ 76644 मुन्नालाल प्रेमी कांग्रेस 53493
6. बिजनौर शुचि चौधरी बी॰जे॰पी॰ 105548 रूचि वीरा सपा 78267
7. चाँदपुर कमलेश सैनी बी॰जे॰पी॰ 92345 मौ. इकबाल बी॰एस॰पी॰ 56696
8. नूरपुर लोकेन्द्र सिंह बी॰जे॰पी॰ 79172 नईम उल हसन सपा 66436
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
2017 का चुनाव बी॰जे॰पी॰ के लिए सुखद ऐतिहासिक परिणाम लेकर आया था। बी॰जे॰पी॰ तीन चौथाई बहुमत के समीप थी। बी॰जे॰पी॰ ने 312 सीटों पर विजय पायी थी। सहयोगी पार्टियों के साथ उसकी संख्या 325 सीटों तक चली गयी थी। कांग्रेस केवल सात सीटों पर बसपा सत्रह सीटों पर, समाजवादी पार्टी 47 पर तथा आर॰एल॰डी॰ केवल एक सीट पर जीत पायी। निर्दलीय उम्मीदवार केवल तीन थे। यह बी॰जे॰पी॰ की उत्तर प्रदेश में निर्णायक जीत थी।
विधानसभा का अठारहवाँ (आम) चुनाव 2022
2022 के आम चुनाव सात चरणों में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च के मध्य सम्पन्न हुए। बी॰जे॰पी॰ का पूरे पाँच वर्ष का शासन रहा था, उस पर जनता को अपनी सहमति अथवा असहमति देनी थी। कोराना की सबसे बड़ी मार उत्तर प्रदेश ने झेली थी। लेकिन बी॰जे॰पी॰ के कुशल राजनैतिक संगठन, चुनाव लड़ने की शैली, संसाधनों की बेहतर उपलब्धता, उससे भी बढ़कर बिखरा हुआ उदास और निराश विपक्ष इन तथ्यों के कारण बी॰जे॰पी॰ ने पुनः सत्ता प्राप्त की। बहुजन समाज पार्टी 2007 में 30 प्रतिशत तक वोट पाने में सफल रही थी तथा उसने अपने बूते 5 वर्ष उत्तर प्रदेश की सरकार चलायी थी। घटकर 12.88 प्रतिशत वोटों पर आ गयी और केवल एक सीट ही प्राप्त कर सकी। भारत की सबसे पुरानी पार्टी जो आजादी की लड़ाई में भी अगुवा थी, अपने निम्नतम स्तर पर 2.33 प्रतिशत वोट लेकर 2 सीट पर सिमट गयी। समाजवादी पार्टी के नायक अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के युवा नेता जयंत चौधरी ने चुनावी समझौता किया था। अखिलेश अपना दल के एक गुट के साथ तथा सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के नायक ओम प्रकाश राजभर के साथ भी समझौता कर एक मजबूत विपक्ष बनाने की कोशिश की, लेकिन आशातीत सफलता प्राप्त नहीं कर पाये। बी॰जे॰पी॰ 255 सीटें, सपा 111 सीटें, अपना दल 12 सीटें, आर॰एल॰डी॰ 8, सुहेल देव पार्टी 06, अपना दल (लोकतांत्रिक) 06, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक 02 जीत पाये। जनपद में जीते प्रत्याशियों का विवरण नीचे दिया गया है-
तालिका: 1.20
क्र.सं. सीट का नाम वोट प्रतिशत विजयी प्रत्याशी पार्टी मत पराजित प्रत्याशी पार्टी मत
1. नजीबाबाद 67ण्00ः तसलीम अहमद सपा 102675 कुँ. भरतेन्द्र बी॰जे॰पी॰ 78905
2. नगीना(सु.) 64ण्36ः मनोज कुमार पारस सपा 97155 यशवन्त बी॰जे॰पी॰ 70704
3. बढ़ापुर 67ण्05ः सुशान्त कुमार बी॰जे॰पी॰ 100100 कपिल कुमार सपा 85755
4. धामपुर 67ण्82ः अशोक राणा बी॰जे॰पी॰ 81791 नईमुल हसन सपा 81588
5. नहटौर(सु.) 65ण्82ः ओम कुमार बी॰जे॰पी॰ 77935 मुंशी रामपाल आरएलडी 77677
6. बिजनौर 64ण्52ः शुचि चौधरी बी॰जे॰पी॰ 97165 नीरज चौधरी आरएलडी 95720
7. चाँदपुर 68ण्66ः स्वामी ओमवेश सपा 90522 कमलेश सैनी बी॰जे॰पी॰ 90288
8. नूरपुर 65ण्94ः रामअवतार सैनी सपा 92574 सी.पी.सिंह बी॰जे॰पी॰ 86509
स्रोत: चुनाव कार्यालय, बिजनौर
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