जनपद के प्रमुख पत्रकार व अख़बार
−सूर्यमणि रघुवंशी,
मां
भागीरथी ने जहां अपने कल-कल निनादित जल से जनपद बिजनौर का आंचल पावन करते हुए उसकी
सीमाओं का अंकन किया है, वहीं भारत का मुकुट हिमालय इसे अपनी
गोद में बिठाये मुस्कुरा रहा है। भरत की क्रीड़ास्थली, महर्षि कण्व का विद्यामयी आश्रम, महात्मा विदुर की कुटी और गुरू
द्रोणाचार्य का आश्रम आदि भारतीय संस्कृति के महान दिग्गजों और पुरोधाओं की इस
धरती को यह भी सौभाग्य प्राप्त है कि उसके
पुत्र-रत्नों ने हिन्दी पत्रकारिता के शैशव काल से ही अपना अप्रतिम योगदान दिया
है।
पं.
रूद्रदत्त शर्मा का अविस्मरणी योगदान:-
संपादकाचार्य
पं. रूद्रदत्त शर्मा के संपादकीय जीवन के साथ पत्रकारिता क्षेत्र में बिजनौर जनपद
के गौरवमय योगदान की अविस्मरणीय भूमिका आरंभ होती है। पं. रूद्रदत्त जी का जन्म सन
1854 में धामपुर (बिजनौर) में हुआ था।
उन्होंने 1872 में आगरा से प्रकाशित होने वाले
पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेमपत्र’ का संपादन करके अपने संपादकीय जीवन का
आरंभ किया। प्राप्त जानकारी के आधार पर यह कहा जा सकता है कि पं. रूद्रदत्त द्वारा
संपादन कार्य आरंभ करने से ही बिजनौर जनपद के पत्रकारों के योगदान का सिलसिला आरंभ
हुआ। संभवत: पं. रूद्रदत्त जी ही बिजनौर जिले के प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में
पदार्पण किया। पं. रूद्रदत्त जी ने 45-46 वर्षों तक पत्रकारिता जगत की अवस्मिरणीय सेवा की। इस अवधि में
उन्होंने तत्कालीन सुप्रसिद्ध समाचार-पत्रों, यथा- ‘इंद्रप्रस्थ प्रकाश’ (दिल्ली 1983), ‘भारत मित्र’
साप्ताहिक व
दैनिक (कलकत्ता, 1894), ‘आर्यावर्त’ साप्ताहिक (कलकत्ता, 1888), ‘हिंदी बंगवासी’ (कलकत्ता, 1891), ‘भारत रत्न’
(पटना), श्री वेंकटेश्वर समाचार (बंबई, 1896), ‘सत्यवादी’ (हरिद्वार), ‘हितवार्ता’ (कलकत्ता), ‘प्रेम’ (वृंदावन) तथा ‘मारवाड़ी’ (नागपुर) आदि समाचार-पत्रों का संपादन
किया। इसलिए उन्हें संपादकाचार्य की उपाधि से विभूषित करना उपयुक्त ही है।
सुयोग्य
संपादक आचार्य पं. पदमसिंह शर्मा:-
पं.
रूद्रदत्त जी के बाद इस जनपद की धरती ने आचार्य पं. पदमसिंह शर्मा जैसे सुयोग्य संपादक
और समालोचक को जन्म दिया। उन्होंने 1904 ई. में ‘सत्यवादी’ साप्ताहिक (हरिद्वार) का संपादन करके
पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया तथा 1908 ई. में अजमेर से प्रकाशित ‘परोपकारी’ और ‘अनाथ रक्षक’
का संपादन किया।
तत्पश्चात ज्वालापुर महाविद्यालय से 1909 ई. में प्रकाशित होने वाले ‘भारतोदय’ मासिक पत्र का संपादन किया। आचार्य जी
के संपादन-लेखन से ‘भारतोदय’ मासिक से सप्ताहिक होकर हिन्दी जगत में लोकप्रिय हुआ। आचार्य पदमसिंह
शर्मा ने ‘सुधा’, ‘विशाल भारत’
और ‘स्वतंत्र’ जैसे प्रख्यात समाचार पत्रों के
साहित्य विशेषाकों का भी संपादन करके अपनी
संपादकीय प्रतिभा का परिचय दिया।
महिला
संपादिका श्रीमती गोपाल देवी :-
हिंदी
पत्रकारिता जब नए युग की प्रतीक्षा में थी, उस समय बिजनौर ने एक ‘संपादिका’ देकर एक बहुत बड़े अभाव की पूर्ति की। 1909 में पं. सुदर्शनाचार्य ने प्रयाग से
महिलाओं के लिए ‘गृहलक्ष्मी’ पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया, वे स्वयं इस पत्रिका के संपादक थे, लेकिन इस पत्रिका की उपसंपादिका उनकी
धर्मपत्नी श्रीमती गोपाल देवी थीं। श्रीमती गोपाल देवी बिजनौर के सोती (श्रोतिय) परिवार की पुत्री थीं तथा वे
बालविधवा थीं। उनसे पं. सुदर्शनाचार्य ने पुनर्विवाह किया था। ‘गृहलक्ष्मी’ महिलाओं की पत्रिका थी। श्रीमती गोपाल
देवी के संपादकत्व में बच्चों की प्रमुख पत्रिका ‘शिशु’ का प्रकाशन हुआ। यह बाल-पत्रिका
तत्कालीन बाल-पत्रिकाओं में प्रमुख मानी जाती है। फतहचंद शर्मा आराधक नवभारत
टाइम्स के दिल्ली के मुख्य संवाददाता
रहे। स्व.बनारसी सिंह यूनीवार्ता के
संपादक रहे हैं।
जनपद
में समाचार पत्रों का क्रमिक विकास
बिजनौर
जनपद में हिन्दी के समाचार-पत्रों का प्रकाशन 1917 ई. से आरंभ हुआ, ऐसी
प्रामाणिक जानकारी मिलती है। यद्यपि सन 1906 ई. के गज़ेटियर में नगीना से प्रकाशित होने वाले ‘उपकार’ समाचार पत्र का उल्लेख है। इस नाम से यह तो आभास होता है कि यह
समाचार-पत्र हिंदी भाषा का होगा, लेकिन
समाचार की भाषा, अवधि तथा प्रकाशन व मुद्रक के बारे में
कोई विवरण नहीं है। गजेटियर के अनुसार इस पत्र को नगीना से कोई जाट निकालते थे तथा
वह नि:शुल्क वितरित होता था। इसमें स्थानीय समाचार होते थे।
वैसे
जिस प्रथम समाचार-पत्र के विषय में प्रमाणिक जानकारी मिल पाई है, वह ‘निर्बल सेवक’
है। उसका
प्रकाशन सन 1917 में हुआ था, जिसका संपादन पं. नरोत्तम व्यास करते
थे। यहां से कलकत्ता चले गये थे। वहां से उन्होंने ‘नारायण’ पत्र निकाला। ‘निर्बल सेवक’ पत्र का आकार 13 इचं गुणा 10 इंच तथा वार्षिक मूल्य 2 रूपये था। अभी तक मिली जानकारी के
अनुसार इसे बिजनौर का प्रथम हिंदी साप्ताहिक समाचार-पत्र माना जाना चाहिए।
सन
1920 में ‘स्वराज्य’ पत्र का प्रकाशन हुआ। इस पत्र का विवरण
प्राप्त न हो सका। 1924 में महावीर त्यागी (भूतपूर्व रक्षा
मंत्री भारत सरकार) के संपादन में यहां से ‘गरीब’ पत्र निकला, तदनंतर उन्होंने ‘रोटी’ साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन किया। इन पत्रों की स्वतंत्रता-संग्राम
में विशेष भूमिका रही थी। इसी वर्ष अखिल भारतीय दिगंबर जैन परिषद के मुख्य पत्र ‘वीर’ का प्रकाशन भी हुआ, जिसके
संपादक ब्रह्मचारी शीतलप्रसाद थे। 1932 में नजीबाबाद से हरिश्चंद्र आर्य ने ‘कांग्रेस’ का प्रकाशन किया। 1936 में ‘प्रकाश’ हिन्दी साप्ताहिक निकला, जिसके संपादक शांतिचंद्र जैन तथा
सहसंपादक ऋषिदेव विद्यालंकार थे। पत्र का मुख्यपृष्ठ रंगीन कागज का होता था, जिस पर आकर्षक चित्र छपता था तथा पत्र
में कहानियां, मनोरंजक व ज्ञानवर्धक सामग्री होती थी।
स्वतंत्रता-प्राप्ति
के पश्चात हिन्दी पत्रों की बाढ़-सी आ गई। सन 1947 में कुलमणि सिंह ने धामपुर से ‘सोशलिस्ट’ पत्र निकाला। 1950 में ‘चिंगारी’ साप्ताहिक का प्रकाशन हुआ। यह पत्र
प्रारंभ में वास्तव में चिंगारी ही सिद्ध हुआ। पत्र के प्रथम संपादक बाबूसिंह
चौहान तथा प्रकाशक व मुद्रक मुनीश्वरानंद त्यागी थे। इस पत्र ने अपनी निर्भीकता, स्पष्टवादिता और खरेपन के कारण बहुत
शीघ्र ही अपना स्थान बना लिया था। पत्र की निर्भीकता के कारण इसे प्रशासन का
कोपभाजन होना पड़ा। इस लघु पत्र पर जितने मुकदमें चले, उतने कदाचित किसी बड़े समाचार-पत्र
पर भी न चले हों। यहां तक कि रामपुर के
जिलाधीश ने तो इस पत्र के जिला-प्रवेश पर ही प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में यह
पत्र उर्दू में भी प्रकाशित हुआ, जिसके
संपादक भी बाबूसिंह चौहान थे।
सन
1950 में ही ‘लोकमत’ हिंदी साप्ताहिक का प्रकाशन ईश्वरदयालु आर्य ने आरंभ किया, जो नियमित रूप से प्रकाशित होता रहा।
इस पत्र पर आर्य समाज की स्पष्ट छाप थी। बाद में 1964 में यह पत्र दैनिक हो गया। इस पत्र के संस्थापक संपादक आर्य जी का 1974 में देहांत हो गया। आर्य जी के बाद
उने पुत्र ने इस पत्र को संभाला, लेकिन
अंतत: यह पत्र बंद हो गया। सन 1950
में ‘जागृति’ का प्रकाशन हुआ। इस पत्र के संपादक कल्याण सिंह त्यागी थे। 1950 में ही बाबूसिंह चौहान ने ‘माझी’ साप्ताहिक पत्र निकाला। 1952 में बाबूसिंह चौहान ने ‘कसौटी’ साप्ताहिक का प्रकाशन आरंभ किया। 1954 में ईश्वरदयालु आर्य, सर्वानंद शास्त्री तथा रघुवरदयालु आर्य
के संयुक्त संपादन में ‘उत्थान’ का प्रकाशन हुआ। यह पत्र आर्यसमाज का मुखपत्र था। वैसे ‘उत्थान’ पत्र का प्रारंभिक प्रकाशन चौधरी गिरधारीलाल के संरक्षण में लखनऊ से
हुआ था। ईश्वरदयालु आर्य जब उनके व्यक्तिगत सचिन बने तब उन्होंने इस पत्र का
संपादन -भार संभाल लिया था और उस पद से हटने के बाद इस पत्र का प्रकाशन बिजनौर से
आरंभ किया।
1952 में नजीबाबाद से वीरेन्द्र कुमार के
संपादन में ‘मंसूबे’ मासिक पत्र का प्रकाशन हुआ। यह पत्र वर्गपहेलियों का था। इसी वर्ष
बाबूसिंह चौहान व चंद्रशेखर शर्मा के संयुक्त संपादन में ‘जनवाणी’ साप्ताहिक का प्रकाशन आरंभ हुआ। बाबूसिंह चौहान इस वर्ष यहां से
भटिंडा चले गए, जहां उन्होंने ‘जनजीवन’ दैनिक (भटिंडा) का दो वर्ष तक संपादन
किया। बाबूसिंह चौहान ने पटियाला से प्रकाशित ‘अनुशीलन’ मासिक (1957) तथा ‘दीदी’ मासिक (1958)
का भी संपादन
किया।
1955 में ही शिवकुमार शर्मा ने ‘स्वदेश’ साप्ताहिक का प्रकाशन आरंभ किया, जिसका नाम बाद में ‘कृषि
संसार’ कर दिया गया। 1956 में नजीबाबाद से जगदीश प्रसाद
जाखेटिया ने ‘जनसत्ता’ हिन्दी का प्रकाशन आरंभ किया। सन 1957 में मंडावर में ओल्ड बायज एसोसिशन
ने ‘साथी’ पत्र का प्रकाशन आरंभ किया, जिसके संपादक सुधाकर मिश्र व बाबूराम मिश्रा थे। 1957 में नैपाल सिंह आर्य ने ‘प्रभात’ हिन्दी साप्ताहिक का प्रकाशन किया, जो लम्बी अवधि तक चला। 1957 में ही बाबूसिंह चौहान ने ‘नवरंग’ हिन्दी साप्ताहिक का प्रकाशन किया, जिसके सहायक संपादक विजयवीर त्यागी थे।
बाद में विजयवीर त्यागी ने बंबई में ‘रजनीगंधा’ सिने पत्रिका का संपादन किया। इसी वर्ष, प्राचीन उर्दू साप्ताहिक ‘ऋषि’ का हिंदी-संस्करण निकलना भी आरंभ हुआ, जिसके संपादक जगन्नाथशरण थे। 1961 में ‘युगदीप’ का प्रकाशन आरंभ हुआ, जिसके संपादक रामचंद्र रावत थे। यह पत्र जिला जनसंघ का मुख पत्र था। 1962 में वैद्य रामकुमार शर्मा के
संपादकत्व में ‘कण्वभूमि’ हिंदी साप्ताहिक का प्रकाशन आरंभ हुंआ।
यह भी कई वर्ष चला। कुछ समय के लिये ‘कण्वभूमि’ दैनिक के रूप में भी प्रकाशित हुआ।
वर्ष
1963 जनपद की हिंदी पत्रकारिता का
महत्वपूर्ण वर्ष है। इस वर्ष से जनपद में दैनिक पत्रों के युग का शुभारंभ हुआ। 14 नवंबर 1963 को बिजनौर टाइम्स हिंदी दैनिक का प्रकाशत बाबूसिंह चौहान ने सरदार
जमील अहमद खां, जीएस सेठी, राजेंद्रपालसिंह कश्यप के सहयोग से
आरंभ किया। चार पृष्ठों के इस लघ़ु पत्र का मूल्य 5 पैसे था। प्रारंभ में पत्र का प्रकाशन सहकारी प्रिंटिंग प्रेस में
होता था। यह पत्र प्रारंभिक काल में ही लोकप्रिय हो गया। इसके पश्चात तो जनपद में
दैनिक और साप्ताहिक पत्रों की बाढ़ सी आ गई। दैनिक पत्रों में ‘लोकमत’ और ‘स्वतंत्र आवाज’ लोकप्रिय हुये। ‘स्वतंत्र आवाज’ का प्रकाशन 1969 में हुआ, जिसके संपादक उमेशचद्र सोती थे।
आपातकाल की समाप्ति पर विश्वामित्र शर्मा ने अपने साप्ताहिक समाचार पत्र ‘राष्ट्र-वेदना’ को 1977 में दैनिक कर दिया। फरवरी 1981 में श्री पारेश कश्यप ने ‘उत्तर भारत टाइम्स’ दैनिक
का प्रकाशन आरंभ किया, जिसक प्रारंभिक संपादक मुनीश्वरानंद
त्यागी थे। बाद में श्री राजेन्द्रपाल सिंह कश्यप ने इसका संपादन किया। अब उनकी
पुत्रवधू उत्तर भारत टाइम्स का संपादन कर रही हैं।
जिले
के हिंदी दैनिक समाचार पत्रों के इतिहास में एक युगांतरकारी घटना 25 अक्टूबर 1985 को हुई, जब बाबूसिंह चौहान ने बिजनौर में प्रथम सांध्य दैनिक ‘चिंगारी’ का प्रकाशन आरंभ किया। समाचारों के चटपटे शीर्र्षकों और प्रस्तुतीकरण
ने इस सांध्य दैनिक को अल्पकाल में ही लोकप्रिय बना दिया। इस पत्र के प्रथम संपादक
चंद्रमणि रघुवंशी है। 1992 में सूर्यमणि रघुवंशी ने इस पत्र की
बागडोर संभाली। चिंगारी के बाद जनपद से कई अन्य सांध्य दैनिक प्रकाशित हुये।नहटौर
से इमामुद्दीन भारती ने अपने साप्ताहिक समाचार पत्र ‘तूफानी काफिला’ को हिंदी सांध्य दैनिक कर प्रकाशित
करना आरंभ किया, जब कि धामपुर से गौरीशंकर सुकोमल ने ‘सोने पे सुहागा’ सांध्य दैनिक निकाला। बिजनौर से
राधेकृष्ण बंधु ने ‘कण्वभूमि’ सांध्य दैनिक निकाला।बिजनौर से भूदेव
कौशिक के सम्पादन में वेलफेयर न्यूज
सांध्य दैनिक कई साल छापा। अब पंकज भारद्वाज के संपादन में सांध्य दैनिक पब्लिक इमोशन छप रहा है। राष्ट्र वेदना दैनिक का प्रकाशन
नागेंद्र चौधरी द्वारा किया जा रहा है। बिजनौर से 2007 से शुरू हुआ दैनिक विधान केसरी (संपादक विनेश ठाकुर ) आज बिजनौर, मुरादाबाद, लखनऊ
चार स्थान से प्रकाशित हो रहा है। रूहेलखंड पत्रिका तथा मुदेश कुछ समय तक
दैनिक समाचार पत्र के रूप में भी प्रकाशित हुये। मंडावर में 2021 से शाबेज के संपादन में जन शौर्य हिंदी दैनिक छप रहा है।लगभग दो साल से बिजनौर से ही बिजनौर टूडे दैनिक छप रहा है। इसके संपादक साजिद अहमद हैं।
साप्ताहिक
पत्रों में ‘नई उमर की नई फसल’ का विशेष योगदान है। ‘टीन एजर्स’ छात्रों द्वारा 1969 में प्रारंभ किए गए इस पत्र के संपादक
चंद्रमणि रघुवंशी थे तथा प्रकाशक खुर्शीद मोहसिन जैदी थे। हिन्दी साप्ताहिक समाचार
पत्रों में अंर्तज्र्वाला नजीबाबाद (सं. वीरेंद्र कुमार जैन), रूहेलखंड पत्रिका बिजनौर (सं.
स्व.नैपाल सिंह आर्य), मालिनी नजीबाबाद (सं. स्व. बी.के. जैन), राष्ट्रीय ज्वाला नजीबाबाद (सं. कीमती
लाल कपूर), साफ बात, बिजनौर (सं. डा. शांतिस्वरूप भटनागर), रक्तवीर, धामपुर (सं. दिनेश चंद्र अग्रवाल ‘नवीन’), खंडहर, धामपुर (सं. जे आर शर्मा), जनपुकार, धामपुर (सं. के कुमार शर्मा), जनमानस, बिजनौर (सं.धर्मपाल शर्मा), शोषित भारत, बिजनौर (सं. के.एस.प्रेमी), गंग प्रवाह, चांदपुर (सं. देवेंद्र कुमार अग्रवाल), पुण्यलोक, नजीबाबाद (सं. वेदमुनि परिव्राजक), बिजनौर दर्शन,बिजनौर (सं.राकेश्वर प्रसाद), तस्वीरे बिजनौर (सं.काजी हसन अता), विदुर बिजनौर (सं.सत्येंद्र कुमार
शर्मा), सांवत बिजनौर (सं. नरेशचंद्र पटेल), बिजनौर खबर, बिजनौर (सं. महावीर सिंह राठी), बिजनौर कालेजियन (सं.सुरेन्द्र मोहन), प्रसाद के फूल, बिजनौर (सं. जयनारायण अरूण), कलम और कैंची बिजनौर(सम्पादक
मुनिश्वरनन्द त्यागी)बारूद और विस्फोट, बिजनौर (सं अशोक मधुप बाद
में उमेश चंद सोती), अविराम, धामपुर (सं.हरिकांत शर्मा), कालनाग, धामपुर (सं.गौरीशंकर सुकोमल), पथ के साथी, बिजनौर (सं.सुखवीर सिंह), चंदक टाइम्स, चंदक (सं. वेदप्रकाश शर्मा), बिजनौर चर्चा, नहटौर (सं. वेदप्रकाश पथिक), मुदेश, नजीबाबाद (सं. चंद्रप्रकाश शर्मा), धरती के स्वर,
ढक्का कर्मचंद
(सं. वैद्य मनोहरलाल शर्मा), काला
खून, नहटौर (सं. विजय कुमार खन्ना), रॉयल एक्सप्रेस, बिजनौर (सं. संजय खन्ना), वीरों का देश, बिजनौर (सं. अनिल कुमार आर्य), नूर टाइम्स, नगीना (सं. श्रीमती सितारा नूर) विजयंत
टाइम्स ( सुरेंद्र गर्ग ) झालू से
विद्युल्लेखा( सं. अशोक मधुप) चांदपुर से
चांद एक्सप्रेस ( सं. नूर अहमद नूर) आदि हैं। रामेश्वर राणा ने पहला
साप्ताहिक कंटकपथ चलाया । दूसरा साप्ताहिक
बहादुर सिपाही 1889
में शुरू किया।तीसरा साप्ताहिक आजाद सितारा निकाला। साप्ताहिक करूण
वेदना का प्रकाशन कांता पुष्पक और नरेंद्र मारवाड़ी द्वारा किया जा रहा है।
हिंदी
समाचार पत्रों के इतिहास में एक उल्लेखनीय घटना हिंदी साहित्यिक पत्रिका के
प्रकाशन से शुरू हुई। फरवरी 1983
में ग्रामीण क्षेत्र चंदक से श्री मेघासिंह चौहान ने आदर्श कौमुदी पत्रिका का
श्रीगणेश किया। ग्रामीण परिवेश और आर्थिक संकट के बावजूद इस पत्रिका का प्रकाशन 1996 तक अनवरत रूप से जारी रहा। साहित्यिक
पत्रिकाओं में दूसरा गंभीर व महत्वपूर्ण प्रयास डा. गिरिराजशरण द्वारा किया। उनके
द्वारा शोध दिशा पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ हुआ। शोध दिशा हिन्दी साहित्य की एक
अमूल्य धरोहर है।इससे पहले भूदेव
कौशिक ने काफी समय तक विनीता नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया।
जनपद
के प्रसिद्ध हास्य कवि हुक्का बिजनौरी ने
लंबे समय तक हास्य व्यंग का पाक्षिक
ठलुआ प्रकाशित किया।
पत्रकारिता में एक
बड़ा काम हुआ नजीबाबाद से शोधार्थ त्रैमासिक का प्रकाशन। एक त्रैमासिक 2018 से और
ओपन डोर साप्ताहिक 2020 से निरंतर निकल रहा
है। इसके संपादक और प्रकाशक अमन कुमार
त्यागी शोधार्थ और ओपन
डोर के कई संग्रहणीय अंक निकाल चुके हैं।
−−−
उर्दू
के समाचार पत्र
बिजनौर
जनपद उर्दू भाषा का गढ़ रहा है, इसलिए
यहां उर्दू समाचार पत्रों का जन्म हिन्दी समाचारपत्रों से बहुत पहले हो गया था। सन
1888 में ‘तोहफे हिंदी’
साप्ताहिक
समाचार पत्र के प्रकाशन की जानकारी प्राप्त हुई है। इस पत्र के संपादक, प्रकाशन व मुद्रक चौधरी जीराज सिंह व
अब्दुल वहीद थे।
1906 के गजेटियर के अनुसार ‘कुलकुल’ व ‘साहिफा’ भी इस समय के उर्दू के साप्ताहिक समाचार पत्र थे, जिनमें सामाजिक, धार्मिक राजनीतिक विषयों पर चर्चा होती थी तथा स्थानीय
समाचारों का समावेश होता था। इन पत्रों की तत्कालीन प्रसार संख्या 300-400 के लगभग थी। इसी अवधि में वैधानिक
मामलों का एक जर्नल ‘रिसाला ताजा नजीर’ भी प्रकाशित होता था तथा एक मासिक
पत्रिका ‘जमीदार वा काश्तकार’ का प्रकाशन भी होता था, जिसमें कृषि से संबंधित सामग्री होती
थी।
सन
1931-32 के गजेटियर के अनुसार 1906 के पश्चात ‘बिजनौर डिस्टिक्ट गजट’, ‘मदीना’, ‘मंसूर’, ‘अलवाहिद’, ‘कृषि और गुंचा’ का
प्रकाशन हुआ। ‘बिजनौर डिस्ट्रक्ट गजट’ का 1921 में मौलवी मुहम्मद अब्दुल समी के संपादकत्व में प्रकाशन आरंभ हुआ
था। यह पत्र ब्रिटिश सरकार-समर्थक था तथा इस पत्र की प्रसार संख्या 400 थी। 1911 में प्रकाशित ‘मदीना’ का प्रति तीसरे दिन प्रकाशन होता था।
यह पत्र राष्ट्रीय विचार धारा का समर्थक था तथा इसकी प्रसार संख्या बहुत अधिक थी।
यहां तक कि इस पत्र की प्रतियां अरब देशों में भी बिकती थी। यह विशिष्टतथ्य है कि
इस पत्र कें संस्थापक सैय्यद नूररूलहसन ‘जहीन’ किरतपुरी अंधे थे। वे समाचारों तथा
विचारों को सुनते थे तथा बाद में बोलते थे, जिन्हें उनका सहायक लिपिबद्ध करता था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इस
पत्र का संपादन उर्दू के प्रसिद्ध संपादकों यथा बदरूल हसन जलाली, अबू सईद बज्मी, उस्मान फार, कलील, हाफिज अली बहादुर, हामिद
-उल-अंसारी गाजी, वारिस कामिल, जिया -उल-हसन फारूकी आदि ने किया था।
इस पत्र का स्वतंत्रता-संग्राम में सहयोग अविस्मरणीय है।
‘ऋषि’ का प्रकाशन 1931 में हुआ था, जिसके संपादक भोलानाथ थे। बाद में इस
पत्र को जगन्नाथ सरन जी ने अधिकृत कर लिया था। पहले यह आर्य समाज का पत्र था। यह
पत्र कुछ दिनों के लिए हिंदी में भी प्रकाशित हुआ। बच्चों के लिए ‘गुंचा’ का प्रकाशन 191 में आरंभ हुआ। यह मदीना का ही एक
प्रकाशन था। 1931 में ही ‘प्रकाश’ का गंगाशरण रस्तौगी ने प्रकाशन आरंभ किया। कुछ दिनों के लिये यह पत्र
हिंदी में भी निकला। 1936 में चौ. शूरवीरसिंह ने ‘सत्यसंदेश’ निकाला, जिसमें आर्यसमाज का विशेरू रूप से प्रचार किया जाता था। 1937 में ‘नेशनल गजट’का गंगाशरण रस्तौगी ने अपने संपादन में
प्रकाशन आरंभ किया। तत्पश्चात अल खलील, निजात, महावत, इत्तहाद, अलहीद आदि पत्र निकले, जिनका पूर्ण विवरण नहीं मिल पाया। कुर्रतुल हैदर अपनी पुस्तक
कारे जहां दराज है ,में कहती हैं कि अपने परिवार का अखबार
था मुरक्का ए नहटौर। इसे हाजी खलील लखनऊ
से छापते थे। इसमें खबर और हाउस पोइट्री छपती थी।
स्वतंत्रता
के पश्चात हरारत, बिजनौर (सं. जहीर अहमद) तस्बीरे बिजनौर
(सं. मौ. यूसुफ) लिजे्र हयात, नजीबाबाद
(सं. अब्दुल हफीज कैसर) बिजनौर टाइम्स उर्दू साप्ताहिक बिजनौर (सं. निश्तर
खानकाही), हमनशीं साप्ताहिक (सं. शमशाद हुसैन
साबरी)आदि पत्रों का प्रकाशन होता रहा।
जिले
के मदीना उर्दू समाचार पत्र की ऐतिहासिक श्रृंखला को एक नया रूप देने के लिये श्री
बाबूसिंह चौहान ने 1 सितंबर 1988 को ‘रोजाना खबर जदीद’ उर्दू
दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन आरंभ किया। इसके संपादक सुप्रसिद्ध उर्दू हिंदी
साहित्यकार श्री निश्तर खानकाही थे। यह पत्र स्टेंडर्ड साइज में आफसैब्ट पर छपता
था। यह पत्र साफ सुथरी छवि का था तथा राष्ट्रीयएकता, अखंडता और धर्म निरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध था। लेकिन सांप्रदायिकता
के चश्मे से उर्दू समाचार पत्र को पढऩे की आदत रखने वाले उर्दू-पाठकों को यह
समाचार पत्र आमतौर पर स्वीकार नहीं हुआ। समुचित पाठकों के अभाव और भारी आर्थिक
घाटे के कारण इसका प्रकाशन मार्च 1992 में स्थगित कर दिया गया। सन 1993 में भी कुछ समय के लिये इसका प्रकाशन हुआ। इस पत्र कें अवसान के बाद
जिले में उर्दू समाचार पत्रों का कोई भविष्य नजर नहीं आता।
अंग्रेजी
भाषा के समाचार पत्र
जनपद
में अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्रों की संख्या नगण्य ही है। इस जनपद में अंग्रेजी
के केवल दो पाक्षिक पत्र प्रकाशित हुए। 1945 में राजेन्द्रपाल सिंह कश्यप ने ‘टिट बिटस’ का प्रकाशन आरंभ किया था। यह वर्ग
पहेलियों का पत्र था, जो काफी दिनों तक चला। 1967 में स्वामी सच्चिदानंद ने खारी झालू
से ‘पर्सनेल्टी’ पाक्षिक पत्र का प्रकशन आरंभ किया था।
स्वामी सच्चिदानंद पंजाब की धरती के पुत्र थे। वह संत विनेाबा के अनुयायी थे और
भूदान आंदोलन में वर्षों तक भाग लेने के बाद ग्राम खारी आ गए थे। वहां वे एक आश्रम
बनाकर रहते थे तथ साइक्लोस्टाइल में यह पत्र निकालते थे। वे दर्शनिक विचारों के
सुलझे हुए चिंतनशील व्यकित थे। उनके पत्र की भाषा बहुत ही निर्भीक तथा
स्पष्टवादिता लिए हुए थी। उनकी यही विशेषता उनका काल बनी। कतिपय अपराधी तत्वों ने
बौखलाकर 5 अप्रैल 1972 को उन्हीं के आश्रम में गोली मार कर
उनकी हत्या कर दी। वे सत्य और निर्भीकता की वेदी पर शहीद हो गए।
विशिष्ट
पत्रकार:-
बिजनौर
जनपद की धरती की कोख पं. रूद्रदत्त शर्मा और पदमसिंह शर्मा सरीखे प्रखर विद्वान
संपादकों को जन्म देकर ही सूनी नहीं हो गई बल्कि वर्तमान में भी इस धरती पर अनेक
पत्रकार रत्नों ने आंखें खोली हैं।
नवभारत
टाइम्स (हिन्दी) नई दिल्ली जैसे राष्ट्रीय पत्र का बिजनौर के पुत्र ने संपादन
किया। 1951 से 1955 तक इस पत्र का संपादन रामगोपाल विद्यालंकार ने किया। वे हल्दौर के
निवासी थे। नवभारत टाइम्स के बंबई संस्करण के प्रधान संपादक श्री महावीर अधिकारी
इसी जिले के पैगंबरपुर गांव के निवासी हैं। एक साधारण कृषक परिवार में जन्में
महावीर अधिकारी उपन्यासकार व कथाकार भी है। इसी राष्ट्रीय समाचार पत्र के दिल्ली
संस्करण के समाचार संपादक हरिदत्त शर्मा नगीना के निवासी थे। हरिदत्त शर्मा की
अनेक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। इसी समाचार पत्र के उपसंपादक फतहचंद्र
शर्मा ‘आराधक’ तथा जगदीश त्यागी भी इसी जिले की देन है। फतहचंद्र शर्मा ‘अराधक’ 1947-48 से नवभारत टाइम्स से संबद्ध रहे। इन्होंने स्वतंत्र रूप से ‘पराग’ और ‘महामना’ आदि मासिक पत्रिकाओं का भी प्रकाशन किया।
अंग्रेजी, उर्दू पत्रकारिता में एक विशिष्ट नाम
कुर्रत उल ऐन हैदर का है । नहटौर में जन्मी कुर्रत उल ऐन हैदर की अनेक पुस्तकें
प्रकाशित हो चुकी हैं। उर्दू-संपादकों में उल्लेखनीय एक नाम निश्तर खानकाही का है, जिन्होंने बीसवीं सदी (दिल्ली) शाहराह
(दिल्ली), जम्हूरियत (बंबई), मुशाहिदा (दिल्ली), आदि प्रतिष्ठत समाचार पत्रों का संपादन
किया है। उर्दू पत्रकारों में शम्स कंवल का नाम भी उल्लेखनीय है। शम्स कंवल बंबई
से ‘गगन’ निकालते रहे। उन्होंने फनकार (बंबई) और साज (लखनऊ) का संपादन भी
किया। अफसर जमशेद एक फ्रीलांसर पत्रकार हैं। ये ‘सात दिन’ साप्ताहिक दिल्ली से संबद्ध रहे है
।इसके अतिरिक्त जिले के कुछ स्वतंत्र पत्रकारों में प्रमुख हैं- राजेन्द सिंह
कश्यप। राजेन्द्रपाल सिंह कश्यप प्रेस, ट्रस्ट आफ इंडिया, नेशनल
हैरल्ड व नार्दन इंडिया पत्रिका आदि अंग्रेजी समाचार पत्रों का समाचार प्रेषित
करते रहे। एक उल्लेखनीय नाम सरदार जलील अहमद खां का भी स्वतंत्र पत्रकारों में है, वे राजेन्द्रपाल कश्यप से पूर्व पीटीआई, पायोनियर, टाइम्स आफ इंडिया, नई दुनिया दिल्ली आदि पत्रों के
प्रतिनिधि थे। हरीश खुराना प्रेमी वीर अर्जुन के लंबे समय तक बिलनौर मुख्यालय पर
प्रतिनिधि रहे। जीएस सेठी मिलाप आदि उर्दू समाचार पत्रों को संवाद भेजते रहे हैं।
शिवचरण जाखेटिया, जगदीश प्रसाद जाखेटिया,श्रीवत्स सनाढय, वी. के. शर्मा, वीरेश बल, सत्यराज, राधेकृष्ण शर्मा बंधु, प्रो. ओ.पी. गुप्ता, सुरेन्द्र
कुमार गर्ग, ज्योतिलाल शर्मा, रतिराम, सुशील कुमार शर्मा्, भारेंद्र
शर्मा, अब्दुल सबूर भारती, अजय जैन, डा. रतेन्द्र कुमार विश्नोई, बाबूराम वरूण,
गुलजार अहमद, अनुज शर्मा नगीना, गौरव गोयल नगीना ,शकील
अहमद बढ़ापुर, ब्रजराज शर्मा,मलखान सिंह, सुरेश प्रकाश शर्मा, राजेश वर्मा, राजीव गहलौत, जोगेन्द्र राजपूत, कांताप्रसाद पुष्पक, मरगूब रहमानी, तालीब बेग, दीप चौहान, विश्वास गिरि, तलमीज अहमद अंसारी,शिवकुमार शर्मा, स्व,कपिल थापन, समीउल्लाह ,डा. योगेन्द्र प्रसाद, सुरेश कुमार आर्य, सुभाष जावा,नरेश जावा ,लोकेंद्र त्यागी नूरपुर,मनोज बाल्मीकि, मुकुल सरल, एजाज अहमद, स्व,नंदराम शर्मा,
रजनीश त्यागी, राजनारायण कौशिक , स्व.दिलावर सिंह चौहान,अनूप खन्ना,रमन खन्ना, कुलदीप सिंह− अमर उजाला,शमशेर सिहं, आलोक गोविल,प्रदीप चौहान बिजनौर के दीपक अग्रवाल अमरोहा में युसूफ अंसारी
दिल्ली और सत्यपाल अरोरा उत्तराखंड में
पत्रकारिता कर रहे हैं।श्याम सुंदर भाटिया
(चांदपुर )अमर उजाला और जागरण में कार्य करने के बाद अब तीर्थंकर विश्वविद्यालय मुरादाबाद के
पत्रकारिता विभाग में कार्यरत हैं।अनिल
यादव नूरपुर,मुनीश राणा नहटौर, एम असलम सिद्दीकी नहटौर, हरवीर सिंह, नसीम मलिक हिंदुस्तान फोटो जर्नलिस्ट, अनुज चौधरी, रूपेश चौधरी, कमल कुमार फोटोग्राफर जागरण, विपिन कुमार फोटोग्राफर अमर उजाला,ब्रजवीर चौधरी जनवाणी, इफतखार मलिक किरतपुर, अनुज चौधरी: रूपेश चौधरी आदि प्रमुख
हैं।
आज
के समय के जनपद के प्रसिद्ध पत्रकार हैं।मधुसूदन आनन्द,पूर्व संपादक नवभारत टाइम्स ,कुलदीप कुमार निवासी नजीबाबाद अब
दिल्ली,हिन्दू दैनिक मद्रास के कालम राइटर हैं
तो चांदपुर के खालिद अलवी इंडियन एक्सप्रेस के कालम राइटर हैं,
दिव्य
सोती बिजनौर जागरण के कालम राइटर हैं,कमल जाफरी नीँदडू, कई
अखबारों के लिए अग्रलेख लिख रहे हैं। असद
अलवी उर्दू अखबारों के कालम राइटर हैं। अशोक मधुप 45 साल अमर उजाला से सम्बद्ध रहने के बाद अब स्वतंत्र पत्रकार के रूप
में कार्य कर रहे हैं । आज देश के लगभग 200 हिंदी,उर्दू,अंग्रेजी और संस्कृत के अखबार में नियमित अग्रलेख का प्रकाशन हो रहा है। कोतवाली क्षेत्र के रहने वाले
राजेंद्र सिंह संपादक अमर उजाला मेरठ
हैं तो बिजनौर के नवनीत गुप्ता
हिंदुस्तान दिल्ली में सेवा
दे रहें हैं। स्वर्गीय बनारसी सिंह
के सुपुत्र सुरेंद्र पाल सिंह दिल्ल्
में नवभारत में खेल संवाददाता है।छितावर
के दिनेश शर्मा लखनऊ मुख्यालय पर सक्रिय
हैं।
आज
इलैक्ट्रोनिक मीडिया की धूम हैं।इसके प्रमुख पत्रकार हैं।अमित रस्तोगी- इंडिया
टीवी और टीवी9भारतवर्ष,अतुलगर्ग- डी,डी न्यूज,वसीम अख्तर- भारत24,ज्योतिलाल शर्मा- सहारा समय,संजीव शर्मा –आजतक,राजवीर चौधरी-जी न्यूज,रोहित त्रिपाठी-भारत समाचार,सरफराज खान-एबीपी न्यूज,महेन्द्र ढाका-न्यूज नेशन,जहीर अहमद- इंडिया वाइस,शरद राजवंशी -अभी तक ,जुबेरखान-एनडीटीवी,शकील
अहमद-प्राइम टीवी, कमरुद्दीन फारूकी-न्यूज़ 24,तुषार वर्मा-प्राइम टीवी आदि सक्रिय
हैं।
यह
एक विशिष्ट उल्लेखनीय तथ्य है कि जनपद बिजनौर ही एक मात्र ऐसा जिला है, जिसके तीन पत्रकारों को पत्रकारिता व
साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान करने के लिये ‘’सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। ये तीन
पत्रकार हैं- कुर्रत उल ऐन हैदर, हरिदत्त शर्मा व बाबूसिंह चौहान।
−सूर्यमणि रघुवंशी,
बिजनौर
टाइम्स रोड, बिजनौर
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