मौहम्मद मौअज्ज़म खां
अपनी अनमोल विरासतो को भूलना मत....
कौन हायल है ये तदबीर-ओ-अमल की राह में, आदमी सोचे है क्या,करता है क्या, होता है क्या।
नजीबाबाद में यूं तो सैकड़ों घराने ऐसे हैं जिन की इज्ज़त, रवादारी, हुस्न ए सुलूक, मौहब्बत , कामयाबी, कामरानी और तालीमी बेदारी के किस्से लोगों की ज़बान पर रहते हैं।उन्हीं घरानो में से एक घराना पूर्व चेयरमैन नगर पालिका परिषद नजीबाबाद व हर दिल अज़ीज़ सीनियर एडवोकेट मौहतरम आली जनाब मौहम्मद मौअज्ज़म खां साहब का है।
बात करें इस खानदान की तो इन के वालिद ए मौहतरम अजमल खां अजमल एडवोकेट जिन की काबिलियत और कामरानी की मिसाल नहीं मिलती है। मरहूम अजमल खां साहब बेहद उम्दा इन्सान थे।वकालत के साथ साथ नजीबाबाद की सियासत में बडी मजबूती के साथ अपना दखल रखते थे वही नजीबाबाद के अदब में एक खूबसूरत और बाकमाल शायर की हैसियत से भी आप का शुमार दुनियां के जिद्दत पसंद शोअरा में किया जाता था। अजमल खां अजमल साहब साहिब ए दिवान शायर थे उन का ये शेर आज भी पूरे दुनियां में मशहूर हैं......कौन हायल है ये तदबीर-ओ-अमल की राह में, आदमी सोचे है क्या,करता है क्या, होता है क्या।
कैंसर की बीमारी से बहादुरी से लड़ते हुए सिर्फ 49 साल की उम्र में उनका इंतकाल हुआ। अल्लाह मरहूम को जन्नत में आला मकाम अता फरमाए आमीन् सुम्मा आमीन।
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