हमारा अशाेक मधुप का परिवार
हम बिजनौर जिले के झालू नामक कस्बे के रहने
वाले हैं।शहर के मध्य सड़क के किनारे छतरी वाल कुआं है।इसके पूर्व की दिशा में
जाने वाल रास्ते पर दो सौ कदम चलकर दौराहा है, दौराहे के आगे बांए हाथ वाले रास्ते के घूम पर दाहिनी ओर हमारा घर है।
बुजुर्ग बताते रहे हैं कि हम मेरठ के कहीं के
रहने वाले हैं। हमारे किसी पूर्वज के बच्चे नही होते थे। उन्हें स्थान बदलने की
सलाह दी गई। इस सलाह पर चलकर वे झालू आ बसे।इसीलिए हम झालू में मेरठीय कहलाते
हैं।मीरापुर( मेरठ ) में हमारे कुटुंब के लोग रहतें हैं।झालू में हमारे कुटंब
वालों के कुछ घर थे। उनमें कोई जीवित नहीं। कुछ झालू छोड़कर चले गए। वर्तमान में
झालू में हमारे ही परिवार के सदस्य (चचेरे भाई) रहतें हैं।
मैं बिजनौर में मुहल्ला अचारजान
में कुंवर वाल गोविंद स्ट्रीट के मकान
नंबर 25 में रहता हूं।
मेरे पिता ओम प्रकाश शर्मा के अनुसार हम गौड़
ब्राह्मण है ।हमारा गोत्र मैत्रेय है।हमारे पंचम दादा नैन सिंह जी के दो पुत्र
हुए।श्री छेदालाल और गणेशी लाल।छेदा लाल के एक पुत्री हुई। उनका नाम याद नहीं पर उनकी शादी मंडावर के पास रतनपुर में श्री
किशोरी लाल जी से हुई।श्रीगणेशीलाल के दो लड़की और एक पुत्र हुए।पुत्र शी द्वारिका
प्रसाद मझले थे।लड़कियों के नाम का पता नहीं, पर बड़ी लड़की की शादी
नूरपुर में पंडित श्री दाताराम से हुई।पंडित दाताराम का घर नूरपुर में खंड विकास कार्यालय से लगभग दो फर्लांग दूर है। एक शादी
में पिता जी के साथ मैं इनके यहां गया हूं।दूसरी लड़की की शादी ज्वालापुर में
वैद्य ताराचंद जी से हुई।
श्री गणेशी लाल झालू की बड़े महल वाली रियासत
में मैनेजर थे।दादाजी के अनुसार वे बड़े नाजुक मिजाज थे। उनके पुत्र श्रीद्वारिका प्रसाद तहसील में चपरासी थे।द्वारिका प्रसाद के एक पुत्र हुए श्रीरामकिशन
लाल। श्री रामकिशन लाल अर्थात मेरे दादा जी की की शादी मंडावर में चंद्रावती से
हुई।श्रीमती चंद्रावती के भाई का नाम
पंडित श्याम स्वरूप कौशिक था।इनकी भूमि में गांधी इंटर काँलेज बना है।
मेरे दादा श्री रामकिशन लाल प्रसिद्ध वैद्य थे। इन्होंने ज्वालापुर के वैद्य ताराचंद से वैद्यक पढ़ी । इनके पास दूर−दूर से इलाज के लिए व्यक्ति आते थे।
इनके तीन पुत्र और दो पुत्री
हुईं।पुत्र ओम प्रकाश, श्री भूषण शरण और श्री राजेंद्र
प्रसाद।बड़ी बेटी शीला की शादी नजीबाबाद के मुहल्ला संतोमालन के पंडित प्यारेलाल
से हुई। प्यारे लाल हापुड़ नगर पालिक में वैक्सीनेटर होते थे। इनका घर मुहल्ला कलक्टर गंज में
सीएमओ की कोठी से सटा है।छोटी बेटी प्रभा की शादी मंडी धनौरा में
गढ़ी मंदिर के सामने हुई। इनके पति का नाम श्री
ओमप्रकाश शर्मा था। श्री ओमप्रकाश जी के पिता जमींदार थे। इनके तीन लड़कियां हैं।
मेरे पिता श्री ओम प्रकाश की शादी
सालमाबाद में हुई। मेरी मां का नाम कलावती था। मां कलावती के पिता श्री छज्जू मल थे। उनके कोई बेटा नहीं था। दो बेटी थीं। बड़ी बेटी
की शादी नहटौर के पास नरगदी गांव में हुई।
हम चार भाई बहिन हैं।मैं मेरे बाद बहन सरिता,सुनीता और भाई अजय।अजय की पढ़ाई के दौरान 17 साल की उम्र
में मौत हो गई। सरिता की शादी सिसौना गांव में श्री जगन्नाथ शर्मा के पुत्र श्री
अंबरीश शर्मा से हुई। सुनीता की शादी सरकड़ा में
श्री विनोद शर्मा से हुई। 2021 में सुनीता उसका निधन हुआ।
परिवार में बड़ा होने के
कारण सब मुझे प्यार करते थे।चाचा श्री भूषण शरण शर्मा और श्री राजेंद्र शर्मा का
मुझ पर बहुत स्नेह था।
बड़े चाचा की शादी बरूकी में 28 फरवरी 1970 में श्री ओम प्रकाश प्रकाश शर्मा की पुत्री विनोद शर्मा से हुई।इन्हें तीन लड़के
और दो पुत्रियां हुईं। बड़ी नीपा की शादी बिजनौर हुई। उसका जल्दी निधन हो गया।छोटी
दीपा उर्फ टिंकल की शादी मुरादाबाद हुई। टिंकल के
पास एक लड़का और एक लड़की है।
बड़े चाचा के तीन लड़के सोनू, मोनू और रेशू हैं।भूकन शरण शर्मा का निधन
56 साल की उम्र में 14 अप्रेल 1990 को हुआ।इनका जन्म 1934 में हुआ था ।छोटे चाचा
राजेंद्र इनसे दो साल छोटे थे।राजेंद्र शर्मा जी का जन्म 1936 में हुआ।
राजेंद्र शर्मा की शादी जहानाबाद में श्री श्याम सुंदर शर्मा की बेटी शिक्षा शर्मा
से हुई। श्री श्याम सुंदर तहसील में पटवारी होते थे।
श्री राजेंद्र शर्मा के एक लड़का और पांच लड़कियां
है। लड़के श्री शैलेद्र की शादी झालू में ही श्री
सुरेश शर्मा की बेटी सुनीता के साथ हुई। शैलेंद्र के
लगभग तीन साल की एक लड़की है। शैलेंद्र के पांच बहिने हैं।चाचा श्री राजेंद्र शर्मा जी का निधन 18 अगस्त 2017 को हुआ।चाची शिक्षा देवी का निधन आठ जून 2018 को हुआ।
मेरा जन्म 17 जुलाई 1950 को झालू में हुआ।इसी
दिन मीठी ईद थी। मेरे से पूर्व माता −पिता को कई
बच्चे जन्में, किंतु जिंदा नही रहे। मां बताती थी कि मेरे लिए
बहुत मन्नत मांगी गई तब मेरा जन्म हुआ। मैंने
कक्षा आठ झालू जूनियर स्कूल से पास किया। नवे में सीडी इंटर
काँलेज हल्दौर में प्रवेश लिया। यहां से मैं दसवां नही कर सका।दसवें करने के लिए मैं छोटी बुआ के पास मंडी धनौरा चला गया। वहां
महात्मा गांधी इंटर काँलेज में प्रवेश लिया और हाईस्कूल किया।
चाचा श्रीराजेंद्र शर्मा चाहते थे कि मैं इंटर
में साइंस बायोलोजी लूं। मेरे दूर के फूपा श्री नाथूराम शर्मा रेवाड़ी हायर सेकेंड्री स्कूल में प्रिंसिपल
होते थे। गर्मियों की छुट्टी में वे प्रति वर्ष बिजनौर आते थे। वे आए हुए थे।चाचा
श्री राजेंद्र शर्मा ने उनसे बात की। उनकी सिफारिश में राजकीय
इंटर काँलेज बिजनौर में मेरा प्रवेश हो ।झालू से रोज आने −जाने के कारण साइंस के
सबजेक्ट तैयार नही हो पा रहे थे।इसलिए मैंने नजीबाबाद राजकीय इंटर काँलेज में
ट्रांसवर कराकर आर्ट ले ली।पिता जी चकबंदी विभाग
में पटवारी थे। बिजनौर से चकबंदी खत्म हो गई
थी। पूरा स्टाफ का जौनपुर तबादला कर दिया गया। दादाजी ने पिता जी को जौनपुर नही जाने दिया। इससे नौकरी छूट गई।
कुछ ही समय हुआ था कि परिवार के सामने आर्थिक
संकट पैदा हो गया। मेरी पढ़ाई छूट
गई।बाद में मैंने राजकीय नार्मल स्कूल हापुड़ से प्राइवेट इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की । बीए में वर्धमान काँलेज में प्रवेश ले लिया।यहीं से मैने बीए और
1973 में संस्कृत से एमए किया। मेरी शादी 27 जून 1982 को धामपुर के मुहल्ला कहारान के पंडित देवी शरण
शर्मा की बेटी निर्मल शर्मा से हुई।मेरे दो बेटे हैं अंशुल और मंजुल।अंशुल ने भगवंत कॉलेज से बीटैक किया।
डिगरी पूरी होते ही इंफोसिस में उसे जॉब मिल गया। अंशुल की शादी पास ही में
श्रीमती मंजु मित्तल और श्रीकमल मित्तल की बेटी शिल्पी से हुई ।अंशुल
−शिल्पी अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य के टैंपा शहर में रहते हैं। दोनों इंजीनियर
है।। जॉब करते हैं।इनके पास तीन
बेटी हैं। बडी बेटी अद्वीति लगभग आठ साल की है। दो छोटी बेटी
निया और निराली तीन साल की हैं। निया
−निराली जुडवां बहने हैं।
छोटा बेटे मंजुल ने सुभारती विश्वविद्यालय मेरठ
से बी− टैक किया। वह इस समय कैनरा बैंक में दिल्ली में
आफिसर है।उसकी शादी बिजनौर के ही श्री केशव जोशी और श्रीमती
सरस्वती जोशी की बेटी शुभानि से हुई। शुभानि एलएलएम डी.लिट है। इनके पास डेढ़ साल का दिवित नाम का बेटा है। मेरे पिता ओम प्रकाश शर्मा जी का निधन 29 फरवरी 1996 को और माता जी कलावती का निधन सात जनवरी 1999 को हुआ।
हमारी सत्ती
झालू से बिजनौर आने वाले रास्ते पर तीराहे से आगे नहर बहती है।झालू से जाते इस नहर के बांए हाथ पर पश्चिम के रास्ते से लगभग एक किलो मीटर चलकर हमारे
परिवार की सती हैं। परिवार के शादी , विवाह या संतानोत्पति पर इन
सतियों की पूजा की जाती है।
अशोक मधुप
हमारा कुंटुब
झालू में हमारे कुंटुब में वैद्य
काशीराम धन्वंतरी हुए।इनका बहुत
सम्मान था।इन्हें वैद्यक का बड़ा ज्ञान था। इनका पुस्तकालय बहुत समृद्ध था।इसमें
आयुर्वेद की बेशकीमती पुस्तकें थीं। बिजनौर के कुंवर आदित्यवीर
और उनकी पत्नी चंद्रावती पूर्व
मंत्री उत्तर प्रदेश से इनके मधुर संबंध थे।इनके पास
ये कई− कई माह रहते थे। वैद्य जी बहुत विद्वान थे। वह हर
समय पढ़ते रहते थे।
वैद्य काशीराम धन्वंतरी के एक पुत्री हुई संतोष।संतोष की शादी बाबूगढ़ छावनी के पास किसी
गांव में हुई।संतोष के पति डाक्टर थे। बाबूगढ़ छावनी के रेलवे स्टेशन से शहर जानेे
वाले चौराहे पर दुकान थी। संतोष के पति के पास में एक दो बार गया हूं। उनका नाम अब याद नहीं। बैद्य जी छोटे भाई राधेश्याम होते थे।उनकी मौत के बाद
पूरा परिवार मुरादाबाद चला गया। राधेश्याम जी के बड़े पुत्र कृष्णा (कृष्ण
कुमार शर्मा )मुरादाबाद में जनता टाइप फाउंड्री में कार्यरत रहे। मेरे पिता जी के निधन पर उनका शोक पत्र भी आया
था।
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