नगीना में सेठ साहू विशेश्वर नाथ कि हवेली

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सेठ साहू विशेश्वर नाथ का जन्म 29 नवंबर सन 1875 को नगीना में हुआ था ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ऑनरेरी मजिस्ट्रेट के पद पर 1902 मे नियुक्त किया था 1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने साहू विशेश्वर नाथ से सहयोग मांगा जवाब मे साहू विशेश्वर नाथ ने लाखो रुपयो की सरकार को मदद की थी इसी से खुश होकर अंग्रेज अधिकारियों ने साहू विशेश्वर नाथ को राय साहब की उपाधि दी थी 


सेठ साहू विशेश्वर नाथ नगीना क्षेत्र के बड़े जमींदार भी थे बाद में उन्हें न्यायिक मजिस्ट्रेट भी बना दिया गया था साहू विशेश्वर नाथ और परिवार वालों की हवेलियां है इ‌स हवेली के नीचे बडे बडे तहखाने व नगीना शहर से सुरंग के जरिये शहर से बाहर निकलने के लिए बडी बडी सुरंगे आज भी मौजूद है 


साहू विशेश्वर नाथ की हवेली के भीतर दीवानखाने में न्यायालय स्थापित किया गया था जहां क्षेत्र के मुकदमों की सुनवाई की जाती थी हवेली के निचले तल पर हवन कुण्ड भी स्थापित कया गया था


हवेली के अन्दर हवन कुण्ड अनूठी धरोहर है इस जगह की खासियत है कि इसका पानी कभी नहीं सूखा हवेली के साथ-साथ सेठ जी के आम अमरूद के बाग हुआ करते थे हालांकि वो आज अस्तित्व में नहीं है हवेली के साथ दिवार पर हिंदी फारसी मे लिखावट आज भी मौजूद है।


इस हवेली मे साधु-संतों के ठहरने के लिए जगह बनवाई हुई है हवेली मे लंबी पक्की सुरगे है उस समय पर्दा प्रथा थी और औरतों को नहाने के लिए पक्की सुरग का ही इस्तेमाल करना पड़ता था महल के आसपास कई कुएं है 


इतिहास को अपने में समेटे हुए सेठ साहू साहब की यह हवेली आज अपने वजूद को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही है नगीना कस्बे के सेठ साहू विशेश्वर नाथ 

के नवाबी ठाट-बाट की गवाह रहीं है इस हवेली मे सैकडो दरवाजे व अनगिनत खिडकिया है


यहा कभी पण्डित जवाहर लाल नेहरू अपनी शादी का कार्ड देने स्वयं आए थे 

इन प्राचीन हवेली की सुंदरता अब धुंधली पड़ने लगी है हवेली के वारिस अपने पूर्वजों के इतिहास को संजोए रखने में सक्षम है हालांकि उन्होंने कुछ मरम्मत कराई, लेकिन इमारतों को मरम्मत के साथ-साथ संरक्षण की भी दरकार है


प्रस्तुति----------तैय्यब  अली

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