डॉ आत्माराम

 *डा.आत्माराम जी का व्यक्तित्व तथा भारत में विज्ञान और तकनीक की प्रथम संस्था "Council of Scientifi* c and *Industrial Research" (C.S.I.R)के गठन में उनका  योगदान* -* --

मुझे दिनांक 06.12.2024 को डिपार्मेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मिनिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, भारत सरकार के तत्वाधान में आयोजित एक वैज्ञानिकों तथा  उद्यमियों की संगोष्ठी में वक्तव्य देने का अवसर मिला!

गोष्ठी का विषय था " *भारत में साइंस तथा टेक्नोलॉजी  की CSIR के रूप में विधिवत  स्थापना तथा उसमें डा. आत्माराम जी का योगदान"

सौभाग्य से आत्माराम जी मेरे पूज्य ताऊजी थे इसलिए यह विषय मेरे हृदय के बहुत निकट था!

यह सत्र बहुत ही अद्भुत था, क्योंकि पूरा सत्र प्रश्नों, उत्सुकता तथा जिज्ञासाओं से परिपूर्ण था कि किस प्रकार एक गरीब परिवार में  जन्मे सुदूर गांव (ग्राम पिलाना, तहसील चांदपुर, जिला बिजनौर)  जिसके पास फीस के भी पैसे नहीं थे, उस समय के विख्यात  इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी, एमएससी (रसायन शास्त्र) में यूनिवर्सिटी टॉप किया और वहीं से 1936 में डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि , उससमय के महान रसायन शास्त्री Dr. N. R. Dhar के निर्देशन में प्राप्त की!

हमारा परिवार एक सांस्कारिक शिक्षकों का परिवार था , जिसमें वेद आधारित वैदिक शिक्षा का वातावरण था! गीता एवं रामायण का प्रतिदिन वाचन होता था, जिससे परिवार का प्रत्येक छोटा बड़ा सदस्य प्रभावित था! इसी कारण बालक आत्माराम में  दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास, अनुशासन, एकाग्रता तथा चुनौतियों से जूझने की असीम शक्ति थी!  उन्होंने पूरे विद्यार्थी जीवन में अपना भोजन स्वयं बनाया तथा पुस्तकें और अन्य सामग्री अपने मित्रों या यूनिवर्सिटी से लेकर अपना अध्ययन सदैव प्रथम श्रेणी में पूरा किया!

सन 1940 के प्रारंभिक दशक में इंडस्ट्रियल रिसर्च बोर्ड  (IRB) बना, जिसमें उन्हें रिसर्च अस्सिटेंट के पद पर नियुक्ति मिली! कुछ समय बाद ही आईआरबी को बोर्ड ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल  रिसर्च (BSIR) में परिवर्धित कर दिया गया व  उसकी कमान जाने-माने वैज्ञानिक "शांति स्वरूप भटनागर" जी को सौंप गई!  कुछ समय बाद यह अनुभव हुआ  की इतना बड़ा काम किसी ऑटोनॉमस बॉडी को करना चाहिए! अंततः सन 1942 में  "Council of scientific and Industrial Research" (CSIR) का गठन "सर रामास्वामी  मुदलियार" की अध्यक्षता में किया गया! इसके प्रथम महानिदेशक( डायरेक्टर जनरल) डॉ. शांति स्वरूप भटनागर जी नियुक्त किए गए! यह सभी  महानुभाव उस समय डॉ. आत्माराम जी के कठिन परिश्रम तथा बुद्धिमत्ता से बहुत प्रभावित  थे, क्योंकि उन्होंने विश्व युद्ध के कठिन समय में  आग बुझाने वाली फोम का आविष्कार किया था! जिसकी देश विदेश में बहुत चर्चा व प्रशंसा हुई !

डॉ. शांति स्वरूप भटनागर , सर रामास्वामी मुदलियार एवं डॉक्टर मेघनाथ साहा  जैसे उच्च कोटि के  विद्वानों ने निश्चय किया कि देश में  वैज्ञानिक तथा  तकनीकी के शोध और विस्तार के लिए राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं बनाई जाएं तथा निम्न प्रयोगशालाएं  बनाने का प्रस्ताव रखा---

*National  Physical  *Laboratory (NPL)

*National  Chemical *Laboratory (NCL)

*National Metallurgical  Laboratory (NML)

*Central Glass and Ceramic Research Institute( CGCRI ).


ग्लास एंड सेरेमिक रिसर्च इंस्टिट्यूट का डॉ. आत्माराम जी को सेक्रेटरी नियुक्त किया गया! उन्हें पूरे भारतवर्ष में इस इंडस्ट्री के बारे में, उसकी क्या दशा और दिशा है, क्या शोध किया जा सकता है पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया! डॉ. आत्माराम जी ने इतनी  सटीक तथा विस्तृत रिपोर्ट बनाई कि उसी को माॅडल मानकर  अन्य सभी प्रयोगशालाओं का निर्माण कराया गया! 

इसी कारण  से डॉ. आत्माराम जी C.S.I.R के जनक के रूप में याद किए जाते रहेंगे!

आत्माराम जी को जादवपुर कोलकाता में स्थापित CGCRI  का प्रथम डायरेक्टर बनाया गया! वहां उन्होंने अपनी लगन से विश्व में पांचवें नंबर पर, भारत में ऑप्टिकल ग्लास का निर्माण किया! जिसके लिए उनको  सन 1959 में "पद्म श्री" तथा "शांति स्वरूप भटनागर  सम्मान" प्राप्त हुआ तथा इसी वर्ष  मास्को में भी उन्हें   सम्मानित किया गया! वह 1968 में "इंडियन साइंस कांग्रेस" के अध्यक्ष तथा 1970 में "इंडियन नेशनल साइंस अकादमी" के अध्यक्ष रहे!  उन्होंने "सोलर एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट आफ इंडिया" की स्थापना का प्रस्ताव मोरारजी देसाई गवर्नमेंट में पारित कर पास कराया,  परंतु उस समय की सरकार के गिर जाने से वह इंस्टिट्यूट तब नहीं बन पाया, अन्यथा आज हम सोलर एनर्जी के क्षेत्र मैं विश्व में बहुत बड़ा स्थान प्राप्त कर सकते थे!

डा.आत्माराम जी साइंस तथा तकनीकी के द्वारा हमेशा भारतवर्ष के गरीब लोगों की सेवा करना चाहते थे व उनके जीवन को सरल तथा सुखद बनाना चाहते थे!

यह एक गरीब परिवार में उत्पन्न परंतु संस्कारों से संपन्न बालक के आत्मविश्वास, कठिन परिश्रम, सच्ची लगन, सादगी तथा ईमानदारी का  चमत्कार था कि उसे भारत के विज्ञान  जगत का धूमकेतु बना दिया!

 ऐसी पवित्र आत्मा डा. आत्माराम जी को कोटि-कोटि नमन🙏


 सर्वेश मित्तल,

Mob. 98180 74320

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