नजीबाबाद के केदार
सावन माह पर भगवान शिव पर विशेष -===================देव भूमि उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर करोड़ों सनातनियों की आस्था , श्रद्धा व विश्वास का प्रतीक है। वर्ष में लाखों श्रद्धालु दुर्गम मार्ग की चढ़ाई कर , कष्ट उठाकर केदारनाथ मंदिर में भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन करते हैं। और असंख्य ऐसे भी हैं जो उम्र,शरीर, आर्थिक कमजोरी के कारण केदारनाथ मंदिर नहीं जा पाते उनके सपने दफन हो जाते हैं । नजीबाबाद के एक पुजारी को केदारनाथ मंदिर में बहुत बड़ी आस्था है। उन्होंने नजीबाबाद नगर में प्राचीन शिव मंदिर को ही केदारनाथ मंदिर के रूप में स्थापित कर दिया। नजीबाबाद का केदारनाथ मंदिर की आकृति वाला शिव मंदिर आज शिव भक्तों के आकर्षण का केन्द्र बन गया जहां ओम नमः शिवाय व घंटे की आवाज की गूंज दूर तक सुनाई देती है। जन सहयोग से बने इस भव्य, आकर्षक प्राचीन शिव मंदिर में सोमवार व त्रयोदशी पर विशेष पूजा, रूद्राभिषेक , प्रतिदिन अन्न श्रेत्र में लंगर चलता है । सैकड़ों शिव भक्त केदारनाथ मंदिर ना जाकर वहां की अनुकृति के शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर पुण्य कमाते हैं। ----------------------------------------उत्तराखंड राज्य के विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर को तो सभी जानते हैं लेकिन मंदिरों के नगर नजीबाबाद में भी एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है जिसकी अनुकृति केदारनाथ मंदिर से मिलती जुलती है। नजीबाबाद में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर आज अपने नये रूप व कलेवर
से शिवभक्तों की आस्था, विश्वास व श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। उत्तराखंड राज्य में रूद्रप्रयाग जनपद में केदारनाथ मंदिर समुद्र तट से 3384 किलो मीटर की उंचाई पर पर्वत श्रंखलाओं से घिरा हुआ है। किदवंती है केदारनाथ मंदिर का निर्माण महाभारत काल में पांडवों ने कराया था जबकि यह भी कहा जाता है हिमालय के केदार सिंह पर भगवान विष्णु के भक्त नर नारायण की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवलिंग के रूप में भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थें। इस मंदिर के कपाट वर्ष में छह माह ही जून से अक्टूबर माह तक खुलते हैं। दुर्गम व खड़ी चढ़ाई वाले मंदिर के संबंध में एक कहावत है यूं तो बोले के करोड़ों भक्त हैं, लेकिन केदारनाथ वहीं जाता है जिसे महादेव बुलाते हैं। दुर्गम मार्ग के कारण एक बड़ी आबादी केदारनाथ मंदिर तक नहीं पहुंच पाती है। नजीबाबाद नगर व क्षेत्र में राजा मोरध्वज काल के अनेक स्वयंभू शिवलिंग है। जो जमीन की खुदाई से प्रकट हुए हैं। शिवभक्तों द्वारा विभिन्न स्थानों पर शिवालयों का निर्माण कराया गया है। नजीबाबाद नगर के टीला क्षेत्र में भी प्राचीन शिवलिंग वाले शिव मंदिर है जो भगवान भोलेनाथ की भक्ति का केंद्र है लेकिन इस मंदिर की कलाकृति को विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर निर्माण कराने से यह मंदिर आज आस्था, श्रद्धा व विश्वास का प्रमुख केन्द्र बन गया। सावन माह व शिवरात्रि पर तो यह मंदिर भोले के भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सच्चे मन से पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है।शिव मंदिर के प्रमुख पुजारी सुनील मोहन ध्यानी इस मंदिर में समर्पित होकर भोलेनाथ की विगत 41 साल से सेवा व पूजा अर्चना कर रहे हैं । वह बताते हैं प्राचीन शिव मंदिर का पुनर्निर्माण 1974 में कराया गया था। मुख्य पुजारी सुनील मोहन ध्यानी स्वयं भगवान शिव के भक्त हैं और केदारनाथ मंदिर के बहुत बड़े आराध्य व प्रशंसक हैं। केदारनाथ मंदिर के आराध्य सुनील मोहन ध्यानी को एक दिन आभास हुआ कि ना जाने कितने शिव भक्त चाह कर भी केदारनाथ मंदिर में शिवलिंग पर जलाभिषेक नहीं कर पाते,ना जाने कितने शिव भक्तों के सपने मन में ही समाप्त हो जाते हैं। बुजुर्ग व महिलाएं केदारनाथ मंदिर तक नहीं जा पाते हैं। उनके मन में आया क्यों ना भगवान शिव के इस प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार कराते हुए मंदिर की अनुकृति केदारनाथ मंदिर की तर्ज कर बनायी जाएं। बस शिव भक्त सुनील मोहन ध्यानी ने मन की बात को ध्यान रखकर उसे पुण्य शिव की धरती पर उतारने का बीड़ा उठा लिया। बस शिव भक्त जुड़ते गये और कारवां बनता गया। चार वर्ष के भागीरथी प्रयास के बाद नजीबाबाद के इस प्राचीन शिव मन्दिर का केदारनाथ मंदिर की तर्ज पर निर्माण कराया गया। प्राचीन शिव मंदिर के नव निर्माण में नगर व बाहर के शिवभक्तों का आर्थिक सहयोग मिला और मिल रहा है । उन्होंने बताया केदारनाथ मंदिर की अनुकृति के रूप में इस शिव मन्दिर के निर्माण के लिए किसी आर्किटेक्ट से मानचित्र नहीं बनवाया बल्कि स्थानीय राज मिस्त्री ने ही केदारनाथ मंदिर का फोटो देखकर अपने द्वारा निर्माण कर उत्कृष्ट कारीगरी का नमूना प्रस्तुत किया है। मंदिर के निर्माण पर लाखों की लागत आई है ।जनसहयोग से एकत्र धन से ही मंदिर का निर्माण किया गया तथा आगे भी जरूरत के आधार पर आर्थिक सहयोग मिलता रहेगा। आकर्षण का केंद्र बने इस मंदिर में चार फुट ऊंचा व डेढ़ फुट गोलाई का विशाल व भव्य शिवलिंग गर्भ गृह, नंदी महाराज की प्रतिमा, स्थापित की गई है जबकि पिछले भवन में हवनकुंड को विधि विधान से स्थापित किया गया। मंदिर के बाहरी भाग को आकर्षक पत्थर लगाकर उसमें चार चांद लगाएं गये। मंदिर में मुख्य पुजारी सुनील मोहन ध्यानी के द्वारा टीम के साथ सवेरे 5.30 से व सायं को 7.30 बजे भगवान भोलेनाथ की आरती भव्य रूप में नियमित की जाती है। मंदिर में अन्न श्रेत्र स्थापित कर प्रतिदिन भंडारे का आयोजन किया जाता है। जिसमें सैकड़ों भक्त भगवान शिव का प्रसाद ग्रहण करते हैं। मुख्य पुजारी सुनील मोहन ध्यानी बताते हैं वर्ष भर प्रत्येक सोमवार व त्रयोदशी पर मंदिर में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है । वहीं वर्ष में दो बार शिवरात्री पर भगवान शिव की पूजा का महत्व ओर बढ़ जाता है। यहां तक प्राचीन शिव मंदिर में भक्तगण परिवार सहित सुख ,शान्ति व समृद्धि के लिए समय समय पर रूद्राभिषेक कराते हैं। केदारनाथ मंदिर की आकृति वाले इस मंदिर परिसर में शीघ्र ही भगवान शिव परिवार को स्थापित किया जाएगा। मुख्य पुजारी सुनील मोहन ध्यानी ने बताया नजीबाबाद नगर ही नहीं बिजनौर व अन्य जनपद के अलावा उत्तराखंड के भी काफी संख्या में शिव भक्त इस मंदिर को देखने व पूजा अर्चना के लिए आते हैं और पुण्य लाभ कमाते हैं। प्रस्तुति -मुकेश सिन्हा नजीबाबाद
Comments