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बिजनौरी थी जोहरा बेग़म

12  जुलाई के दैनिक जागरण में प्रकाशित प्रवीण वशिषठ  का लेख 



नवाब नजीबुद्दौला की वंशज थीं जोहरा सहगल

जानी-मानी अभिनेत्री और नृत्य निर्देशक जोहरा सहगल को देश की सीमाओं के बाहर भी पहचान मिली। रंगमंच और फिल्मी दुनिया के बारे में रुचि रखने वाले उनकी बहुमुखी प्रतिभा से परिचित हैं, लेकिन इस तथ्य से अधिकांश लोग अनजान हैं कि उनका ताल्लुक बिजनौर जिले की माटी से भी था। जोहरा यहां करीब तीन स

BYEDITED BY:UPDATED: FRI, 11 JUL 2014 08:56 PM (IST)
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बिजनौर [प्रवीण वशिष्ठ]। जानी-मानी अभिनेत्री और नृत्य निर्देशक जोहरा सहगल को देश की सीमाओं के बाहर भी पहचान मिली। रंगमंच और फिल्मी दुनिया के बारे में रुचि रखने वाले उनकी बहुमुखी प्रतिभा से परिचित हैं, लेकिन इस तथ्य से अधिकांश लोग अनजान हैं कि उनका ताल्लुक बिजनौर जिले की माटी से भी था। जोहरा यहां करीब तीन सौ बरस पहले नजीबाबाद शहर बसाने वाले नवाब नजीबुद्दौला और प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम लड़े उनके पड़पोते नवाब महमूद अली खां की वंशज थीं।

जिंदादिली की मिसाल भारतीय कला क्षेत्र की सबसे बुजुर्ग शख्सियत जोहरा सहगल सहारनपुर में जन्मी थीं। उनके अभिभावकों का रामपुर से नाता था। उनकी जड़े बिजनौर जनपद में भी थीं। वह नवाब नजीबुद्दौला की वंशज थीं। नजीबुद्दौला रुहेला जाति के बड़े योद्धा थे। उन्होंने पानीपत की तीसरी जंग भी लड़ी थी। उनका शासनकाल 1750 के आसपास था। बिजनौर, सहारनपुर, बरेली और रामपुर सहित आसपास के जिलों में उनकी या उनके परिवार की रियासत थी। वर्षो पहले बीबीसी रेडियो को दिये इंटरव्यू में जोहरा सहगल ने बड़े गर्व से कहा था कि वह रुहेला नवाब नजीबुद्दौला की वंशज हैं।

बिजनौर का पांच हजार साल का इतिहास लिख रहे शायर शकील बिजनौरी और साहित्यकार भोलानाथ त्यागी कहते हैं कि जानकारी के मुताबिक नवाब नजीबुद्दौला के पड़पोते नवाब महमूद अली खां के परिवार से जोहरा सहगल की माता नतिका खां का संबंध था। संभव है कि नतिका महमूद अली खां की पोतियों या पड़पोतियों के रिश्ते में हों।

शकील बिजनौरी बताते हैं कि जोहरा के पिता मुमताज उल्ला खां रुहेला पठान थे। इस्लामी परम्परा के अनुसार रिश्तेदारियों में शादियां हो जाती हैं, ऐसे में ददिहाल और ननिहाल दोनों तरफ से जोहरा का नवाब नजीबुद्दौला या कहें बिजनौर जनपद से रहा। नवाब महमूद अली खां के नेतृत्व में बिजनौर के हिन्दू और मुस्लिमों ने मिलकर 1857 की आजादी की पहली जंग लड़ी थी। कुछ समय तक बिजनौर अंग्रेजी शासन से मुक्त भी रहा था।


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