ज़िला बिजनौर की ख़्वातीन क़लमकार महिला लेखिकाएँ
उस शहरे तिलिस्मात की गलियों से गुज़र कर
झोंका भी जो आया है तो लाया है बहुत कुछ।
शायर नामालूम
(शहरे तिलिस्मात-जादूई शहर)
एक विस्तृत लेख में ज़िला बिजनौर (यू पी) की लेखिकाओं का परिचय प्रतिष्ठित लेखक और शायर डा. शेख़ नगीनवी द्वारा उर्दू में दिया गया है, जिसमें हम पाँच बहनों को भी शामिल करने के लिए मैं उनकी तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। उस लेख के तत्सम्बन्धित एक छोटे से अँश का हिन्दी वर्ज़न यहाँ शेयर कर रही हूँ :-
दबिस्ताने (स्कूल) ज़िला बिजनौर महिला लेखिकाएँ
डा. शेख नगीनवी
by Adbimiras, 2021,07,september
" दुनिया की किसी भी ज़ुबान में ऐसी मिसाल नहीं मिलती जहाँ आठ सगी बहनों में से पाँच सगी बहिनें शायरी करती हों और उनके बाक़ायदा मजमूअए कलाम (संकलन) भी हों और अपने मुल्क से बाहर जा कर भी उनके कलाम ने दाद व तहसीन (प्रशंसा व पहचान) हासिल की हो। दुनिया के अदब (साहित्य) में यह रिकार्ड भी बिजनौर की बेटियों के नाम है, बस इन्दराज बाक़ी है। बिजनौर ज़िले के नगीना शहर के मौहल्ला सराय मीर के साकिन (निवासी) इल्तिजा हुसैन ज़ैदी की पाँच बेटियाँ शायरी कर रही हैं, जिनके नाम अदब (साहित्य) के जानकारों के बीच तार्रुफ़ (परिचय) के मोहताज नहीं हैं।
डिप्टी कलेक्टर के ओहदे से रिटायर शमीम ज़हरा (भोपाल) , मुनीर ज़हरा (मीना नक़वी) (अग़वानपुर मुरादाबाद), नुज़हत ज़हरा (पाकिस्तान), नुसरत मेहदी (भोपाल) और अलीना इतरत रिज़वी (नाएडा) उर्दू शायरी करती हैं। इनका कलाम सोशल, प्रिन्ट, एलेक्ट्रानिक मीडिया में ख़ूब पढ़ने को मिलता है और मुशायरों के स्टेज से भी सुनने को मिलता है।
शमीम ज़हरा सब बहनों में सब से बड़ी हैं। नगीना से इब्तेदाई (प्रारम्भिक) तालीम (शिक्षा) हासिल करके उन्होंने डबल एम ए किया और पी एस सी के इम्तेहान में कामयाबी के बाद मध्य प्रदेश हुकूमत में आला ओहदों (उच्च पदों) पर फ़ायज़ (पदस्थ) रहीं। मज़ामीन (लेख), रेडियो टाक, टेलीविज़न पर टाक, बहस मुबाहिसा (परिचर्चाओं) में शिरकत की और शायरी के साथ अदबी ख़िदमत (साहित्य सेवा) करती रहीं। शमीम ज़हरा की पसन्दीदा सिन्फ़ ( प्रिय विधा) नज़्म है।
दूसरी बहिन मुनीर ज़हरा, जो रुहेलखण्ड की मारूफ़ -अदबी- शख़्सियत ( जानीमानी साहित्यिक व्यक्तित्व) रही हैं। मीना नक़वी के नाम से अदब (साहित्य) में उनकी पहचान है। 'सायबान' , 'बादबान', 'दर्द पतझड़ का', 'किरचियाँ दर्द की', 'जागती आँखें' वगैरा तख़लीक़ात (कृतियाँ) मीना नक़वी की हैं जिन्हें कई अकादमियों के ज़रिए एज़ाज़ से सरफ़राज़ ( सम्मानित ) किया जा चुका है।
तीसरी बहिन नुज़हत ज़हरा की भी इब्तेदाई तालीम (प्रारम्भिक शिक्षा) नगीना ज़िला बिजनौर से हुई। उसके बाद शादी हो कर वे पाकिस्तान कराची में मुक़ीम (रहती) हैं। हिन्दोस्तान में बचपन से ही मुख़्तलिफ़ रसायलो जरायद (पत्र व पत्रिकाओं) में अपने मज़ामीन (लेख) और कलाम से उन्होंने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। आकाशवाणी नजीबाबाद से उनका कलाम, कहानी और बातचीत उसी उम्र से नश्र होने लगे थे। शादी के बाद उनका रुजहान ( झुकाव) मज़हबी हो गया और उन्होंने कराची से एम ए इन 'इस्लामिक स्टडीज़' किया। नुज़हत ज़हरा आज पाकिस्तान की बेहतरीन मुक़र्रिर (वक्ता), क़ाबिले एहतेराम ज़ाकिरा ( सम्मानित प्रवचनकर्ता), शायरा और अदीबा (लेखिका) हैं।
शमीम ज़हरा और नुज़हत ज़हरा का कलाम मुख़्तलिफ़ रसायल व जरायद (पत्र पत्रिकाओं) और किताबों में महफ़ूज़ है।
चौथी बहिन अलीना इतरत रिज़वी इन दिनों मुशायरों और सोशल मीडिया पर ख़ूब सरगर्म हैं। "सूरज तुम जाओ" नाम से अलीना इतरत का शेरी मजमूआ हाल ही में मंज़रेआम पर आया है और उर्दू अकादमी से एवार्ड भी हासिल कर लिया। बक़ौल जमील जौहरी अलीग 'अलीना' हिन्दोस्तान की परवीन शाकिर हैं।
पाँचवीं बहिन डाक्टर नुसरत मेहदी भोपाल के साहित्य अकादमी की डिप्टी डायरेक्टर और उर्दू अकादमी मध्य प्रदेश की सेक्रेट्री और क़ौमी कौंसिल बराए फ़रोग़े उर्दू ज़ुबान (NCPUL) नई दिल्ली की मुन्तज़ेमा (प्रबन्धक) कमेटी की रुक्न (सदस्य) हैं। डा. नुसरत मेहदी की पैदायश 1965 में नगीना में हुई । इब्तेदायी तालीम (प्रारम्भिक शिक्षा) नगीने में और मज़ीद तालीम भोपाल से हासिल करके नुसरत मेहदी ने क्लास दोयम अफ़सर के तौर पर मध्य प्रदेश हुकूमत की मुलाज़ेमत (सेवा) शुरू की।
नुसरत मेहदी के मज़मून (लेख), शायरी, ड्रामा, स्क्रिप्ट उर्दू, हिन्दी, अँग्रेज़ी रसायलो जरायद (पत्र पत्रिकाओं) में शाय (प्रकाशित) होते रहते हैं। वे आलमी और कुल हिन्द (राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय) मुशायरों, सेमिनारों उर्दू कान्फ़्रेंसों में अक्सर शिरकत करती हैं। 'साया साया धूप', 'आबला बा', 'मैं भी तो हूँ', 'घर आने को है ' नुसरत मेहदी के मजमूए (संकलन) हैं।
ख़ातूने अवध लखनऊ, नशूर एवार्ड कानपुर, अमर शहीद अशफ़ाकुल्लाह ख़ान एवार्ड, मज़हर सईद ख़ान एवार्ड, भारत रत्न मदर टेरेसा गोल्ड मैडल एवार्ड अब तक मिल चुके हैं। ऐशक्रोफ़ यूनिवर्सिटी लन्दन ने उन्हें 'डाक्टर आफ़ लिट्रेचर ' की उपाधि एवार्ड की है।
उर्दू की तरक़्क़ी के लिए ज़ाती तौर पर मसरूफ़ रहने वाली बैनुलअक़वामी शोहरत याफ़ता (अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त) शायरा, ड्रामानिगार, स्क्रिप्ट राइटर, कहानीकार और मक़ाला निगार (लेखिका) नुसरत मेहदी ने अमरीका, ख़लीजी मुमालिक (खाड़ी देशों) और पाकिस्तान वग़ैरह बहुत से मुल्कों में मुशायरों और सेमिनारों में शिरकत की
-शेख नगीनवी
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