अंग्रेज अधिकारी ने आबाद की थी धामपुर की बड़ी मण्डी

 (सांध्य दैनिक) बिजनौर, 6 अगस्त 2022





अंग्रेज अधिकारी ने आबाद की थी धामपुर की बड़ी मण्डी


धूल फांक रहा अशोक स्तंभ


धामपुर (चिंगारी)। आज देश आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस मौके पर सरकार और सामाजिक शैक्षिक व अन्य संस्थाओं द्वारा अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन सबके बावजूद लगभग 135 वर्ष पूर्व अंग्रेजों के शासनकाल में स्थापित की गई धामपुर नगर की बड़ी मंडी और वहां पर स्थापित राष्ट्रीय स्मारक अशोक स्तंभ अपने सौंदर्यकरण और रखरखाव को लेकर स्थानीय व्यापारियों और पालिका प्रशासन की उपेक्षा का


शिकार होकर रह गया है। जानकारी के अनुसार आंग्रेजी शासन काल में धामपुर में मारकमगंज नामक अंग्रेज अधिकारी तैनात थे। उस समय बड़ी मंडी में आबादी नहीं थी। यह जंगल का क्षेत्र माना जाता था। इसी के पास एक नाला बहता था जिसका


अशोक स्तंभ के पास पड़ी गंदगी।


पानी जैतरा रेलवे फाटक को होता हुआ जंगल में पहुंच जाता था। अंग्रेज अधिकारी मारकमगंज ने उस समय की रियासतों के जमीदारों से बात करके धामपुर की बड़ी मंडी के क्षेत्र को आबाद करने का प्रस्ताव रखा। बताया जाता है कि वर्ष 1885 में कुछ रियासत वालों ने यहां पर अपनी दुकानें बसाकर बड़ी मंडी क्षेत्र को आबाद किया। इसके


अशोक स्तम्भ


मुख्य चौराहे पर फहराया जाता था राष्ट्रीय ध्वज


वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के बाद बड़ी मंडी के बीचोबीच (जहां आज मेन रोड है) वहां देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जाता था, जिसमें स्वतंत्रता सेनानी व व्यापारी शामिल होते थे।


बाद इन दुकानों पर आने वाली गाड़ियों और ज और जानवरों की सुविधा के लिए आंगन छोड़ा गया। इस आंगन में एक कुआं तथा पशुओं के पानी के लिए हौज बनी हुई थी। मंडी के व्यापारी धर्मदा निकालकर पशुओं के चारे और पानी की व्यवस्था करते थे। नगरपालिका के रिकॉर्ड में आज भी इस क्षेत्र का नाम मंडी मारकमगंज के नाम से अंकित है। देश आजाद होने के बाद बड़ी मंडी में खांडसारी, गुड़, सल्फर आदि का थोक का कारोबार होने लगा। यहां पर बैलगाड़ी और ट्रैक्टर ठूली के माध्यम से सामान आने लगा।


वर्ष 1976 में स्थापित हुआ अशोक स्तंभ


बड़ी मंडी में स्थित अशोक स्तंभ।


नगर की बड़ी मंडी में जिस स्थान पर कुआं होता था, कालांतर में वह सूख जाने के कारण अनुपयोगी हो गया और इस कुएं कुएं को के पाटकर यहां जुलाई 1976 में कार्यवाहक पालिका अध्यक्ष नरेंद्र अग्रवाल के कार्यकाल में भारतीय गणराज्य के राज चिन्ह व सत्यमेव जयते की भावना के साथ राष्ट्रप्रेम, अनुशासन तथा सत्य, अहिंसा, प्रेम और शांति की प्रेरणा देने वाले अशोक स्तंभ को स्थापित कराया गया। वर्ष 1976 की 15 अगस्त को इस अशोक स्तंभ का उद्‌घाटन तत्कालीन एमएलए क्रांति कुमार द्वारा किया गया। चड़ी मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष विजय कुमार ने बताया कि इस स्थान पर 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। उन्होंने बताया कि आजादी के कुछ समय बाद तक यहां पुलिस की गारद आकर राष्ट्रीय पर्वो पर सलामी दिया करती थी। जबकि 15 अगस्त को स्वतंत्रता संग्राम


सेनानियों व उनके परिजनों को बुलाया जाता तथा गोष्ठी का आयोजन होता था। उन्होंने बताया कि बड़ी मंडी व्यापार मंडल के अध्यक्ष ही यहां राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। 3 वर्ष पूर्व उनके द्वारा अशोक स्तंभ पर लोहे की सीड़ी लगवाने के अलावा रंग-रोगन कराया गया। इसके रखरखाव की जिम्मेदारी नगर पालिका प्रशासन की है। इसी नाते उन्होंने इसकी चारदीवारी कराकर लोहे का गेट लगवाया। परंतु अब अशोक स्तंभ गंदगी और रखरखाव के अभाव में दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है। बड़ी मंडी के व्यापारी पीयूष अग्रवाल ने बताया बड़ी मंडी का सहन व्यापारियों के उपयोग हेतु है, जबकि अशोक स्तंभ की सफाई और रखरखाव के लिए पालिका प्रशासन से अनुरोध किया जाता है। मंडी युवा व्यापार संगठन ने अशोक स्तंभ के परिसर को अमृत महोत्सव के दौरान सौंदर्यकरण कर यहां व्याप्त गंदगी को समाप्त करने की मांग की है।


उदघाटन अगस्त १५ 1976 क्रान्ति कुमार एम. एस.ए

Comments

Popular posts from this blog

नौलखा बाग' खो रहा है अपना मूलस्वरूप..

बिजनौर है जाहरवीर की ननसाल

पारसनाथ का किला