बिजनौर के गांधी लाला ठाकुर दास जी
बिजनौर के गांधी लाला ठाकुर दास जी
जिले के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,समाज सुधारक, अछूतों का उद्धार करने वाले हल्दौर निवासी लाला ठाकुर दास जी का नाम हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
1_आपका जन्म 23 फरवरी 1875 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ।आप उर्दू,फारसी,मुंडिया,अंग्रेजी तथा संस्कृत के ज्ञाता थे, गणित में अभिरुचि होने से ज्योतिष का भी ज्ञान प्राप्त किया था।
2_1911 ई में हरिजन पतितोद्धारिणी पाठशाला की स्थापना की ,जो अब जिले की प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था सी डी इंटर कॉलेज के रूप में विद्यमान है।
3_लालाजी ने अपने ही परिवार से विधवा विवाह का सूत्रपात किया। परिजनों ने लालाजी का डटकर विरोध किया,पर लालाजी डिगे नहीं।
4_1913ईस्वी में बेगार रसद प्रथा की उन्मूलन में सफल आंदोलन किया। 1914 ब्रिटिश शासन की तानाशाही और जर्मन युद्ध के कारण बेगार रसद आंदोलन कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया,1919 में इसे पुनः नए जोश से प्रारंभ किया गया।
5_1916 में जिले में कांग्रेस की स्थापना के समय ही लालाजी ने सदस्यता लेकर कांग्रेस की आधार शिला रखी।
6_1918ईस्वी में रौलट एक्ट के विरुद्ध आंदोलन किया।
7_। 1921 में जिला कांग्रेस अध्यक्ष बने।
8_1922 में प्रांतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य निर्वाचित हुए तत्पश्चात अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य निर्वाचित हुए।
9_1923 24 में जिला बोर्ड अध्यक्ष बने।
10_1924 में किसान आंदोलन चलाया।किसानों में चेतना जाग्रत करने के लिए लालाजी ने गरीब नामक पत्र का प्रकाशन भी किया।गंगा मेले में जाने वाली गाड़ियों पर कलेक्टर ने महसूल लगा दिया,लालाजी ने इसका विरोध किया तथा लोगों को महसूल न देने के लिए प्रेरित किया।कलेक्टर के अनैतिक कार्यों के लगातार विरोध के चलते लालाजी को मिले क्लर्क और वाहन की सुविधा वापिस ले ली गई।
11_ 1926 में प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभा के उपाध्यक्ष बने,सह भोज करवाए, दलितों को वैदिक धर्म में प्रवेश कराया।शुद्धिआंदोलन चलाया।
12_1927 में जनपद के तिमिरपुर गांव में दलितों को वैदिक धर्म में प्रवेश करते समय संकीर्णता वादियों के लाठी प्रहार से घायल हुए।लालाजी ने जिला मेरठ तथा जिला नैनीताल के कुछ स्थानों पर भी वैदिक धर्म प्रवेश तथा सह भोज के कार्यक्रम किए।
13_1930 में नमक सत्याग्रह में जवाहर लाल नेहरू की गिरफ्तारी के बाद लालाजी ने अपने साथियों के साथ बगावत का झंडा उठा लिया।अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।
14_1931 में लालाजी ने आर्यसमाज के प्रचार में तेजी ला दी।दर्जनों स्थानों पर अपने ओजस्वी प्रवचनों के द्वारा लोगों में प्रेरणा का संचार किया।
15_1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधी जी की गिरफ्तारी के बाद अपने सहयोगियों के साथ लालाजी ने कपड़ा व्यापारियों के साथ विलायती कपड़ों के बहिष्कार के मद्देनजर सभा की ।लालजी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ।उन्हें एक वर्ष 3 माह का कारावास हुआ।
16_1932 में हैदराबाद सत्याग्रह आंदोलन में हैदराबाद गए तथा 18 माह की जेल यात्रा की।
17_वानप्रस्थ आश्रम ज्वालापुर में निवास करते हुए अगस्त 1942में यह दिव्य नक्षत्र अन्नत में विलीन हो गया।
जितेंद्र कुमार मारवाड़ी
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