नौलखा बाग' खो रहा है अपना मूलस्वरूप..
उत्तर प्रदेश के बिजनौर में दुनि या का अकेला नौलखा बाग का अस्तित्व तो है बिजनौर ! उत्तर प्रदेश के बिजनौर में दुनिया का अकेला नौलखा बाग का अस्तित्व तो है लेकिन पुरातत्व विभाग की अनदेखी और स्थानीय लोगों की अवैध खेती के कारण यह अपना मूल स्वरूप खोता जा रहा है। ऐतिहासिक उल्लेख के अनुसार बंगाल विजय के बाद यहां आए शाहजहां ने यह पूरा क्षेत्र जिसे पहले गोवर्धनपुर कहा जाता था शुजात अली को ईनाम में दे दिया। शुजात अली ने बादशाह का सम्मान रखते हुए इस क्षेत्र का नाम जहानाबाद रखा। इसी क्षेत्र में यह नौ लखा बाग स्थित है। लगभग दस एकड़ क्षेत्र, चारों ओर मजबूत दीवार और बीस फुट ऊंचे भव्य प्रवेश द्वार लिए इस बाग को शुजात अली के मकबरे के नाम से भी जाना जाता है। शुजात अली के अलावा उनकी पत्नी और दासी के भी मकबरे हैं। इसके अलावा एक महान पीर जाहर दीवान की भी मजार है। शुजात अली ने बाग परिसर में मस्जिद का निर्माण कराया था जो अपने समय में विश्व की पहली ऐसी मस्जिद थी जहां नमाज के पहले बजू गंगा जल से किया जाता था। गंगा नदी तक जाने के लिए मस्जिद के आंगन से विधिवत पैडियां बनाई गई थीं। ईदगाह में तब्दील हो गई मस
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