कोटमल देवता

 जनपद बिजनौर के ग्राम कोटकादर का प्राचीन कल्याण मल देवता मंदिर लाखों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक बना हुआ है

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नजीबाबाद के निकट कोटकादर कोई छोटा मोटा गाँव नहीं है यह बहुत बड़ा गांव है बिलकुल जैसे कोई कस्बा।

कोटकादर कल्याण मल देवता के लिए प्रसिद्ध है। हर साल जून महीने में लाखो लोग इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। 


कोटकादर में मुस्लिमों की आबादी बहुत अधिक है। लगभग 70% प्रतिशत मुसलमान और 30 प्रतिशत हिंदू लेकिन यहा दोनो वर्ग एक दूसरे से मिलझुल कर रहते हैं।

नजीबाबाद से 15 किमी दूर स्थित ग्राम कोटकादर में आषाढ़ मास के प्रत्येक रविवार को लगने वाला कोटदेवता मेला हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है सावन के पहले रविवार को भी कोटमेले में श्रद्धालु उमड़ते हैं लेकिन आषाढ़ मास के अंतिम रविवार को लगने वाले मेले की मान्यता अधिक है।


किंवदंतियों के अनुसार लगभग सैकडो वर्ष पूर्व एक क्रूर शासक ने कोटकादर पर हमला किया था जहां वर्तमान समय में कल्याण मल देवता का मंदिर है उस जगह पर शासक की फौज ने पड़ाव डाला था क्षेत्रवासियों की रक्षा के लिए कोटकादर के रहने वाले पांच भाई कल्याण मल सहस्त्र मल भुज मल आदि ने क्रूर शासक की फौज से लोहा लेकर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। 

तभी से कल्याण मल देवता का यह प्राचीन मंदिर जनपद बिजनौर के लाखों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक बना हुआ है। आषाढ़ मास के किसी भी रविवार को मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाना अनिवार्य है। ऐसी मान्यता है कि मंदिर में आने वाले सभी भक्तों का कल्याण कर कल्याण मल देवता रक्षा करते हैं।


क्षेत्र के श्रद्घालु प्रसाद चढ़ाने के साथ साथ नवदंपति इस इस प्राचीन मंदिर में कुंडारे लगाते हुए सुखद दांपत्य की प्रार्थना करते हैं। कई श्रद्घालु नवजात को लेकर यहाँ कुंडारे लगाकर बच्चों के निरोगी जीवन की कामना भी करते हैं।


प्रस्तुति---------तैय्यब अली




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