रेल लाइन बिछाने के विरोध पर जब बरमपुर में चली थी गोली

बरमपुर गांव का रेलवे से संबंधित वह पहलू जो इतिहास में कहीं छूट गया आज मेरी वार्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री अशोक मधुप जी से बिजनौर जनपद के इतिहास के संदर्भ में हो रही थी ।उन्होंने मुझे बताया मेरे पास रेल गजट 1907की कापी है।  इसका वाट्सएप उन्होंने मुझे भेजा ।गजट में मुरादाबाद से बालावाली तक के रेलवे स्टेशन के नाम  सहसपुर, सिवहारा ,धामपुर,  पुरैनी ,नगीना ,बूंदकी, नजीबाबाद ,बरमपुर, चंदक, बालावाली हैं फिर रेलवे स्टेशन मौजमपुर नारायण क्यों बना।

  अशोक जी से वार्ता के बाद  और रेल गजट 1907 मुरादाबाद चंदक रेल खंड पढ़ने के बाद मुझे मेरे बाबा जी द्वारा सुनाई गयी रेलवे लाइन निर्माण और रेलवे स्टेशन संशोधित संस्मरण ताजा हो गये।

 मेरे बाबा जी ठाकुर उमराव सिंह दलाल  जो उस समय खांड के बड़े व्यापारी और गणमान्य व्यक्ति थे, की मृत्यु 1962मे दिवाली के दिन 96, वर्ष की आयु  में  हुई बाबाजी का कहना था  कि अंग्रेज सरकार बरमपुर रेलवे स्टेशन इसलिए बनाना चाहते थे। बरमपुर उस समय खांड उत्पादन और व्यापार का बड़ा  केंद्र  था। यह घटना बरमपुर ही नहीं जनपद बिजनौर के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है बरमपुर जिसका पौराणिक नाम ब्रह्मपुर(ब्रह्म ऋषि आश्रम)

जनपद बिजनौर तहसील नजीबाबाद का एतिहासिक गांव है। इस बारे में अलग अलग इतिहास लेखकों द्वारा अनेक बार लिखा गया है गांव बरमपुर मुगल काल में  मंडावर के मंसबदारो के अधिन था गांव खांड उत्पादन और व्यापार का बड़ा केंद्र था जिसकी चर्चा 1857के विद्रोह के समय बिजनौर के कलक्टर रहे सर सैयद अहमद खां ने भी सरकशे बिजनौर में   की है बरमपुर आर्थिक रूप से सम्पन्न गांव था   ब्रिटिश शासनकाल में एक खुद काश्त गांव था। यह गांव किसी जमींदार या तालुकेदारों के आधीन नहीं था गांव के लोग अंग्रेज सरकार को सीधा हूं कर (लगाने)देते थे 1824मे ज़िला बिजनौर का गठन होने के बाद जिले के महत्वपूर्ण कस्बों और गांवों में प्राइमरी स्कूल  पोस्ट आफिस और शराब के ठेके  उन्हीं गांवों में खोले गये  जो खुद काश्त या जमींदारों के गांव थे ।1826मे बरमपुर में पोस्ट आफिस  बहादुर द्वारा खोला गया। बरमपुर के बाद पोस्ट आफिस किरतपुर ,मंडावर  तथा नांगल ही था अंग्रेज सरकार द्वारा बरमपुर गांव में प्राइमरी स्कूल 1838 में खोला गया। इसके आसपास में प्राइमरी स्कूल किरतपुर ,मंडावर ,मेमन सादात और नांगल ही में खोले गये।

अंग्रेज सरकार द्वारा बरमपुर गांव में देशी शराब का ठेका 1865मे खोला गया ।ब्रिटिश सरकार बरमपुर को कस्बों के समक्ष समझती थी यहां सोमवार के दिन बहुत बड़ा बाजार भी लगता ,जहां दूर दूर से व्यापारी अपना सामान बेचने आते थे और  50गांव के लोग   सामान खरीदने आते थे ।गांव दो पट्टियों में बंटा हुआ था ।एक तेजा नम्बरदार की पट्टी और दूसरी नरपतसिंह नम्बरदार की पट्टी ।दोनों नम्बरदार अपनी अपनी पट्टी से लगान बसूल कर अंग्रेज सरकार को देते थे ।आय दिन पींठ में महसूल वसूलने पर दोनों पक्षों में झगड़े होते रहते थे।

ब्रिटिश सरकार ने16, अप्रैल 1853मे भारतीय रेल बोर्ड का गठन किया और बम्बई से ठाणे रेल का प्रथम ट्रायल सफल रहा इससे उत्साहित होकर अंग्रेज सरकार पुरे भारत में रेल नेटवर्क का विस्तार करना प्राथमिकता बन गयी जिससे सामान अधिक मात्रा में सुगमता से लाया लेजाया जा सके इसी योजना के तहत् कलकत्ता लाहोर रेल खंड का सर्वेक्षण और निमार्ण जोरों पर था 1884 मे मुरादाबाद चंदक रेल सब डिवीजन के  सर्वेक्षण के बाद गजट हो गया और निमार्ण कार्य शुरु हुआ जो बरमपुर गांव की जमीन से होकर गुजरता है जो जमीन नरपतसिंह नम्बरदार के काश्तकारों की थी ।नरपतसिंह नम्बरदार ने रेल पटरी निर्माण कार्य को रोक दिया ।उस समय इंडियन रेलवे के गवर्नर लार्ड डफरिन थे ,जो बाद में भारत के वायसराय भी रहे । वे व्यक्तिगत रुप से हाथी पर बैठ कर आये और गांव के लोगों से वार्ता की। ब्रिटिश सरकार रेल के लिए एलाट जमीन का मुआवजा नहीं देती थी ।ब्रिटिश सरकार ने  बरमपुर के काश्तकारों को मुआवजा देने को कहा और रेल के निर्माण कार्य के लिए एक ईंट भट्टा लगाने को कहा इसके बदले गांव के पश्चिम में स्थित तालाब को पक्का कराने  का वायदा भी किया ।गांव के लोग नरपतसिंह नम्बरदार और उन के लड़के तैयार नहीं हुए और रेलवे बोर्ड के गवर्नर अंग्रेज अफसर के साथ बदतमीजी की और कहा ये आया कटरे पै बैठ कर हम अपनी जमीन नहीं देंगे। इससे नाराज़ होकर अंग्रेज अफसर ने ज़िला मुख्यालय बिजनौर से फोर्स बुलाकर मिट्टी का काम शुरू कराया। इसपर नरपतसिंह नम्बरदार के दो बेटे और कुछ काश्तकार रोकने लगे पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा ।इसमें नरपतसिंह नम्बरदार के दो बेटे मौके वारदात पर मारे गये 15-20लोग घायल हुए ।आज भी जहां यह वारदात हुई उसे खूनी खेत कहते हैं । इससे नाराज़ होकर ब्रिटिश सरकार ने रेलवे स्टेशन जो बरमपुर बनना था वह यहां से हटा कर मौजमपुर नारायण बना दिया ।हां क्यों की रेल गजट में बरमपुर का नाम था रेल के टिकट बरमपुर के नाम से ही 1925तक छपते रहे 1 1925मे मौजमपुर गजरोला रेल खंड वाया बिजनौर के गजट में  रेलवे स्टेशन  का नाम मौजमपुर किया गया ।भट्टा पुलिस की देख रेख में बरमपुर में लगा ।इसकी ईंटों से मौजमपुर नारायण रेलवे स्टेशन चंदक रेलवे स्टेशन मालन नदी का पुल पुलिया निमार्ण कार्य हुआ ।आज बरमपुर गांव मुख्य मार्ग से कट गया है। उस  समय गांव के लोगों की हठ धरमिता और अदूरदर्शिता ने गांव को गांव की आने वाली पीढ़ियों का नुक़सान किया ,जिसकी भरपाई करना संभव नहीं है।

यशपाल सिंह आयुर्वेद रत्न

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