बिजनौर के सात आश्चर्य में एक है एजाज अली हाँल
बिजनौर के सात आश्चर्य में एक है एजाज अली हाँल
अशोक मधुप
बिजनौर के पुराने निवासी बिजनौर शहर के सात आश्चर्य बताते रहे हैं। बिजनौर नगर पालिका जिस एजाज अली हाल को गिराकर व्यवसायिक काम्पलैक्स बनाना चाहती है। यह एजाज अली हाल भी उन सात आश्चर्य में से एक है।
1−बिजनौर के सात आश्चर्य हैं बिना स्टेट का राजा( राजा ज्वाला प्रसाद)ये देश के पहले अभियंता हुए। ब्रिटिश सरकार ने इन्हें राजा का खिताब दिया। खिताब तो मिल गया किंतु इनकी कोई स्टेट नही थी। इसीलिए ये बिना स्टेट के राजा कहलाए। बिजनौरवासी इन्हें बिना स्टेट का राजा कहते थे। बिना स्टेट का राजा होने के कारण ये बिजनौर के सात आश्चर्य में पहले नंबर के आश्चर्य में आते थे।
2−खोखरा पांउड या खोखरा तालाब− आज के प्रदर्शनी मैदान से इंदिरा पांर्क तक का भाग खोखरा तालाब या खोखरा पाउंड( बिना पानी का तालाब कहा जाता है)। इस स्थान की विशेषता ये है कि इसमें कितना भी पानी भरे दो, कुछ ही घंटो में जमीन में चला जाता है।पानी के जमीन में चले जाने के कारण ये खोखरा तालाब नाम से प्रसिद्ध हुआ।
3−एजाज अजी हाल ( बिना कब्र का मकबरा) एजाज अली हाल तत्कालीन जिलाधिकारी एजाज अली साहब ने बनवाया। ये हाल मीटिंग या सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बनाया गया था, किंतु इसकी आकृति मकबरे जैसी है। इसलिए ये बिना कब्र के मकबरे के नाम से पसिद्ध हुआ।
4− फूंस की कोठी या फूंस बंगला
ये जजी के सामने 1500 वर्ग गज में बना 60 फिट ऊंचा फूंस का बंगला होता था। यह बंगला (कोठी) किसी अंग्रेज की थी। 1911 में प्रसिद्ध अधिवक्ता खुर्शीद मोहसिन जैदी के दादा खान बहादुर अब्दुल कासिम डिप्टी एसपी पुलिस ने खरीदी थी।इस कोठी में 18 कमरे थे। इस कमरों मे दो हाल भी शामिल थे।पुराने लोग मानते थे कि फूंस का झोंपड़ा होता है कोठी नही। इसे कोठी या बंगला कहा गया। इसीलिए पुराने लोग इसे नगर के सात आश्चर्य में शामिल करते थे।
5,बिना घड़ी का घंटाघर− बिजनौर के घंटाघर में घड़ी नही होती थीं।बनने के बहुत समय बाद 1985 में इसमें घड़ी लगी। बाद मे ये भी बंद हो गईं। आज भी बंद हैं।इस बिना घड़ी के घंटाघर को नगर के सात आश्चर्य में रखा गया।
6− बिना रास्ते की कोठी− ये कोठी आज के डा वीना−प्रकाश नर्सिंग होम के सामने होती है। कोठी तो आज भी है, किंतु आज यहां पंचवटी काँलोनी बन गई। अब इसका रास्ता भी हो गया। रास्ता न होने के कारण ये बिना रास्ते की कोठी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
7”−बिना प्लेटफार्म का स्टेशन− बिजनौर स्टेशन पर कभी प्लेट फार्म नही होता था। प्लेटफार्म काफी साल बाद में बना। प्लेटफार्म न होने के कारण ये बिना प्लेटफार्म के स्टेशन के रूप में विख्यात हुआ।
आज जिस टाउन हाल को नगर पालिका गिराकर व्यवसायिक कांप्लैक्स बनाना चाहती है।यह एजाज अली हाल तत्कालीन जिलाधिकारी एजाज अली साहब की बड़ी महत्वकांक्षा है।पूर्व पत्रकार स्वर्गीय राजेंद्र पाल सिंह कश्यप बताते थे। कि जिलाधिकारी एजाज साहब ने बिजनौर गंज मार्ग को बनवाने के लिए बिजनौर के रईसों, जिला पंचायत आदि ने धन एकत्र किया था।किंतु इनकी महत्वकांक्षा कुछ ऐसा करने की थी कि जिला उन्हें ट्रांस्वर पर जाने के बाद भी याद रखे। अपनी यादगार जिंदा रखने के लिए उन्होंने बिजनौर मुख्यालय पर एक आम सभा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक हाँल बनाने का निर्णय लिया। इसका नाम अपने नाम एजाज अली पर एजाज अली हॉल रखा। इस हाल के निर्माण का काम 1934 में पूरा हुआ । हाल के बनते समय एजाज साहब चितिंत थे कि कभी आगे चलकर इस हाल का नाम एजाज अली हाल से बदल कर कुछ और न कर दिया जाए,इसलिए उन्होंने ऐसी व्यवस्था की कि उनके नाम की पहचान हॉल के होने तक बन रहे।इस भवन के ऊपर छजरी पर रोक के लिए सिमेंट की जाली लगावाई गई।इस जाली में एजाज अली हाल का शार्ट नाम आईएएच (IAH)लिखवाया गया। पुराने लोग बताते थे कि इस हाल के निर्माण के लिए बनी ईंट का फर्मा भी आईएएच( IAH)का बना था। ये आईएएच प्रत्येक ईंट पर खुदा है।
ये हाल तो बन गया किंतु इसकी बड़ी समस्या आवाज के गूंजने की थी। हाल में बैठे व्यक्तियों को वक्ता या कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले की आवाज नही आती थी। इस समस्या के निदान के लिए काफी बाद में हाल की छत में उलटे करके घड़े लटकवाए गए।हाल की जीर्ण शीर्ण हालत देख तत्कालीन जिलाधिकारी परमेश्वर अय्यर ने 1992 में इसका पुनः उद्धार कराया। छत ठीक कराई। इसके दुंजिले पर बने एक कक्ष में पुस्तकालय और वाचनालय होता था। इसमें अखबार पढ़ने काफी व्यक्ति आते थे। अब तो यह सूनसान रहता है। यहां की अधिकांश पुस्तकें भी खत्म हो गईं।
पार्क में दोनों उत्तर और दक्षिण साइड में दुकाने तत्कालीन जिलाधिकारी डी. एस. बैंस के समय में बनीं।उस समय इन दुकानों के बनने का बड़ा विरोध हुआ था। लोगों का आरोप था कि इससे इस पार्क की खूबसूरती खत्म हो जाएगी। पालिका के पिछले बोर्ड में इस पार्क के6 सुधार के लिए काम हुआ।एक्सरसाइड की मशींने लगवाईं गईं।
एजाज अली हाल और इसका पार्क जनपद की एतिहासिक जगह है। जिला मुख्यालय पर होने वाले प्रदर्शन से पहले प्रदर्शनकारी यहां मैदान में एकत्र होते।सभा करते। यहां से जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रट जाकर ज्ञापन देते। आजादी के आंदोलन में कई महत्वपूर्ण सभाएं भी यहीं हुईं। 1995 के आसपास एजाज अली हाल के उपर के दो कक्ष जिला प्रशासन ने जिला प्रेस क्लब को अलाट कर दिये। पांच साल तक उन कक्ष में जिला प्रेस क्लब चला।
पहले नई बस्ती से राजकीय बालिका और बालिक काँलेज के लिए जाने का रास्ता इस हाल में सामने से होकर था। इससे छात्र −छात्राओं को सुविधा रहती थी। वर्तमान पालिका प्रशासन ने इस रास्ते को जाल लगाकर बंद करा दिया।
अशोक मधुप
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