एजाज अली हाल
ब्रिटिश भवन निर्माण कला का अद्भुत नमूना #एजाज_अली_हाॅल_बिजनौर
#बिजनौर की ऐतिहासिक इमारत एजाज अली हाॅल ब्रिटिश भवन निर्माण और वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है इसकी वास्तुशैली भारतीय एवं ब्रिटिश वास्तुकला के घटकों का अनोखा संगम है
एजाज अली हाॅल का निर्माण सन 1934 मे तत्कालीन कलेक्टर सैय्यद एजाज अली ने बिजनौर शहर के धन्ना सेठो से धन इकट्ठा कर निर्माण कराया था जिस पैसे से एजाज अली हाॅल का निर्माण हुआ था वह धन बिजनौर दारानगर गँज रोड निर्माण के लिए इकठ्ठा क्या गया था एजाज अली हाॅल के अन्दर आवाज न गूँजे इस लिए मिट्टी के घडे लगाए गये हैं
एजाज अली हाल मे जिन ईंटो से निर्माण हुआ था उन पर IAH अंकित हैं कारीगरों की हस्तकला की खूबसूरती को देखकर एक बारगी तो इस जमाने के भवन निर्माण कला के माहिर भी दाद देते हैं आलोकिक सुंदरता से भरपूर एजाज अली हाॅल की शोभा एक अचंभा है कुछ किदवतिया तो यह भी है पुराने जमाने के लोग एजाज अली हाॅल को बिन मजार के मकबरा भी कहते थे
जाने माने इतिहासकार श्री अशोक मधुप बताते हैं कि एजाज अली हाल के द्वार के ऊपर निर्माण सन 1934 अंकित हैं दर्जनो दरवाजे छत पर गुम्बद जो ब्रिटिश वास्तुकला के घटकों का एकीकृत संयोजन है।
एजाज अली हाॅल ब्रिटिश भवन निमार्ण कला के सुमेल को बड़े ही सुंदर रूप से दर्शाता हैं इसके प्रवेशद्वार की एक मुख्य विशेषता यह है कि दोनो गेट सडक की तरफ है दिवारो पर नक्काशी और पत्तियां तराशी गई हैं इसे तराशने वालों ने इतनी कुशलता से तराशा है कि मन प्रसन्न हो उठता है
एजाज अली हाॅल अपने आप में एक ऊंचे मंच पर बनाया गया था इसकी नींव के प्रत्येक कोने से उठने वाली दीवारें भवन को पर्याप्त संतुलन देती हैं हाॅल के सामने गलियारे में गार्डन नुमा शयन कक्ष है।
मुख्य दरवाजे के सामने नगर पालिका कार्यालय हैं मुख्य गेट के सामने गार्डन है
जहांं बैठकर गर्मी मे सर्दी लुत्फ उठाया जाता है।
ब्रिटिश कालीन एजाज अली हाॅल की एक खासियत यह भी है गेट के द्वारा मुख्य हाल से जोड़ा गया है सीडी के सहारे हाॅल की छत्त पर पहुंचा जा सकता है हाल की छत्त पर चढऩे के लिए फिर सीढ़ीयां बनाई गई हैं
हाल के ऊपर कयी गुम्बद सुशोभित हैं इसका शिखर एक मकबरे से अलंकृत है यह गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देते है हाॅल के चारों ओर छोटे गुम्बद मुख्य गुम्बद के आकार की प्रतिलिपियाँ ही हैं, केवल नाप का फर्क है। छत्त पर चढक़र चारों ओर नजर दौडाऩे से
रानी कि धर्मशाला व पुराना अस्पताल रोडवेज सिविल लाईन के हरे भरे वृक्ष और शहर की अन्य इमारतों की शोभा को निहारा जा सकता है
एजाज अली हाॅल का भीतरी वातावरण हर मौसम में रहने के लायक बनाया गया है पूरा दिन भवन के हर हिस्से में रोशनी और हवा का तालमेल बना रहे सर्दी के मौसम में हाॅल के गलियारे तक सूर्य की किरणें पहंचती हैं हा्ल मोटी दीवारों में 18 इंच और 36 इंच की ईंटों का प्रयोग किया गया है। दीवारों की चिनाई पक्की ईंटों, चूना और सूर्खी की गई है।
एजाज अली हाॅल के निर्माण में बाखूबी दिखाने वाले कारीगरों ने हाॅल में ईंटों की चिनाई फलेमिश जोड़ से की है हाॅल में प्रकाश के लिए चारों दिशायों में रोशनदान लगाये गये हैं।
भारत-पाक विभाजन से पूर्व एजाज अली हाॅल के आंगन के चारों और बगीचे नुमा पेड थे जो हाॅल को आनंदमय बना देते थे बगीचे के फूलों की महक देशी आम अमरूद की मिठास तथा हरियाली से वातावरण ही आन्नदमय होता था रिमझिम बारिश के मौसम दौरान जब हाॅल में मोर नाचता तो मदमस्त मौसम का नजारा स्वर्ग बन जाता था कोयल की सुरीली आवाज और चिडिय़ों का चहचहाना कानों मेंं मीठे संगीत का अहसास दिलाते थे।
भवन के प्रांगण में दो कूएं थे जनपद बिजनौर कि कुछ जरजर इमारतों को विरासती दर्ज़ा दिलाने की जरूरत है
बिजनौर मे किसी ने भी इन इमारतो की सुध नहीं ली जिस कारण अनेको इमारत अब खँडहर का रूप धारण कर रही है या ध्वस्त कर दी गयी हैं।
प्रस्तुति----------तैय्यब अली
बिजनौर की ऐतिहासिक इमारत एजाज अली हाॅल ब्रिटिश वास्तुकला के घटकों का अनोखा संगम है एजाज अली हाॅल का निर्माण सन 1934 मे तत्कालीन कलेक्टर सैय्यद एजाज अली ने बिजनौर शहर के धन्ना सेठो से धन इकट्ठा कर निर्माण कराया था
पुराने जमाने के लोग एजाज अली हाॅल को बिन मजार के मकबरा भी कहते थे भारत-पाक विभाजन से पूर्व एजाज अली हाॅल के आंगन के चारों और बगीचे नुमा पेड थे जो हाॅल को आनंदमय बना देते थे बगीचे के फूलों की महक देशी आम अमरूद की मिठास तथा हरियाली से वातावरण ही आन्नदमय होता था रिमझिम बारिश के मौसम दौरान जब हाॅल में मोर नाचता था तो मदमस्त मौसम का नजारा स्वर्ग बन जाता था कोयल की सुरीली आवाज और चिडिय़ों का चहचहाना कानों मेंं मीठे संगीत का अहसास दिलाते थे भवन के प्रांगण में दो कूएं थे जनपद बिजनौर कि कुछ जरजर इमारतों को विरासती दर्ज़ा दिलाने की जरूरत है
प्रस्तुति----------तैय्यब अली
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